हमारे आसपास बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जो इस बात पर विश्वास करते हैं कि उनसे बेहतर इस दुनिया में कोई नहीं है। हरदम दूसरों को गलत और नीचा दिखाने वाले ये लोग खुद को स्पॉटलाइट (Spotlight) में रखने के लिए आतुर रहते हैं। दूसरों के इमोशंस को दरकिनार कर खुद के लिए सोचने वाले ऐसे लोग घमण्डी (arrogant people) कहलाते हैं। गर्दन तानकर चलने की इनकी आदत इन्हें दूसरों से अलग थलग कर देती है। जानते हैं इनकी पहचान कैसे करें और किस प्रकार से इनसे दूरी बनाकर चलें।
इस बारे में राजकीय मेडिकल कालेज हलद्वानी में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि हर व्यक्ति का मानसिक और सामाजिक विकास अपने आस पास के माहौल के हिसाब से होने लगता है। अगर आप किसी व्यक्ति को हर बात में सबसे बेहतर घोषित करने लगेंगे, तो वो धीरे धीरे एरोगेंट होने लगेगा। उसकी जिद्द को मानना और बात बात पर उसकी तारीफ करना। ये सभी चीजें किसी व्यक्ति के मांइड को प्रभावित करने लगती हैं। अब उसका दिमाग उसे इस बात के लिए तैयार करने लगता है कि तुम से बेहतर कोई भी व्यक्ति काम नहीं कर सकता है।
ओवर प्रोटेक्शन
बात बात पर एपरीसिएशन
मनमानी करने से मना न करना
अच्छे और बुरे हर काम के लिए एनकरेज करना
हर काम में आपको आगे रखना
दूसरों को आगे बढ़ते हुए देख ये लोग अंदर ही अंदर परेशान होने लगते हैं। किसी के प्रति किए गए काम को सिरे से नकारना और जलन करना ऐसे लोगों की पहचान है। ईर्ष्यालु स्वभाव के ये लोग दिल के बुरे नहीं होते हैं। मगर इनकी सोच इन्हें अन्य लोगों के करीब आने से रोकती है।
ऐसे लोग अपने बारे में कटु शब्दों को नहीं सुन पाते हैं। वे खुद को अधिक प्रभावी और हर काम में बेहतर मानते हैं। वे दूसरों के सुझावों को प्राथमिकता नहीं देते हैं। अगर कोई व्यक्ति उनकी आलोचना करता है, तो वे उससे कुछ सीखने की जगह उस व्यक्ति का बायोकॉट करने में समय नहीं लगाते हैं।
इस तरह से लोग अन्य लोगों के प्रति प्रेम और समर्पण का भाव नहीं करते हैं। इन लोगों का मकसद केवल फायदे और नुकसान पर टिका होता है। ये दूसरों के भावों और विचारों को समझने में समय नहीं लगाते हैं। ऐसे लोग अधिकतर सेल्फ सेंटर्ड होते हैं। ये किसी के दर्द को समझना नहीं चाहते हैं।
एरागेंट लोग खुद को बेहतर और समझदार मानते हैं। ऐसे में अगर कोई और उन्हें किसी तरह की सलाह या राय देता है, तो वे उसे आसानी से नहीं मानते हैं। उनका मानना है कि लोग उनसे ज्यादा और बेहतर नहीं जानते हैं। ऐसे में इन लोगों से डील करने के लिए इनसे बहुत ज्यादा बातचीत करने से बचें।
अगर आप एरोगेंट व्यक्ति के साथ किसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, तो कुछ लिमिटस को सेट ताकि, वो आपके अधिकार क्षेत्र में घुसकर काम करने से दूर रहे। इसके अलावा मिडिएटर का होना भी ज़रूरी है, जो दो लोगों के मध्य संतुलन को बनाए रखने का काम करें।
ये लोग हर वक्त सामने वाले में गलतियां खोजते रहते हैं। इन्हें ये गलत फहमी हो जाती है कि इनसे बेहतर दुनिया में और लोग नहीं हो सकते हैं। अगर ये लोग काम के दौरान कमियां निकालते हैं यां आप पर चिल्लाते हैं या आपको किसी परैंक का हिस्सा बना देते हैं, तो इन्हें ग्रेसफुली डील करें। इनकी किसी बात को दिल पर लेकर रिएक्ट न करें।
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