बहुत से ऐसे बच्चे हैं जो खाने में बेहद नखरे करते हैं। ऐसे में पेरेंट्स इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं, कि आखिर बच्चों की डाइट को कैसे मैनेज किया जाए। अगर आपका बच्चा भी खाना नहीं खाता या हर बार खाने को पूछने पर “भूख नहीं है” कहते हैं, तो आपको इसपर ध्यान देना चाहिए। बच्चे सारे ट्रिक रूप से सक्रिय रहते हैं और उनका मेटाबॉलिज्म भी हाई होता है, ऐसे में बच्चों को अधिक भूख लगनी चाहिए। पर अगर आपके बच्चे को भूख नहीं लग रही है, तो इस पर चिंतन कर इसके कारण समझने की कोशिश करें। कारण जानने के बाद आपके लिए उपचार ढूंढना सरल हो जाएगा। भूख की कमी के कारण बच्चों को आवश्यक पोषण नहीं मिल पाता, जो कि उनके हेल्दी ग्रोथ और डेवलपमेंट के लिए भी उचित नहीं है।
बच्चों में ऐपेटाइट की कमी को समझने के लिए हेल्थ शॉट्स ने सीके बिड़ला हॉस्पिटल गुरुग्राम के नियोनेटोलॉजी एंड पीडियाट्रिक्स, लीड कंसल्टेंट डॉ. सौरभ खन्ना से बात की। डॉक्टर ने बच्चों को कम भूख लगने के कारण (low appetite in children) बताते हुए उन्हें मैनेज करने के टिप्स भी दिए हैं, तो चलिए जानते हैं इस बारे में अधिक विस्तार से।
डॉक्टर के अनुसार “बच्चों में कम भूख लगना विभिन्न परिस्थितियों के कारण हो सकता है, जिसमें छोटी समस्या से लेकर अधिक गंभीर अंतर्निहित विकार भी शामिल हैं। सर्दी या फ्लू एक ऐसी बीमारी है, जो कंजेशन या मतली जैसे लक्षणों के कारण भूख को कम कर सकती है। तनाव, चिंता या आदत में बदलाव जैसे भावनात्मक मुद्दे बच्चे की खाने की इच्छा को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, दवाइयां या चिकित्सा विकार जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कठिनाइयों या संक्रमण के कारण भूख में कमी आ सकती है।
पोषण संबंधी असंतुलन या कमी भी इसमें एक अहम भूमिका निभाती है, खासकर अगर किसी युवा को वृद्धि और विकास के लिए पर्याप्त विटामिन और मिनरल्स नहीं मिलते हैं। माता-पिता के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने बच्चे की खाने की आदतों पर ध्यान दें और यदि कम भूख बनी रहती है, या अन्य परेशानी भरे लक्षण नजर आते हैं, तो चिकित्सकीय सहायता लें।
फूड सेंसटिविटी
अच्छा महसूस न करना
कांसेपशियन
कंजेशन
कुछ प्रकार की दवाइयां खासकर एंटीबायोटिक
फीवर, फ्लू और कोल्ड
मेंटल स्ट्रेस और डिप्रेशन
नियमित आहार में अलग-अलग वैरायटी के हेल्दी खाद्य पदार्थों को शामिल करें। इससे बच्चे एक ही खाना खाकर बोर नहीं होते और उन्हें वैरायटी मिलती है, तो वे अलग-अलग खाद्य पदार्थों के माध्यम से आवश्यक पोषण लेते हैं। लंच के समय विशेष ध्यान दें, बिल्कुल लाइट लंच रखें।
एक्सपर्ट के अनुसार बच्चों को बार-बार खाना खाने के लिए प्रेशराइज न करें, अन्यथा वे इसके विपरीत काम कर सकते हैं। जितना अधिक प्रेशर डालेंगी बच्चे खाने से उतने दूर भागेंगे। दबाव बनाने की जगह उन्हें खाना खिलने के अन्य हेल्दी विकल्प तलाशें।
डॉक्टर के अनुसार यदि बच्चे को भूख नहीं लगती है तो उन्हें कोई नई डिश और नया फूड ट्राई करने के लिए प्रेरित करें। इससे उन्हें अलग-अलग खाद्य पदार्थों को खाने की आदत लगेगी और उन तक जरूरी पोषण भी पहुंचेगा।
यदि आपका बच्चा थोड़ा समझदार है, तो उन्हें कुकिंग करते वक्त अपने आस पास रखें। हालांकि, यह ध्यान रखिए कि बच्चे गैस के आसपास न जाए, इससे बच्चों में खाद्य पदार्थों को खाने की जिज्ञासा उत्पन्न होती है।
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बच्चों के खाने का एक उचित समय निर्धारित करना बहुत जरूरी है। उन्हें खाने के वक्त खुद ब खुद भूख का अनुभव होता है। इसके अलावा उनके दो मिल के बीच के गैप को भी निर्धारित करें, ताकि वे उन्हेल्दी स्नैकिंग न करें। हालांकि, यदि बच्चा कभी कभार अपना मिल स्किप करना चाहता है, तो उन पर प्रेशर न बनाएं इससे सकारात्मक की जगह नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है।
जब बच्चे खाना खा रहे होते हैं, तो उन्हें किसी भी चीज से डिस्ट्रैक्ट न होने दें। टीवी, लैपटॉप, मोबाइल फोन, खिलौने आदि को अपनी डाइनिंग टेबल से बहुत दूर रखें। क्योंकि अक्सर बच्चे अन्य गतिविधियों में उलझ जाते हैं और खाने पर ध्यान नहीं देते। वहीं यह आदत बन जाती है और फिर उन्हें भूख नहीं लगती।
बच्चों में शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा दें। इससे उनका कैलरी बर्न होता है, साथ ही उन्हें भूख भी महसूस होता है। बच्चों को मॉर्निंग वॉक पर ले जा सकती हैं। साथ ही शाम को उन्हें शारीरिक गतिविधियों में पार्टिसिपेट करने को कहे। इंडोर जेम्स की जगह आउटडोर गेम खेलने की आदत बनाएं।
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