आपने भी महसूस किया होगा कि गुस्सा आने पर आपके सांस लेने का तरीका बदल जाता है। कभी-कभी हम बहुत फोकस होकर सांस लेने और छोड़ने लगते हैं। यह डीप ब्रीदिंग या माइंडफुल ब्रीदिंग आपको रिलैक्स कर देती है। यह न सिर्फ तनावमुक्त करता है, बल्कि ठीक ढंग से बिना रुकावट के सांस लेने और छोड़ने से आपके स्वस्थ होने का भी पता चलता (Belly breathing) है। आइये जानते हैं कैसे यह संभव है?
हार्वर्ड हेल्थ में प्रकाशित शोध के अनुसार, बेली ब्रीदिंग या डीप ब्रीदिंग, जिसे डायफ्रामिक ब्रीदिंग के नाम से भी जाना जाता है, का अभ्यास किया जाये, तो यह महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है। धीमी गति से सांस लेने पर मांसपेशियों में तनाव कम हो सकता है। यह समग्र मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रकाशित शोध आलेख के अनुसार, माइंड थेरेपिस्ट या सायकोलोजिस्ट ने लंबे समय से तनाव और क्रोध को कम करने, भय पर काबू पाने में सहायता करने और आराम पहुंचाने के लिए बेली ब्रीदिंग को मान्यता दी है। अक्सर अनियंत्रित तरीके से सांस लेने की प्रक्रिया को खराब पाचन, खराब नींद, ब्लड प्रेशर में वृद्धि, कंसन्ट्रेशन में कमी और ऊर्जा के स्तर में कमी के योगदान के रूप में इंगित किया है।
ब्रीद रिसर्च जर्नल के अनुसार, गहरी सांस लेने के लिए नाक के माध्यम से लगातार और धीरे-धीरे सांस लिया जाता है। फेफड़ों को भरने से पहले अपने पेट को हवा से भरा जाता है। अपने मुंह से सारी हवा बाहर निकालने से पहले कुछ सेकंड के लिए इस सांस को रोकें। फिर धीरे-धीरे और लगातार सांस बाहर निकालें। यह कुछ ऐसा हो कि जैसे बुलबुले उड़ाए जाते हैं। बेली ब्रीदिंग के लिए कुछ इस तरह इनहेल करें जैसे कि एक सुगंधित फूल को सूंघा जाता है। अपने पेट को हवा से इस तरह भरा जाता है जैसे कि एक बड़ा गुब्बारा फुलाया जा रहा हो। सांस लेने की इस प्रक्रिया को कई मिनट तक दोहराकर शरीर को आराम दिया जा सकता है।
जर्नल ऑफ़ ब्रीथ रिसर्च के अनुसार, बेली ब्रीद के लिए एक हाथ को अपनी कमर के ठीक नीचे पेट पर रखें और दूसरा हाथ छाती पर रखें। सामान्य रूप से सांस लें। दोनों हाथों पर ध्यान दें और देखें कि किस प्रकार की सांस का उपयोग किया जा रहा है।
छाती से सांस लेना उतना प्रभावी नहीं होता है, जितना पेट से सांस लेना। फेफड़ों में ब्लड का प्रवाह फेफड़ों के निचले हिस्सों में सबसे अधिक होता है। चेस्ट ब्रीद में हवा का सीमित विस्तार होता है। ब्लड में कम ऑक्सीजन स्थानांतरित होता है और पोषक तत्व भी अच्छी तरह वितरित नहीं होते हैं, जबकि बेली ब्रीद से ये सभी संभव हैं।
शिशुओं का पेट काफी सामान्य रूप से सांस लेता है। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हम सांस लेने की प्रक्रिया को बदलते हैं। इसमें हवा को अंदर लेना और पेट में सोख लेना शामिल है। नियमित रूप से अभ्यास करने पर बेहतर श्वास तकनीक का अनुभव किया जा सकता है, जो समग्र स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती में योगदान दे सकता है।
जर्नल ऑफ़ ब्रीथ रिसर्च में प्रकाशित शोध आलेख के अनुसार, पेट से सांस लेना एक ऐसा अभ्यास है, जिसे नियमित रूप से करना आसान है। इसके लिए कोई एक्सरसाइज इक्विपमेंट खरीदने की ज़रूरत नहीं है। बेली ब्रीदिंग घर, काम या अपनी कार में भी की जा सकती है। दिन में कई बार गहरी सांस लेने का अभ्यास किया जा सकता है।
माइंडफुल ब्रीदिंग से दिन की शुरुआत की जा सकती है और सोने से पहले इसे किया जा सकता है। आप तनावग्रस्त या चिंतित होने पर ऑफिस या घर पर अपनी ऊर्जा को बहाल करने के तरीके के रूप में पेट से सांस लेने का उपयोग किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें :-Liver Day: आपके लिवर के लिए भी जरूरी हैं सूक्ष्म पाेषक तत्व, यहां जानिए लिवर डिटॉक्स करने वाले 5 माइक्रोन्यूट्रिएंट्स
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करें