सर्दी का मौसम अपने साथ तमाम तरह की हंसी और खुशी के साथ कई समस्याएं भी लाता है। साधारण मौसमी बीमारियों के अलावा ठंड में कई पुरानी समस्याएं भी सजीव हो जाती है। वहीं, सर्दी के दिनों में लोगों की हार्ट हेल्थ भी काफी ज्यादा प्रभावित होती है। आमतौर पर देखा जाता है कि ठंड में लोगों को साधारण दिनों के मुकाबले अधिक हार्ट अटैक्स का सामना करना पड़ता है।
पिछले कुछ वर्षों में हृदय संबंधी समस्याओं में काफी उछाल आया है। वहीं, वैश्विक स्तर पर हृदय संबंधी समस्याओं के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट बतातीं हैं कि पूरी दुनिया में वर्ष 2019 में कुल 1.80 करोड़ मौतें हृदय से जुडी बीमारियों (Heart Diseases) से हुई, जिनमें से 85 फीसद मौत सिर्फ हृदय गति रुकने या हार्ट अटैक (Heart Attack) से ही गईं। वहीं, भारत के मामले में अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड डाइग्नोस्टिक की एक रिसर्च बताती हैं वर्ष 2015 तक भारत में 6.5 करोड़ लोग हृदय की बीमारियों से पीड़ित थे।
वहीं, अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के द्वारा की गई एक शोध की रिपोर्ट में पता चला है कि सर्दियों के मौसम में सीमित तौर पर होने वाले ब्लड फ्लो के कारण दिल के दौरे का जोखिम बहुत बढ़ जाता है। साथ ही ठंडे तापमान के कारण ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाती है, जिसके कारण हार्ट अटैक का खतरा कई अधिक बढ़ जाता है। वहीं, अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के सर्कुलेशन जर्नल में छपे एक अध्ययन में पाया गया कि लॉस एंजिलिस में ठंड के दिनों यानी नवंबर और दिसंबर में साधारण गर्मी के दिनों से ज्यादा हार्ट अटैक के मामले देखने को मिलते है।
सर्दी के मौसम में होने वाली अत्यधिक हार्ट संबंधी समस्याओं पर नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक रिपोर्ट बताती हैं कि ठंड के दिनों में कई ऐसे कारक होते हैं, जिनके कारण हार्ट अटैक का खतरा का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इन कारकों में गिरता तापमान, विटामिन डी की कमी, बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल लेवल, फिजिकल एक्टिविटी में कमी, हार्मोनल इम्बैलेंस, प्रदूषण और मौसमी इंफेक्शन जैसी चीज़े शामिल है।
वहीं, अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की एक रिपोर्ट बताती हैं कि हाइपोथर्मिया के कारण भी हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है। रिपोर्ट में बताया गया की ठंड के कारण यदि किसी व्यक्ति के शरीर का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस या 95 डिग्री फारेनहाइट से नीचे जाता है, तो ऐसी स्थिति को हाइपोथर्मिया (Hypothermia) कहते है और इसके कारण शरीर आंतरिक रूप से खुद को गर्म नहीं रख पाता, जिसके कारण हार्ट अटैक जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती है।
सर्दियों के दिनों में होने वाले हार्ट अटैक के बारे में और अधिक जानकारी लेने के लिए हेल्थशॉट्स ने मुंबई स्थित नानावटी मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सलिल शिरोडकर से संपर्क किया। डॉ. सलिल ने बताया कि सर्दियों के महीनों के दौरान दिल के दौरे की घटनाएं अधिक होती हैं। वे बताते हैं कि कई शोध बताते हैं कि ठंडे तापमान और दिल के दौरे सहित हृदय संबंधी घटनाओं के बढ़ते जोखिम के बीच कुछ कनेक्शन जरूर है।
सर्दी के दिनों में अधिक हार्ट संबंधी समस्याओं के बारे में डॉ. सलिल बताते है कि वैसे तो इसके पीछे कई कारण है लेकिन कुछ मुख्य कारण इसको अधिक प्रभावित कर सकते है।
1 तापमान में गिरावट: ठंडे तापमान से शरीर में आंतरिक रूप से कुछ जगह कॉन्ट्रैक्शन हो सकता है, जिससे ब्लड वेसल्स छोटी हो जाती हैं। यह कॉन्ट्रैक्शन ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है और हृदय पर दबाव डालता है। वहीं, विशेष रूप से हृदय संबंधी समस्याओं से पहले से पीड़ित लोगों को इससे अधिक समस्या हो सकती है।
2 शारीरिक परिश्रम और ठंड: डॉ सलिल बताते हैं कि ठंड के मौसम में कुछ लोग अत्यधिक शारीरिक परिश्रम कर लेते हैं, जिसके कारण उनके हृदय पर दबाव पड़ता है और वे हृदय संबंधी गंभीर बीमारियों जैसे हार्ट अटैक से पीड़ित हो सकते है।
3 जीवनशैली में बदलाव: सर्दी अक्सर आहार में बदलाव लाती है, जिसमें अत्यधिक फैट और शुगर जैसे भारी भोजन की खपत बढ़ जाती, जो हृदय स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। ठंडे मौसम के कारण शारीरिक गतिविधि कम होने से हृदय संबंधी फिटनेस पर भी असर पड़ सकता है।’
सर्दी में हृदय संबंधी समस्याओं से बचने के लिए डॉ.सलिल ने कुछ आसान लेकिन महत्वपूर्ण उपाय सुझाएं हैं, जिनका प्रयोग करके हम ठंड के दिनों में खुद को स्वस्थ बनाएं रख सकते है।
अक्सर ठंड में लोग अपनी शारीरिक क्षमता से ज्यादा व्यायाम करने लगते हैं, जिसके कारण उनके हृदय पर अत्यधिक दबाव महसूस होता है और वे हृदय संबंधी समस्याओं से पीड़ित हो सकते है। इस समस्या से बचने के लिए डॉ.सलिल बताते हैं कि ऐसे में आप हलके व्यायाम जैसे इनडोर वर्कआउट और रनिंग या वॉकिंग जैसी शारीरिक गतिविधियां कर सकते है।
ठंड के दिनों में कई ऑप्शंस होने के कारण हम अक्सर अस्वस्थ आहार लेने लगते है, जिसके कारण हमारा हृदय प्रभावित होता है। ऐसे में नामक और ट्रांस फैट (Trans Fat) युक्त चीज़ों को हमें सीमित करना चाहिए और उसके साथ ही फलों, सब्जियों, और प्रोटीन-रिच सहित अन्य पैष्टिक तत्वों युक्त आहार ग्रहण करना चाहिए।
ठंड के समय दिन छोटे होते है और राते बढ़ी। जिसका अर्थ है कि सर्दी के समय सनलाइट कम रहती है, जिसके कारण व्यक्ति का स्लीप शेड्यूल बिगड़ने की संभावना होती है। ऐसे में, आपको पर्याप्त नींद लेनी चाहिए और तनावमुक्त रहना चाहिए।
अगर आपको पहले से ही हृदय संबंधी समस्याओं की शिकायत हैं, तो आपको नियमित रूप से ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और समग्र स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी करनी चाहिए। स्वास्थ्य में किसी भी तरह के उतार-चढ़ाव या चिंता को प्रबंधित करने के लिए आपको तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।
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