कई बाद पास्ट एक्सपीरिएंस, एक्सपेक्टेशंस और आपसी विश्वास की कमी रिश्तों में आने वाली दरार का कारण बन जाती हैं। जब हमारी मुलाकात किसी व्यक्ति से होती है, तो हमें उसकी बातें विचार और व्यवहार अपनी ओर आकर्षित करने लगते है। मगर समय के साथ समस्याएं बढ़ने लगती हैं। हम कई कारणों से उस व्यक्ति के विरूद्ध होने लगते हैं। इससे रिलेशनिप में डिसअपॉइंटमेंट, गुस्सा, चिड़चिड़ापन और फ्रस्टेशन बढ़ने लगती है। इससे रिश्ते धीरे-धीरे खराब होने लगते हैं। जानते हैं वो कौन से वार्निंग साइन है, जो इस ओर इशारा करते हैं कि आप खुद अपने रिश्ते को खराब कर रहे हैं (self sabotaging relation)।
इस बारे में बातचीत करते हुए राजकीय मेडिकल कालेज हलद्वानी में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत ने कई बातों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कई बार हमारी अपनी गलतियां ही रिश्ते को खोखला करने में कारगर साबित होती हैं। रिश्तों में छोटी छोटी बातों को लेकर अंडरस्टैण्डिंग की कमी के चलते मनमुटाव बढ़ने लगते हैं। इससे रिलेशनशिप में विश्वास और स्थिरता की कमी महसूस होने लगती है। जानते हैं वो कारण जो रिलेशनशिप में सेबोटेजिंग का कारण बनने लगते हैं।
लंबे समय से सेक्सुअल रिलेशनशिप की कमी
दोस्तों की कमी के चलते अकेलेपन का शिकार हो जाना
बच्चों और परिवार से लंबे वक्त तक दूर रहना
किसी तीसरे व्यक्ति का जिंदगी में दाखिल होना
बचपन में किसी सदमे का शिकार होने या किसी घटना से ग्रस्त होना
पार्टनर को खोने का डर और किसी प्रकार का भय
हर वक्त अपने पार्टनर को गलत चीजों के लिए ब्लैम करना रिश्ते को सैबोटेज करने की एक निशानी है। अगर आपका पार्टनर आपसे किसी प्रकार की परेशानी का इज़हार करता है और आप उसे मिसअंडरस्टेण्ड (Misunderstand) करने लगते है, तो उसे गैस लाइटिंग कहा जाता है। इस सिचुएशन में न तो आप अपने पार्टनर को तवज्जो देते हैं और न ही उनकी किसी भी बात पर आपको विश्वास होता है।
एक के बाद एक सिलसिलेवार ढ़ग से डेटिंग पार्टनर बदलना भी रिश्तों में आने वाली खटास का कारण बन जाता है। ऐसे लोग प्ले बॉय का रोल निभाते हैं। छोटी छोटी बातों के चलते ये लोग रिश्तों को आसानी से तोड़कर आगे बढ़ने लगते हैं। बार बार डेटिंग की साइकिल से होकर गुज़रने वाले लोग कमिटिड रहने में विश्वास नहीं रखते हैं। ऐसे में अलग अलग लोगों को डेट करने से रिश्ते में खुद ब खुद खटास आने लगती है।
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कस्टमाइज़ करेंऐसे लोग हर वक्त इसी चिंता में घिरे रहते हैं कि आपका पार्टनर किससे और क्या बात कर रहा है। अगर आपका साथी किसी के साथ बाहर जाता है या कुछ देर बातचीत भी करता है, तो इस प्रकार के लोग उन्हें लगातार कॉल और मैसेज करके डिसटर्ब करने का प्रयास करते रहते हैं। इससे ऐसी व्यक्तियों का ईर्ष्यालु स्वभाव नज़र आने लगता है। उनका ऐसा व्यवहार अपने पार्टनर को हर वक्त परेशान करता है, जिससे रिश्ते में दूरी आने की संभावना बनी रहती है।
ऐसे लोग हर वक्त मन में अपने पार्टनर के लिए शिकायतों को समेटे रखते हैं। बात बात पर ताना मारना और उन्हें हर किसी स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराना अच्छा लगता है। खुद को प्रोटेक्ट करके उन्हें हर समस्या के लिए आरोपी ठहराने वाले ऐसे लोग रिश्तों की अहमियत को नहीं जान पाते हैं। उनका मकसद अपने पार्टनर को हर क्षण डीमॉरलाइज़ (Demoralize) करना होता है। इससे पार्टनर का खुद पर विश्वास डगमगाने लगता है।
ऐसे लोग खुद को हर गलती के लिए कोसने लगते हैं। अपने आप को अपने साथी से कमतर आंकना और खुद को गलत बताना इनकी आदत बनने लगती है। खुद को बेचारा बताकर पार्टनर को हर समसया के लिए कटघरे में खड़ा करना इनकी आदत होती है।
आपस में बातचीत करें। कुछ देर एक दूसरे को सुनने और समझने से रोज़ रोज़ होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है। साथ ही एक दूसरे की विचारधारा की भी जानकारी होती है।
एक दूसरे पर आरोप लगाने से बचें। अगर किसी व्यक्ति से गलती हो गई है, तो उसे समझाने के बाद उस बात को वहीं खत्म कर दें, ताकि रिश्ता मज़बूत बना रहे।
रिश्ते को मज़बूत बनाने के लिए अपना विश्वास बनाए रखें। एक दूसरे पर बात बात पर शक करना रिलेशन में परेशानी का कारण बन सकता है।
चाहे मनी मैटर्स हों या पर्सनल प्रॉबलम्स, किसी भी तरह की बातों को एक दूसरे से न छुपाएं।
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