अनरियलिस्टिक काइंडनेस है खुद को परेशान करने का तरीका, इन 3 तरीकों से तय करें अपनी सीमाएं

खुद के साथ भी सीमाएं रखनी है जरूरी है, 5 संकेत जो बताती है कि आपकी खुद के साथ खराब सीमाएं है
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दूसरों के प्रति अत्यधिक प्रतिबद्धता हमारी खुद की वेलबींग के लिए हानिकारक हो सकती है। चित्र- अडोबी स्टॉक
संध्या सिंह Published: 15 Feb 2024, 19:22 pm IST
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सीमाएं हमारे जीवन के हर तरीके को प्रभावित करती हैं और यह अक्सर ऐसा होता है जिसे हमें कभी भी निर्धारित करना नहीं सिखाया जाता है। जिस तरह हम अपने बच्चों को पालते है उसमें भी कोई सीमा नहीं होती है। हम बच्चों से कहते हैं कि आपको किसी ऐसे व्यक्ति से गले मिलना है जहां सहमति नहीं हो सकती है या बच्चा उस व्यक्ति को गले लगाना नहीं चाहता है। या आपको ऐसे नियमों का पालन करना होगा जो जरूरी नहीं कि सभी बच्चों के लिए मायने रखते हों।

हम जिस तरह बच्चों को पालते है असल में हम उन्हें उनकी सीमाओं की भावना को ख़त्म करना सिखाते हैं। हमें यह भी कभी नहीं सिखाया गया कि उन्हें कैसे सेट किया जाए। बहुत से लोग जब सीमाएं निर्धारित करते हैं, तो वे खुद को दोषी महसूस करते हैं। हमे लगता है कि दुसरों के लिए सीमाएं निर्धारित करके हम उन्हें दुखी कर देंगे और इस चीज में हम ये भूल जाते है कि हमे सीमाएं निर्धारित करने का अधिकार है।

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सीमाएं निर्धारित करने का अर्थ स्वयं को और दूसरों को यह बताना है कि आपको क्या पसंद है और क्या पसंद नहीं है। चित्र- अडोबी स्टॉक

इस बारे में हेल्थ शॉट्स ने रिलेशनशिप एक्सपर्ट रुचि रूह से बातचीत की, रुचि रूह बताती है कि खराब सीमाएं (boundaries) हमारे जीवन को प्रभावित कर सकती है, लेकिन एक साकारात्मक और अच्छी सीमाएं हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी हो सकती है।

ये संकेत जो बताते हैं कि आप अपनी सीमाओं का भी ध्यान नहीं रख पातीं

दूसरों के प्रति अधिक प्रतिबद्ध होना

दूसरों के प्रति अत्यधिक प्रतिबद्धता हमारी खुद की वेलबींग के लिए हानिकारक हो सकती है। जब हम लगातार दूसरों के अनुरोधों या विचारों के लिए हां कहते हैं, ये और ज्यादा खतरनाक तब हो जाता है जब हम जानते हैं कि हमारे पास उन्हें पूरा करने की क्षमता नहीं है, तो इससे जलन, तनाव और नाराजगी हो सकती है। यह पैटर्न अक्सर दूसरों को खुश करने की इच्छा या उन्हें निराश करने के डर से उत्पन्न होता है, लेकिन खुद को स्थिर और स्वस्थ्य बनाएं रखने के लिए दूसरों से पहले खुद पर ध्यान देना जरूरी है।

खुद की उपेक्षा करना

खुद की उपेक्षा का रवैया अपनाने से हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। जब हम लगातार दूसरों की ज़रूरतों और अपेक्षाओं को खुद से अधिक प्राथमिकता देते हैं, तो हम अपने शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा करते है। इससे समय के साथ निराशा, नाराजगी और यहां तक कि जलन की भावनाएं भी आ सकती है।

अपनी भावनाओं को नजरअंदाज करना

खराब भावनाओं को संबोधित करने के बजाय उन्हें अनदेखा करना या दबाना आपमें भावनात्मक तनाव का कारण बन सकता है और ये आपके मेंटल पीस को भी खराब कर सकता है। उन भावनाओं से बचना स्वाभाविक है जो असुविधाजनक या दर्दनाक हैं, लेकिन ऐसा करना केवल भावनात्मक समस्या को बढ़ाता है और हम उनका स्वस्थ तरीके से सामना करने और हल करने में बाधा बनता है।

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अगर आप बाउंड्री नहीं बनाएंगे तो लोग आपका फायदा उठा सकते है। चित्र- अडोबी स्टॉक

कैसे करें खुद के साथ सीमाएं निर्धारित

1 केवल अपने विचारों की जिम्मेदारी लें

जब आप पर्सनल सीमाएं निर्धारित करते हैं, तो हो सकता है कि आप अपने जीवन में हर किसी से सहमत न हों, लेकिन यह ठीक है। आप केवल अपने विचारों और भावनाओं के लिए ज़िम्मेदार हो सकते हैं, अन्य लोगों के लिए नहीं। दूसरे लोगों को वही सोचने और महसूस करने दें जो वे चाहते हैं।

2 सेल्फ केयर है जरूरी

उन सभी चीजों की एक सूची बनाएं जो आपको खुश और ऊर्जावान महसूस कराती हैं। इसमें बड़ी चीज़ें जैसे कहीं दूर ट्रैवल पर जाना और छोटी चीज़ें जैसे किताब पढ़ना या प्रकृति में समय बिताना कुछ भी हो सकता है। इस सूची के अनुसार कुछ चीजें जरूरी करें।

3 न कहना सीखें

जब आप अपनी सीमाओं का सम्मान करना शुरू करते हैं, तो आपको समय-समय पर लोगों को ना कहने की आवश्यकता होगी। यदि आप ऐसे व्यक्ति हैं जो ना कहने से नफरत करते हैं, तो इसके लिए कुछ अभ्यास की आवश्यकता हो सकती है। इसे आज़माएं और आपको एहसास होगा कि यह उतना भी कठिन नहीं है जितना लगता है।

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लेखक के बारे में

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं। ...और पढ़ें

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