फेफड़ों को हेल्दी रखने के लिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ (breathing exercise) को अपने रूअीन वर्कआउट में शामिल करना ज़रूरी है। इससे आपके फेफड़ों की मज़बूती बढ़ती है और अस्थमा जैसी सांस संबधी समस्याओं से राहत मिल जाती है। वे लोग जिनके फेफड़े कमज़ोर है। उन्हें बहुत जल्द धूल मिट्टी से एलर्जी और सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। फेफड़ों को इन समस्याओं से बचाने के लिए कुछ ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ (breathing exercise for lungs) को अपने रूटीन का हिस्सा अवश्य बनाएं।
मस्तिष्क को शांत रखने के लिए भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास बेहद फायदेमंद साबित होता है। इस अलावा इस मुद्रा को करने से आपका सांस के उपर नियंत्रण बना रहता है। इससे आपके फेफड़े स्वस्थ रहते हैं। इसे ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ को रोज़ाना करने से आपका तन और मन संतुलित रहता है।
एक मैट पर प्राणायाम की मुद्रा में बैठ जाएं। उसके बाद दोनों आंखों को बंद करके अपने हाथों को कानों के नज़दीक लेकर आएं।
अब अपनी अनामिका उंगली से दोनों कानों को बंद करें और गहरी सांस लें। अपने पूरे ध्यान को सांस लेने की प्रक्रिया पर केद्रित करें।
इसके बाद अब पेट से हमिंग साउंड निकालें। 30 सेकण्ड से 1 मिनट तक इस मुद्रा में बैठने के बाद सांस छोड़ें। इस प्रक्रिया को 2 से 3 बार दोहराएं।
भ्रमर की ध्वनि आपके तन मन को तरोताज़ा कर देती है।
इस ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ को करने से सांस संबधी समस्याओं को निंयत्रित किया जा सकता है। अनुलोम विलोम एक ऐसी क्रिया है, जो आपको मानसिक तनाव से बाहर रखती है। इसके अलावा आपके शरीर में उर्जा का संचार होता है।
इस योग मुद्रा को करने के लिए मैट पर सुखासन में बैठ जाएं। वे लोग जिनके घुटनों में तकलीफ है। वे कुर्सी पर बैठकर भी इस योग को कर सकते हैं।
अनुलोम विलोम करने से पहले दोनों आंखों को बंद कर लें और मन को शांत रखें। एकचित्त होकर अपना ध्यान केवल सांस लेने और छोड़ने पर रखें।
दांए हाथ के अंगूठे को दाई नासिका पर रखकर बाई तरफ से गहरी सांस लें। अब बाएं अंगूठे को बाई नासिका पर रखकर दाईं तरफ से सांस धीरे धीरे छोड़ें।
सांस लेने और छोड़ने में अगर शरीर को कष्ट होने लगे, तो कुछ देर का विराम लें। 3 से 4 मिनट रोज़ाना करने से फेफड़ों को मज़बूती मिलती है।
लंग्स को हेल्दी बनाए रखने और ब्रीदिंग कपैसिटी को बढ़ाने के लिए लिप ब्रीदिंग को अपने वर्कआउट रूटीन में शामिल करें। बुजुर्ग लोगों के लिए ये मुद्रा बहुत यूज़फल है। इसे करने से शरीर में ऑक्सीजन इनटेक बेहतर होने लगता है। इससे सांस लेने में होने वाली तकलीफ भी कम होने लगती है। साथ ही याददाश्त भी बढ़ने लगती हैं।
इसे करने के लिए सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं। उसके बाद अपनी नासिका से धीरे धीरे सांस लें। अपना ध्यान अपने श्वास पर बनाए रखें।
अब सांस को होठों से छोड़े। इसके लिए हाठों को शिंक कर ले। जिस प्रकार आप कैंण्डल को ब्लो करते हैं। ठीक उसी प्रकार आपको सांस छोड़ना है।
इसे 30 सेकण्ड से लेकर 1 मिनट तक 2 से 3 बार करें।
इस ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ को करने से फेफड़े सुचारू रूप से काम करने लगते है। इसके अलावा ब्लोटिंग और एसिडिटी की समस्या से भी राहत मिल जाती है। शरीर स्वस्थ रहता है और पाचनक्रिया मज़बूत होती है।
इसे करने के लिए पीठ के बल मैट पर लेट जाएं। अब दोनों बाजूओं को मोड़ते हुए हाथों को पेट पर रख लें। इसके बाद गहरी सांस लें।
सांस को कुछ सेकेण्ड के लिए पेट में रखें और फिर धीरे धीरे छोड़ दें। इस प्रक्रिया को 2 से 3 बार दोहराएं।
डायाफ्रामिक ब्रीदिंग को आप खुली हवा में भी कर सकते हैं। इससे फेफड़ों को मज़बूती मिलने लगती है। इससे पेट संबधी समस्याएं भी हल होती हैं।
ये भी पढ़ें- ऑफिस में लगातार काम करने से अकड़ जाती है पीठ, तो इन 4 योगासनों के अभ्यास से मिल सकती है राहत
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करें