परफेक्शनिस्ट लोगों को ज्यादा होता है तनाव और एंग्जाइटी का जोखिम, जानिए इसे कैसे संभालना है

कुछ लोग होते हैं अपने काम को बिल्कुल परफेक्ट तरीके से करना चाहते हैं। अपने प्रति उन्हें इतना भरोसा होता है कि वे इसमें दूसरे की मदद भी नहीं लेना चाहते। और यही रवैया धीरे-धीरे उनके लिए एंग्जाइटी का कारण बनता जाता है।
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कई लोग परफेक्शनिस्ट इसलिए बनते जाते हैं, क्योंकि वे खुद को बेहतर दिखाना चाहते हैं। चित्र- अडोबी स्टॉक
संध्या सिंह Updated: 23 Oct 2023, 09:30 am IST
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कभी न कभी आप किसी ऐसे व्यक्ति से मिले होंगे, जो हर काम को बड़े ही परफेक्ट तरीके से करना पसंद करता होगा। आपके परिवार में, ऑफिस में या आपका कोई दोस्त ऐसा हो सकता है, जो जिंदगी को परफेक्शनिस्ट एप्रोच के साथ जीता होगा। ऐसे लोग हमेशा काम में व्यस्त होते हैं। न वे काम को लापरवाही से करना चाहते हैं, न ही उन्हें अपने अलावा दूसरों पर भरोसा होता है। जिससे वे जीवन में ओवरबर्डन और रिश्तों में असंतुष्टि का सामना करते हैं। और फिर अपने जीवन में तनाव, एंग्जाइटी और अवसाद के शिकार हाेने लगते हैं। मनोविज्ञान की भाषा में इसे परफेक्शनिज़्म एंग्जाइटी कहा जाता है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

कई लोग परफेक्शनिस्ट इसलिए बनते जाते हैं, क्योंकि वे खुद को बेहतर दिखाना चाहते हैं। इस वजह से कई बार लोग ऐसे उच्च मानक तय कर लेते हैं, जिसे प्राप्त करना शायद मुश्किल हो सकता है। जीवन के किसी भी क्षेत्र में व्यक्ति परफेक्शनिस्ट होने के लिए सोच सकता है, जैसे पढ़ाई में, कार्य-व्यवसाय, रिश्ते, शारीरिक बनावट या व्यक्तिगत उपलब्धियों में। यह महत्वपूर्ण तनाव, चिंता और असंतुष्टि की भावनाओं को जन्म दे सकता है।

समझिए क्या है पर्फेक्शनिज़्म

अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के अनुसार पर्फेक्शनिज़्म दूसरों से या खुद से बहुत अधिक और किसी काम को किसी गलती के बिना पूरा करने की मांंग करने की भावना से जुड़ा है। ऐसे लोग अपने आप से बहुत अपेक्षाएं रखते हैं। किसी भी स्थिति में बहुत ज्यादा करने की कोशिश करते हैं। शायद उतने की अवश्यकता भी न हो, लेकिन यही उनका स्वभाव बन जाता है।

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पर्फेक्शनिज़्म दूसरों से या खुद से बहुत अधिक और किसी काम को किसी गलती के बिना पूरा करने की मांंग करने की भावना से जुड़ा है। चित्र : अडोबी स्टॉक

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मेडिकल एजुकेशन में की गई समीक्षा के अनुसार, पर्फेक्शनिज़्म सकारात्मक (Adaptive) और नकारात्मक (maladaptive perfectionism)। इसमें जब गलतियां हो जाती हैं, तो वे उसे सुधारने की कोशिश करते हैं। जबकि कुछ अन्य लोग विफलता से डरते हैं और उनमें अवसाद, चिंता और अन्य स्वास्थ्य प्रभावों का खतरा अधिक होता है।

पर्फेक्शनिज़्म कैसे एंग्जाइटी का कारण बन सकता है, यह जानने के लिए हमने बात की डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव से। डाॅ आशुतोष श्रीवास्तव सीनियर क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट हैं। डॉ. श्रीवास्तव बताते है कि दूसरों के द्वारा जज किए जाने का डर एक सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर है। इसी डर से कई लोग अत्यधिक पर्फेक्शनिज़्म वाला व्यवहार अपनाते हैं। सामाजिक तौर पर मिलने वाले ताने स्ट्रेस और तनाव का भी कारण बनते हैं। जबकि अपने आपस हायर एक्सपेक्टेशन्स की वजह से वे अपने आप को अभिव्यक्त करना ही भूल जाते हैं।

पर्फेक्शनिज़्म कैसे हो जाता है मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक

2021 में कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी में एक अध्ययन प्रकाशित हुआ, जिसमें 356 वयस्कों को शामिल किया गया। जो भी लोग एंग्जाइटी या किसी भी तरह के तनाव संबंधी डिसऑर्डर से ग्रसित पाए गाए, उन्हें अपने परफेक्शनिस्ट विचारों से एक प्रश्नावली तैयार करने के लिए दी गई।

उस प्रश्नावली में शामिल था, “मुझे सबसे अच्छा होना है,” “मैं कितना भी करूं, यह कभी भी पर्याप्त नहीं है,” और “मेरा काम बिना किसी गलती के होना चाहिए।” शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों में भी परफेक्ट होने का विचार अधिक है उन्हें एंग्जाइटी डिसऑर्डर और पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर होने का खतरा अधिक था।

जानिए परफेक्शनिज़्म एंग्जाइटी से कैसे बचा जा सकता है

1 उचित मानक तय करें

डॉ आशुतोष सलाह देते हैं कि आपको यह पहचानने की जरूरत है कि कुछ भी परफेक्ट नहीं होता। इसलिए अपने लिए उचित और प्राप्त करने योग्य लक्ष्य निर्धारित करें। परफेक्शनिस्ट होने की बजाए हर दिन कुछ सीखने और प्रगति करने पर ध्यान दें।

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दूसरों के द्वारा जज किए जाने का डर एक सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर है। चित्र: शटरस्टॉक

2 अपने आप के प्रति सॉफ्ट रहें

अपने साथ एक नरम और समझदारी वाला व्यवहार करें। इस तथ्य को स्वीकार करें कि गलतियां करना सीखने और विकास की प्रक्रिया का एक सामान्य हिस्सा है। अपने आप से वैसा ही व्यवहार करें जैसा आप एक ऐसे मित्र के साथ करेंगे जो संघर्ष कर रहा है।

3 कमियों को स्वीकार करें

खामियों को बर्दाश्त करना और स्वीकार करना सीखें। यह समझने की कोशिश करें कि परफेक्शनिस्ट होना प्रगति और रचनात्मकता में बाधा बन सकता है। अपने आप को गलतियां करने दें और उनसे सीखें।

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4 फिक्शन की बजाए सफल लोगों की जीवनी पढ़ें

यह अजीब लग सकता है, लेकिन किताबें पढ़ना आपको बहुत कुछ सिखा सकता है। फिक्शन और यथार्थवादी रचनाओं में फर्क होता है। यदि आपकी परफेक्शनिस्ट अप्रोच आपके लिए तनाव का कारण बन रही है, तो कुछ दिन फिक्शन पढ़ना छोड़कर कामयाब लोगों की जीवनियां पढ़ें। देखें कि उन्होंने अपने जीवन को किस तरह जिया। उनकी सामान्य अप्रोच, गलतियां, सीखना और स्वीकारना, ये ऐसे कदम थे जिन्होंने उन्हें यहां तक पहुंचने में मदद की।

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लेखक के बारे में

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं। ...और पढ़ें

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