प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ की बात करें, तो रोज़ाना न जाने कितने प्रकार के तनाव (stress) से होकर गुज़रना पड़ता है। इसका असर हमारे ब्रेन के अलावा त्वचा पर भी पड़ता है। ऐसे में सुदंरता को बनाए रखने के लिए कई प्रकार के प्रोडक्टस का प्रयोग किया जाता है। जो कुछ देर के लिए ताज़गी तो प्रदान करते हैं। मगर त्वचा का नेचुरल ग्लो (natural glow) वापिस नहीं लौटा पाते हैं। दरअसल, दिन ब दिन बढ़ने वाले तनाव से स्किन कई प्रकार से प्रभावित होने लगती हैं। जानते हैं तनाव किस प्रकार से है स्किन के लिए हानिकारक (ways your skin reflect your stress)।
जर्नल ऑफ स्किन एंड ब्यूटी के अनुसार जब आप तनाव (stress) में होते हैं, तो शरीर कई प्रकार से प्रभावित होने लगता है। तनाव स्किन केयर रूटीन की मुश्किलों को बढ़ा देता है। इसके चलते शरीर में कार्टिसोल (Cortisol) और एड्रेनालाईन हार्मोन (adrenaline hormone) का स्तर बढ़ने लगता है। जो शरीर में ऑयल के प्रोडक्शन को बढ़ाता है। इससे मुहांसे, ब्लैक हेड्स, फाइनलाइंस और रैशेज की समस्या बढ़ने लगती है।
इस बारे में एमडी, एमबीबीएस, डर्माटोलॉजिस्ट डॉ नवराज सिंह विर्क का कहना है कि दिनभर तनाव (stress) में रहने से शरीर में स्ट्रेस हार्मोन कार्टिसोल बढ़ने लगता है। इससे त्वचा में कई प्रकार के बदलाव आने लगते है। स्किन पर तेल का उत्पादन बढ़ने लगता है। जो एक्ने का कारण बनने लगता है। तनाव त्वचा की प्रोटेक्शन लेयर को नुकसान पहुंचाता है। इससे त्वचा में कई बार रूखापन भी बढ़ने लगता है। जो झुर्रियों की समस्या को बढ़ा देता है।
सूरज की किरणों से संपर्क में आने से शरीर में कार्सिनोजेनिक का प्रोडक्शन बए़ने लगता है। जो त्वचा की लोच को छीन लेता है। इससे स्किन रूखी और बेजान दिखने लगती है। जो त्वचा पर टैनिंग और एजिंग के खतरे को बढ़ाने लगता है। इससे बचने के लिए सनस्क्रीन को रोज़ाना 2 से 3 बार चेहरे पर अपलाई करें। एसपीएफ 30 से ज्यादा की सनस्क्रीन को 6 घण्टे के बाद दोबारा अप्लाई कर सकते हैं। इसके अलावा सन प्रोटेक्शन के लिए आप ऑलिव, लेवेंण्डर और लेमन ग्रास समेत कई नेचुरल ऑयल का भी प्रयोग कर सकते हैं।
जब आप तनाव में रहते हैं। तो उसका असर त्वचा पर भी दिखने लगता है। नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ हेल्थ के अनुसार तनाव (stress) से चेहरे पर पिंपल्स की समस्या बढ़ जाती है। दरअसल, तनाव के चलते शरीर में हार्मोन इंबैलेंस की स्थिति बनने लगती है। इससे त्वचा में ऑयल प्रोडक्शन बढ़ता है। जो ब्लैक हेड्स और मुहांसों की समस्या को बढ़ा देता है। एक्ने दूर करने के लिए उचित मात्रा में सैलिसिलिक एसिड का प्रयोग किया जाता है। इससे त्वचा क्लीयर होती है और अत्यधिक तेल की समस्या भी दूर होने लगती है।
शरीर में स्ट्रेस हार्मोन कार्टिसोल का बढ़ना बालों के झड़ने का कारण साबित होता है। इसके चलते बालों में रूखापन, स्पिल्ट एंडस और ऑयली स्कैल्प संबधी समस्याएं बढ़ने लगती हैं। इससे बचने के लिए हॉट शावर लेने से बचें। इसके अलावा बालों में नियमित तौर पर ऑयल मसाज व हर्बल शैम्पू का प्रयोग करें। इससे बालों का झड़ना बंद होगा। साथ ही स्कैल्प का पीएच लेवल भी उचित बना रहेगा।
चाहे ऑफिस हो या घर दोहरी जिम्मेदार महिलाओं के जीवन में तनाव के स्तर को बढ़ा देती है। इसका असर चेहरे पर भी दिखने लगता है। फाइन लाइंस और झुर्रियों समेत अर्ली एजिंग के सांइस तनाव के कारण बढ़ने लगते हैं। इससे निजात पाने के लिए त्वचा को मॉइश्चराइज़ रखना ज़रूरी है। इसके अलावा फेशियल मसाज और फेशियल योगा को रूटीन का हिस्सा बना लें। इससे सैगी स्किन की समस्या हल होने लगती है। फेशियल योगा से फोरहेड, आइब्रो और जॉ लाइन के नज़दीक दिखने वाली फाइन लाइंस को कम किया जा सकता है।
नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ हेल्थ के अनुसार जब आपका ब्रेन ओवर बर्डन होने लगता है। तो उस वक्त त्वचा को प्रोटेक्ट करने वाले एबीलिटीज़ अपने आप कम होने लगती हैं। इससे त्वचा पर एलर्जी, रैशेज और एक्यूट डर्माटाइटिस समेत कई प्रकार की समस्याएं बढ़ने लगती है। जो त्वचा पर लालिमा और खुजली का कारण साबित होते हैं। इससे राहत पाने के लिए नेचुरल ऑयल के अलावा एलोवेरा जेल और डॉक्टरी उपचार बेहद ज़रूरी है।
ये भी पढ़ें- इस विंटर सीजन त्वचा में मॉइश्चर को स्टोर कर स्किन ग्लो को बरकरार रखने में मदद करेंगे ये 4 DIY फेस मास्क
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करें