महिलाओं के शरीर में उम्र के साथ बढ़ने वाली पोषक तत्वों की कमी और बैठने का गलत पोश्चर कमर दर्द की समस्या के बढ़ने का मुख्य कारण साबित होते हैं। इसके चलते दिनभर होने वाला पीठ, कमर और हिप्स का असहनीय दर्द महिलाओं की चिंताओं को बढ़ा देता है। शरीर में गतिशीलता की कमी भी हड्डियां को कमज़ोर बनाने लगती है, जिससे मसल्स में ऐंठन की समस्या बढ़ जाती है। जानते हैं किन कारणों से बढ़ने लगता है कमर का दर्द और इससे कैसे राहत पाएं (Common spine issues)।
रीढ़ हड्डियों से बनी होती है जिसे वर्टेब्र कहा जाता है। डिस्क सभी हड्डी के बीच कुशनिंग के रूप में मौजूद होती है। इसमें से जब एक डिस्क हर्नियेटेड हो जाती है, तो इसका मतलब है कि कुशनिंग अपनी जगह से हिल गई है। इसके चलते पेन और डिसकंर्फट की समस्या बढ़ने लगती है। हांलाकि उमग के साथ स्पाइनल डिस्क में वियर एंड टियर की प्रक्रिया चलती रहती है। हर्नियेटेड डिस्क का अपनी जगह से हिच जाना बैक पेन, नंबनेस, टिंगलिंग और मसल वीकनेस का कारण साबित होता है।
लंबे वक्त तक बैठना, स्ट्रेस या गलत पोश्चर मांसपेशियांं में बढ़ने वाले स्ट्रेन का कारण बनने लगता है। एक ही जगह पर एक ही पोज़िशन में घंटों तक बैठने से पीठ में ऐंठन की समस्या बढ़ने लगती है, जो टांगों तक पहुंचकर दर्द को बढ़ा देती हैं। इससे नर्वस तनावग्रस्त हो जाती हैं, जो नेक पेन, पीठ में दर्द व जकड़न का कारण साबित होती है। वॉक व स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ की मदद से मांसपेशियों में बढ़ रहा खिंचाव अपने आप कम होने लगता है।
स्कोलियोसिस उस समस्या को कहते हैं जिसमें रीढ़ की हड्डी धीरे धीरे नीचे की ओर झुकने लगती है। मामूली दिखने वाली ये समस्या गंभीर होती चली जाती है। कॉम्परीहेन्सिव स्पाइन इंस्टीट्यूट के अनुसार अमेरिका में 9 मिलियन लोग इस समस्या से ग्रस्त है। रिसर्च के अनुसार स्कोलियोसिस की श्ुरूआत बचपन या किशोरावस्था से होने लगती है। इस समस्या से ग्रस्त लोगों के कंधों में असमानता, रिब केजीज़ की हाइट में अंतर और हिप्स सामान्य से ज्यादा उठे हुए दिखते हैं।
साइटिका नर्व लोअर बैक से होती हुई टांग तक जाती है। इस परेशानी से ग्रस्त व्यक्ति के पीठ के निचले हिस्से में दर्द, सुन्नता या कमजोरी महसूस होने लगती हैं। इसके चलते चलने फिरने में परेशानी होती है और पैर में सेंसेशन होने लगती हैं। ये समस्या हर्नियेटेड डिस्क या स्पुर बोन के कंप्रैस होने के कारण बढ़ती चली जाती है। फिज़िकन थेरेपी, स्टेरॉयड इंजेक्शन और कायरोप्रैक्टर की मदद से इस दर्द को दूर करने में मदद मिलती हैं। इस समस्या से राहत पाने के लिए पेन किलर, मसल रिलेक्सेंट व एंटी इंफलामेटरी दवाएं दी जाती हैं।
हड्डियों में बढ़ने वाली कमज़ोरी ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को बढ़ा देती है। इसके चलते हाथों, पैरों व घुटनों में सूजन की समस्या बनी रहती है। इसके अलावा बाजू, रीढ़, पैर और कूल्हों में फ्रैक्चर का खतरा बना रहता है। इससे रीढ़ की हड्डी सबंधी समस्याएं बढ़ने लगती है और इसमें कार्टिलेज व ज्वाइंट दोनों गंभीर अवस्था में चले जाते हैं। इससे हड्डी में सूजन और दर्द बना रहता है। इससे राहत पाने के लिए मसाज, व्यायाम और हेल्दी वेट मेंटेन रखें।
मसल्स में बढ़ने वाली सिटफनेस और एक्सेसिव वेटगेन कमर में दर्द की समस्या को बढ़ाने लगता है। नर्वस के क्प्रैंस होने से बैक पेन आरंभ होने लगता है। इसके लिए दिनभर में कुछ वक्त मॉडरेट एक्सरसाइज के लिए निकालें। इसके अलावा साइकलिंग और रंनिंग भी मांसपेशियों की ऐंठन को दूर करने में मदद करता है।
शरीर में कैल्शियम और आयरन की कमी से जल्द थकान और हड्डियों में दर्द महसूस होती है। इसके लिए मील में कैल्शियम व आयरन इनटेक को बढ़ाएं। इससे जोड़ों के दर्द के अलावा कमर दर्द से राहत मिलती है। कैल्शियम की उचित मात्रा लेने से हड्डियों पर प्रभाव नहीं पउ़ता है। इससे हड्डियों की मज़बूती बढ़ने लगती है।
देर तक बैठना और खड़ा होना दोनों ही चीजें स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित होती है और इससे कमर का दर्द बढ़न लगता है। कमर में होने वाला दर्द शरीर में कई परेशानियों का कारण बनता है। इससे राहत पाने के लिए तेल को हल्का गुनगुना करके प्रभावित जगह पर लगाएं। ऑयल मसाज से स्टिफनेस कम होने लगती है और शरीर का लचीलापन भी बढ़ने लगता है।
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