चंद्रभेदन प्राणायाम गुस्से को कंट्रोल कर पर्सनल और प्रोफेशनल ग्रोथ में करता है मदद, जानिए अभ्यास का तरीका

वर्क प्रेशर की वजह से वर्कप्लेस पर गुस्सा आना आम बात है। पर असमय आया गुस्सा प्रोफेशनल ग्रोथ को भी प्रभावित कर सकता है। चंद्रभेदन या चंद्रभेदी प्राणायाम के नियमित अभ्यास से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। विशेषज्ञ से जानते हैं इसे करने का सही तरीका।
Chandra bhedan pranayama gusse ko shant karta hai.
प्राणायाम हमारे शरीर में महत्वपूर्ण एनर्जी को नियंत्रित और संतुलित करता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Published: 15 Feb 2024, 08:00 am IST
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प्रोफेशनल सिनेरियो में काम के दौरान गुस्सा आना या एंग्जाइटी का सामना करना असामान्य नहीं है। चाहे यह एक बार होने वाली घटना हो या बार-बार होने वाला पैटर्न यह हमारे मेन्टल हेल्थ को प्रभावित करने लगता है। यह हमें अपनी भावनाओं को प्रभावी ढंग से व्यक्त करने में रोड़े अटकाने लगता है। प्रोफेशनल फ्रंट पर ग्रोथ के लिए वर्कप्लेस पर गुस्से को प्रबंधित करना जरूरी होता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि नियमित रूप से चंद्र भेदन प्राणायाम गुस्से पर नियंत्रण (Chandra Bhedana Pranayama) लाने में मदद कर सकता है।

कैसे प्रभावित कर सकता है गुस्सा (How Anger Affect life)

झल्लाहट या गुस्सा कई कारणों से हो सकता है। मेहनत करने के बावजूद टारगेट पूरा नहीं होना, कुलीग का गलत ढंग से व्यवहार करना, वेबसाइट या मशीन में खराबी आना से लेकर बॉस का प्रेशर भी एंगर और एंग्जाइटी का कारण हो सकता है।

तनाव के स्तर को बढ़ा सकता है क्रोध

क्रोध मानसिक और शारीरिक रूप से तनाव के स्तर को बढ़ा सकता है। यह हृदय गति और रक्तचाप बढ़ाकर प्रतिरक्षा और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है। इससे कई शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।नकारात्मक विचारों और भावनाओं को लगातार दबाए रखने से आत्म-सम्मान, आत्मविश्वास को नुकसान पहुंच सकता है।

कठिन परिस्थितियों में इन भावनाओं को समझने और उसे मैनेज करने की क्षमता विकसित करना जरूरी है । यह न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए फायदेमंद है, बल्कि करियर ग्रोथ के लिए भी जरूरी है।

कैसे गुस्से को कंट्रोल करता है चन्द्रभेदन प्राणायाम ( How Chandra Bhedana Pranayama control anger)

योगाचार्य कौशल किशोर बताते हैं, ‘चंद्र भेदन प्राणायाम (Chandra Bhedana Pranayama or Chandrabhedi pranayama) सांस लेने की एक तकनीक (powerful breathing technique) है, जो चंद्रमा की तरह व्यक्ति में शांत और शीतलता के गुण जोड़ती है। यह तकनीक भावनाओं पर नियंत्रण में मदद करती है। चंद्रभेदन प्राणायाम लेफ्ट नॉस्ट्रिल ब्रीथिंग (left nostril breathing ) भी कहलाता है। चंद्रभेदन प्राणायाम दो शब्दों से मिलकर बना है। जिसमें चंद्र का अर्थ है चंद्रमा और वेधन का अर्थ है प्रवेश करना या तोड़ना।’

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चंद्रभेदन प्राणायाम लेफ्ट नॉस्ट्रिल ब्रीथिंग भी कहलाता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

क्या है चंद्र नाड़ी ( Chandra Nadi)

योगाचार्य कौशल किशोर बताते हैं, ‘सांस लेने के लिए हमारे पास दो नासिका छिद्र हैं। योग में इसे नाड़ी कहा जाता है। इसमें दायीं नासिका को सूर्य नाड़ी (Surya Nadi) और बायीं नासिका को चंद्र नाड़ी के नाम से जाना जाता है। तो, चंद्रभेदन प्राणायाम (Chandra Bhedana Pranayama) बायीं नासिका से सांस लेना है। चंद्रभेदन प्राणायाम एक सरल और प्रभावी सांस तकनीक है।’

जानिए चंद्रभेदन प्राणायाम करने का सही तरीका (How To Do Chandra Bhedana Pranayama in a right way)

• योगाचार्य कौशल किशोर के अनुसार, योग मैट पर आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं। सुखासन में बैठ सकती हैं।
•रीढ़, कमर और गर्दन को सीधा रखें।
• बायां हाथ बाएं घुटने पर रखें। दाहिनी नाक को दाहिने हाथ के अंगूठे से बंद कर लें।
• बायीं नाक से गहरी और लंबी सांस लें। बायीं नाक को हाथ की उंगलियों से बंद कर लें।
• जितना हो सके अपनी सांस को अंदर रोककर रखें।
• फिर दाहिनी नाक से धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
• इस पूरी प्रक्रिया को 5- 10 मिनट तक करें।

गुस्सा कंट्रोल करने के अलावा और भी हैं फायदे (Benefits of Chandra Bhedana Pranayama

चंद्रभेदन प्राणायाम का अभ्यास करने से मानसिक शांति मिलती है। मन प्रसन्न रहता है।
यह प्राणायाम तनाव, चिड़चिड़ापन और अनिद्रा की समस्या को भी कम करता है।
यह हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों के लिए बहुत उपयोगी है।
इससे एकाग्रता और याददाश्त बढ़ती है।
एसिडिटी और खट्टी डकार से राहत मिलती है।

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चंद्रभेदन प्राणायाम का अभ्यास करने से मानसिक शांति मिलती है। चित्र : अडोबी स्टॉक

चंद्रभेदी या चंद्रभेदन प्राणायाम करते समय बरतें सावधानियां (Precautions during Chandra Bhedana Pranayama)

चंद्रभेदी (Chandra Bhedana Pranayama) और सूर्यभेदी प्राणायाम परस्पर विरोधी हैं। इसलिए एक दिन में किसी एक प्राणायाम का ही अभ्यास करें।
जाड़े के मौसम में इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए ।
जिन्हें लो ब्लड प्रेशर, अस्थमा और कफ की शिकायत है, उन्हें यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।

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