शरीर में कई हॉर्मोन प्रोडयूस होते हैं, जो शरीर की कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं। इसकी अधिकता और कमी दोनों शरीर के लिए नुकसानदेह होती है। ऐसा ही एक हॉर्मोन है कोर्टिसोल। यह चयापचय यानी मेटाबोलिज्म में अहम भूमिका निभाता है। यह तनाव के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया को भी प्रभावित करता है। कुछ एक्सपर्ट और शोध बताते हैं कि वजन बढ़ने और वजन घटने से भी इसका संबंध है। तेजी से वजन कम करने के लिए कोर्टिसोल सीक्रेशन को बढ़ाने के लिए सप्लीमेंट भी बाजार में आ रहे हैं। आइये जानते हैं कि कोर्टिसोल और वेट लॉस में क्या कनेक्शन (Cortisol and weight loss) है।
शारदा हॉस्पिटल में एमडी (इंटरनल मेडिसिन) डॉ. श्रेय श्रीवास्तव बताते हैं, ‘हममें से बहुत से लोग कोर्टिसोल का लो सीक्रेशन पेट की चर्बी बढ़ाने वाला या अधिक वजन होने का एक प्रमुख कारण मानते हैं। कुछ शोध के निष्कर्ष दर्शाते हैं कि कोर्टिसोल लेवल कई तरीकों से वेट रेगुलेशन में शामिल हो सकता है। इसके कारण वजन कम करने का प्रयास करने वाले व्यक्तियों के लिए यह मददगार हो सकता है या बाधा भी बन सकता है।’
डॉ. श्रेय बताते हैं, जब आप सुबह उठती हैं और तनाव में होती हैं, तो शरीर में एडरीनल ग्लैंड कोर्टिसोल रिलीज करती हैं। कोर्टिसोल वास्तव में इम्यून सिस्टम से लेकर पाचन क्रिया तक के लिए काम करता है। सबसे जरूरी बात यह है कि कोर्टिसोल शरीर को ग्लूकोज को जमा करने के लिए अनिच्छुक बनाकर वजन घटाने से जुड़े मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करता है। इसका तात्पर्य यह है कि कोर्टिसोल शरीर को ग्लूकोज को बाद के उपयोग के लिए जमा करने की बजाय शरीर को ऊर्जा देने के लिए कहता है। कोर्टिसोल का हाई कंसन्ट्रेशन शरीर को वजन बढ़ने से बचा सकती है। पर इसका मतलब यह नहीं है कि कोर्टिसोल वजन घटाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
डॉ. श्रेय के अनुसार, कोर्टिसोल सूजन को कम करने, शरीर की वसा को ऊर्जा में जलाने और शुगर लेवल में सुधार करने में मदद करता है। कोर्टिसोल और वजन घटाने के बीच का संबंध व्यक्ति के वर्तमान वजन, जीवनशैली, दैनिक कैलोरी सेवन और शारीरिक गतिविधि पर निर्भर हो सकता है। कोर्टिसोल अक्सर वजन में उतार-चढ़ाव (Cortisol and Weight Loss) से जुड़ा होता है।
कोर्टिसोल की कमी ब्लड शुगर कंसन्ट्रेशन और थायरॉइड फ़ंक्शन को भी प्रभावित कर सकता है। इससे वजन में उतार-चढ़ाव और लो मेटाबोलिक रेट हो सकता है। इमोशनल डिसबैलेंस, अपर्याप्त नींद, अत्यधिक चीनी और कार्बोहाइड्रेट का सेवन, गंभीर संक्रमण, अधिक काम करना, चोट दवाएं आदि कोर्टिसोल में असंतुलन पैदा कर सकते हैं। इससे वजन बढ़ सकता है।
कोर्टिसोल का हार्मोन इंसुलिन के साथ भी जटिल संबंध है। यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है। जब कोर्टिसोल कंसन्ट्रेशन बढ़ता है, तो शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन प्रतिरोधी बन सकती हैं। इसके कारण वजन बढ़ना, ब्लड शुगर में वृद्धि और संभवतः टाइप 2 डायबिटीज हो सकता है। जब कोर्टिसोल का कंसन्ट्रेशन अत्यधिक कम हो जाता है, तो इसे एड्रीनल फेटिग के रूप में जाना जाता है। यदि ऐसा होता है, तो ब्लड शुगर कंसन्ट्रेशन कम हो सकता है। इसके कारण वजन घटने और हाइपोग्लाइसीमिया की समस्या हो सकती है।
कोर्टिसोल कंसन्ट्रेशन थायरॉयड ग्लैंड से हार्मोन उत्पादन को भी काफी हद तक बढ़ावा देती है। उचित थायराइड फ़ंक्शन एक अच्छे चयापचय को बनाए रखने में मदद करता है। लेकिन कोर्टिसोल का हाई और लो कंसन्ट्रेशन थायराइड हार्मोन के निष्क्रिय अवस्था से सक्रिय अवस्था में परिवर्तन को कमजोर कर सकती है। इससे थायराइड की स्थिति कम हो सकती है, जिसके कारण वजन बढ़ सकता है और खराब मेटाबोलिज्म हो सकते हैं।
तनावपूर्ण स्थितियों के लगातार संपर्क में रहने से शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ सकता है। रिलैक्स करने की तकनीक, आहार में बदलाव और सप्लीमेंट लेने से प्राकृतिक रूप से कोर्टिसोल के स्तर को मैनेज करने या कम करने में मदद मिल सकती है।
मैग्नीशियम, पोटेशियम, विटामिन बी और विटामिन के से भरपूर एवोकैडो, केला, ब्रोकोली, डार्क चॉकलेट, सीड्स, यीस्ट, प्रोबायोटिक्स जैसे खाद्य पदार्थ कोर्टिसोल लेवल को मैनेज करने में मदद (Cortisol and Weight Loss) कर सकते हैं।
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