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88 फीसदी बच्चे करते हैं सिरदर्द का सामना, जानिए इसके कारण और बचाव के उपाय

खानपान और लाइफस्टाइल बदलने के कारण अब बच्चों में भी वे परेशानियां देखी जाने लगी हैं, जो कभी बड़ी उम्र में जाकर हुआ करती थीं। इसलिए इन पर गंभीरता से ध्यान देना बहुत जरूरी है।
Published On: 23 Mar 2024, 02:00 pm IST
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सभी चित्र देखे Bacchon mei sirdard ke kaaran
मोबाइल का बढ़ता चलन बच्चों में न्यूरोलॉजिकल विकारों के जोखिम को बढ़ा रहा है। चित्र : शटरस्टॉक

बच्चों के लाइफस्टाइल में आने वाले परिवर्तन का असर उनकी ओवरऑल हेल्थ पर नज़र आने लगता है। आउटडोर एक्टीविटीज़ के कम होने के अलावा मोबाइल का बढ़ता चलन बच्चों में न्यूरोलॉजिकल विकारों के जोखिम को बढ़ा रहा है। इसके चलते सिरदर्द की समस्या बच्चों में आमतौर पर देखने को मिलती है। कई कारणों से बच्चों में ये समस्या लगातार बढ़ रही है, जो माता पिता के लिए एक चिंता का विषय है। छोटे बच्चों में बढ़ रहे सिरदर्द की समस्या से निपटने के लिए इन टिप्स को फॉलो करें।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार सिरदर्द बच्चों में सामान्य तौर पर पाए जाने वाले न्यूरोलॉजिकल विकारों में से एक है। बचपन में 88 फीसदी बच्चे इस समस्या का सामना करते हैं, जो कई कारणों से बढ़ने लगता है। रिसर्च के अनुसार 8 से लेकर 18 साल के लोगों में सिरदर्द मुख्य रूप से देखने को मिलता है।

बच्चों में बढ़ने वाली सिरदर्द की समस्या को कैसे सुलझाएं

1. पर्याप्त नींद है आवश्यक

इस बारे में पीडियाटरिक डॉ अभिषेक नायर बताते हैं कि सोने और उठने का नियमित समय बच्चों की मेंटल हेल्थ को फायदा पहुंचाता है। इससे बच्चा दिनभर एक्टिव और फुर्तीला बना रहता है। नींद पूरी न होने से बच्चों के सिर में दर्द की समस्या बढ़ने लगती है, जिससे बच्चों को किसी काम पर फोकस करने में भी तकलीफ का सामना करना पड़ता है। ऐसे में समय से सोना और उठना आवश्यक है।

Bacchon ko samay se sulayein
बच्चों को सुलाने के लिए समय का निर्धारण करें। चित्र अडोबी स्टॉक

2. उचित आहार लें

एनआईएच की रिपोर्ट के अनुसार बच्चों को नियम के अनुसार खाने के लिए भरपूर डाइट दें। उचित और हेल्दी मील से बच्चों का स्वस्थ्य उत्तम बना रहता है। वे बच्चे जो समय से आहार नहीं लेते है, उन्हें गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं जैसे उल्टी, पेटदर्द, भूख न लगना और सिरदर्द जैसी परेशानियों से होकर गुज़रना पड़ता है। बच्चों की डाइट में सभी पोषक तत्वों को शामिल करें और उन्हें 2 से 3 घण्टे के गैप में स्मॉल मील्स देना न भूलें।

3. व्यायाम को रूटीन में शामिल करें

वे बच्चे जो दिनभर आउटडोर एक्टीविटीज़ में एगेंज रहते हैं, वे न केवल एनर्जी से भरपूर बल्कि एनका इम्यून सिस्टम भी मज़बूत बना रहता है। ऐसे में दिनभर में कुछ वक्त बच्चों की एक्सरसाइज़ के लिए निकालें। इससे मांसपेशियां मज़बूत बनती हैं और शरीर में थकान बढ़ती है, जिससे नींद की गुणवत्ता में भी सुधार आने लगता है। साथ ही बच्चे में एकाग्रता बढ़ने लगती है।

4. तनाव से रखें दूर

हर वक्त बच्चों को डांटना और उन्हें पढ़ने के लिए प्रेशराइज़ करना माता पिता और बच्चे के मध्य बॉन्ड को कमज़ोर बनाता है। साथ ही बच्चों के अंदर पेरेंटस का ये व्यवहार तनाव और सिरदर्द का कारण साबित होता है। बच्चों की मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने के लिए उसे किसी भी प्रकार के तनाव से न घिरने दें, जिससे बच्चे न्यूरोलॉजिकल विकारों से दूर रहते हैं।

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हर वक्त बच्चों को डांटना और उन्हें पढ़ने के लिए प्रेशराइज़ करना माता पिता और बच्चे के मध्य बॉन्ड को कमज़ोर बनाता है। चित्र: शटरस्टॉक

5. स्क्रीन टाइम घटाएं

स्कूल और पढ़ने के बाद बाकी का समय स्क्रीन के सामने बिताने से बच्चों की आंखों पर उसका बुरा प्रभाव पड़ता है, जो सिरदर्द की समस्या का बढ़ा देता है। ऐसे में स्क्रीन टाइम को लिमिटेड करें, ताकि बच्चों में बढ़ रही सिरदर्द की समस्या को दूर किया जा सके। आंखों के स्वास्थ्य को उत्तम बनाए रखने के लिए कुछ वक्त नेचर के करीब बिताएं। रिसर्च के अनुसार अत्यधिक स्क्रीन समय सिरदर्द को ट्रिगर करता है। देर तक स्क्रीन के सामने रहने से आंखों में तनाव बढने लगता हैं। स्क्रीन से निकलने वाली रोशनी माइग्रेन का कारण साबित होती है।

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लेखक के बारे में
ज्योति सोही
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

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