पर्यावरण में बढ़ने वाले प्रदूषण के स्तर के कारण फेफड़ों से संबधी समस्याओं का संकट गहराने लगा है। पॉल्यूटेंटस के संपर्क में आने से लोगों को शॉर्टनेस ऑफ ब्रीदिंग की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में योगासनों की मदद से अस्थमा (Asthma) के जोखिम को कम कर फेफड़ों को हेल्दी बनाए रखने में मदद मिलती है। दिन की शुरूआत कुछ आसान योग मुद्राओं और ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ से करने से शरीर एक्टिव और डिटॉक्सीफाई हो जाता है। जानते है, वो आसान ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ (Breathing exercise), जिससे अस्थमा के ट्रिगर्स से बचा जा सकता है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्ग्नाइजेशन (World health organization) के अनुसार अस्थमा की गिनती एक नॉन कम्यूनिकेबल डिज़ीज़ में की जाती है। साल 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक विश्वभर में 262 मीनियन लोग अस्थमा से ग्रस्त हैं। वहीं ग्लोबल अस्थमा रिपोर्ट 2022 के अनुसार भारत मे 35 मीलियन लोग अस्थमा के शिकार है। इसमें से 25 फीसदी लोगों को साल में एक बार अस्थमा के कारण अस्पताल में भर्ती करवाया जाता है। वहीं सालाना अस्थमा से 4.61 लाख लोगों की मौत होती है।
ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (World health organization) की एक सहयोगी संस्था है, की शुरूआत 1993 में हुई। सन् 1998 में ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा की ओर से पहली बार वर्ल्ड अस्थमा डे मनाया गया।
मई महीने के पहले मंगलवार को मनाए जाने वाले इस खास दिन का मकसद लोगों को अस्थमा के बारे में जागरुक करके इसके ट्रिगर्स की जानकारी देना है। इस खास मौके पर अस्थमा के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए जगह जगह वर्कशॉप्स और सेमिनार का आयोजन किया जाता है। इस साल वर्ल्ड अस्थमा डे 2024 (World Asthma Day 2024) की थीम अस्थमा एजुकेशन एम्पावर्स है।
योग एक्सपर्ट डॉ गरिमा भाटिया बताती हैं कि योग का नियमित अभ्यास करने से इनहेलिंग और ब्रीदिंग कपेसिटी में बढ़ोतरी होने लगती है। योग करने से चेस्ट एक्सपैंड होती है और सांस लेने की क्षमता बढ़ने लगती है। वे लोग जो सांस संबधी समस्याओं से ग्रस्त रहते हैं, उन्हें नियमित रूप से योग का अभ्यास करना चाहिए। इससे लंग्स की कपेसिटी बढ़ती है, चेस्ट मसल्स इंप्रूव होते हैं और इम्यून सिस्टम मज़बूत बनता है।
सांस लेने में बढ़ने वाली तकलीफ को दूर करने के लिए अनुलोम विलोम का अभ्यास आवश्यक है। इसे करने के लिए सुखासन में बैठें और फिर अपनी आंखें बंद कर लें। अब अपना पूरा ध्यान अपनी सांस पर केंद्रित कर लें। दाहिने हाथ के अंगूठे को दाईं नासिका पर टिकाएं और बाहिनी ओर से गहरी सांस लें। अब बाई ओा अंगूठे को रखकर धीरे धीरे सांस छोड़ने का प्रयास करें। इसके नियमित अभ्यास से सांस फूलने की समस्या से बचा जा सकता है।
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इस एक्सरसाइज़ को करने के लिए मैट पर बैठ जाएं और आंखें बंद कर लें। अब 1 से लेकर 4 तक गिनती करें और लंग्स में सांस भरें। अब 10 सेकण्ड तक सांस को होल्ड करके रखें। उसके बाद 4 तक गिनती गिनते हुए सांस को रिलीज़ करें। इसके नियमित अभ्यास से इनहेलिंग और एक्सेलिंग में मदद मिलती है। इस एक्सरसाइज़ को ज़मीन पर बैठकर या कुर्सी पर बैठकर भी कर सकते हैं।
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इसे करने के लिए पीठ के बल मैट पर लेट जाएं और गहरी सांस लें। सांस को कुछ सेकण्ड तक पेट में ही रखें। अब दोनों बाजूओं को पेट के पास लेकर आएं और फिर धीरे धीरे सांस को छोड़ें। इस एक्सरसाइज़ को दिन में 2 से 3 बार दोहराने से सांस लेने में होने वाली तकलीफ से बचा जा सकता है। इसे करने से फेफड़ों को मज़बूती मिलने लगती है।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
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शरीर को एक्टिव और एनर्जी से भरपूर बनाए रखने के लिए उद्गीथ प्राणायाम का अभ्यास आवश्यक है। इसके लिए सुखासन मे बैठ जाएं और पीठ को सीधा रखें। अब नाक से सांस लें और आंखें बंद रखें। इसके बाद होठों को थोड़ा सा खोलें और सांस को धीरे धीरे रिलीज़ करें।
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शरीर को रिलैक्स रहने दें और नाक से गहरी सांस लें। सांस लेकर पेट को फुला लें। अब कुछ सेकण्ड तक सांस को होल्ड करके रखें। उसके बाद सांस को बाहर निकालें और पेट को अंदर की ओर खीचें। 4 से 5 बार इस एक्सरसाइज़ को करने से सांस संबधी समस्याओं से राहत मिलने लगती है।
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