आज के तेज़ी से बदलते परिवेश और अस्वस्थ होती जीवनशैली कई तरह से व्यक्ति को प्रभावित कर रही है। बिगड़ते स्वास्थ्य से लेकर तमाम बीमारियों तक अब अधिकतर व्यक्ति अस्वस्थ ही दिखाई पड़ता है। इन्हीं बीमारियों में से एक ‘थायरॉइड’ की समस्या इन दिनों बहुत आम बन गई है। आमतौर पर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में थायरॉइड की समस्या अधिक होती है।
एसआरएल डायग्नॉस्टिक की एक रिपोर्ट में यह पाया गया कि भारत में हर 8 में से 1 महिला थायरॉइड से पीड़ित हैं। वहीँ, 2021 में आई एनसीबीआइ की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में कुल 42 मिलियन थायरॉइड पेशेंट हैं।
वहीं, स्वाभाविक तौर पर हमारे आहार का हमारे शरीर पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। इसलिए अगर आपको थायरॉइड की समस्या हैं, तो कई ऐसे फूड्स हैं जिन्हे आपको अवॉइड करना चाहिए नहीं तो आपको बहुत बड़ी स्वास्थ्य समस्या हो सकती है।
थायरॉइड के बारे में अधिक जानकारी लेने के लिए हेल्थशॉट्स ने मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, देहरादून में कंसल्टेंट एंड्रोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. श्रेया शर्मा से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि थायराइड गर्दन के क्षेत्र में स्थित एडम्स एपल के नीचे एक तितली के आकार की ग्रंथि होती है, जो थायरोक्सिन नामक हार्मोन का उत्पादन करती है, जिनमें ट्रायडोथायरॉक्सीन (T3) और थायरॉक्सीन (T4) शामिल होते हैं।
थायरोक्सिन शरीर में सभी अंग प्रणालियों के विकास और सामान्य कामकाज को विनियमित करने के लिए आवश्यक होता है । इसके साथ ही शरीर में चयापचय, विकास और ऊर्जा के स्तर को विनियमित करने में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
थायरॉयड के द्वारा उत्पन्न होने वाली समस्याएँ, जैसे कि हाइपरथायरॉयडिज़म (hyperthyroidism) और हाइपोथायरॉयडिज़म (hypothyroidism), शरीर के सामान्य कार्यों को प्रभावित कर सकती हैं और कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनती हैं।
थायरॉइड के लक्षणों की बात करें तो इसके मुख्यतः कई लक्षण दिखाई पड़ते हैं। थायरॉइड में तेज़ी से वजन बढ़ना या कम होना, थकान और भारीपन की अनुभूति होना, असमय ठंड लगना, बालों का पतला हो जाना और बालों का झड़ना, त्वचा का ड्राई हो जाना और कब्ज़ या पेट में सूजन होना मुख्य लक्षण होते हैं।
थायरॉइड के इलाज पर बात करते हुए डॉ. श्रेया शर्मा बताती है कि थायरॉयडिज़्म एक चिकित्सीय स्थिति है, जो तब होती है जब आपकी थायरॉयड ग्रंथि सुस्त हो जाती है और पर्याप्त थायराइड हार्मोन का उत्पादन नहीं करती है। यह कई कारणों से हो सकता है, जिसमें ऑटोइम्यून रोग भी शामिल हैं, जहां प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से थायरॉयड ग्रंथि पर हमला करती है, या यह कुछ चिकित्सा उपचारों के बाद या प्राकृतिक उम्र बढ़ने की प्रक्रिया के कारण हो सकता है।
एक बार निदान हो जाने पर, उपचार में आमतौर पर लेवोथायरोक्सिन नामक थायराइड हार्मोन का सिंथेटिक रूप लेना शामिल होता है। यह दवा आपके शरीर में हार्मोन की कमी को पूरा करने में मदद करती है और थायरायडिज्म के लक्षणों को कम कर सकती है। दवा को अच्छे अनुपालन के साथ खाली पेट लिया जाना चाहिए। उचित उपचार और नियमित निगरानी के साथ, अधिकतर लोग सामान्य, स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
डाइट को लेकर डॉ. श्रेया बतातीं हैं कि आम तौर पर, अंडरएक्टिव थायरॉयड को रोकने या उसे क्योर करने के लिए कोई पहले से प्रोवेन डाइट नहीं हैं, लेकिन संतुलित आहार खाने से थायराइड की स्थिति स्वस्थ रहती है। थायरॉइड की स्थिति को और बिगड़ने से बचने के लिए इन चीज़ों से दूरी रखनी चाहिए।
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कस्टमाइज़ करेंसोया में गोइट्रोजेन की काफी मात्रा होती है, जो थायरॉयड को काफी प्रभावित करता है, इसलिए इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
थायरॉइड में गोभी, ब्रोकली, बंदगोभी, ब्रसल्स स्प्राउट्स आदि जैसी सब्जियों को भी नहीं खाना चाहिए क्योंकि इनमें भी गोइट्रोजेन होता है, जो थायरॉइड की स्थिति को अधिक बिगाड़ सकता है ।
अधिक मात्रा में कॉफीन का सेवन करना थायरॉयड के लिए हानिकारक होता है, क्योंकि यह थायरॉयड हॉर्मोन की उत्पत्ति को प्रभावित कर सकता है।
अधिक मात्रा में प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन करना स्वस्थ थायरॉयड कार्यक्षेत्र को प्रभावित करता है।
वहीं, आपके आहार में बहुत अधिक फाइबर शरीर को दवा को अवशोषित करने से रोक सकता है यदि इसे दवा के साथ लिया जाता है, इसलिए थायराइड की दवा और भोजन के साथ-साथ कैल्शियम, आयरन और अन्य दवाओं के बीच आधे से एक घंटे का अंतर बनाए रखना चाहिए।
वही, डॉ.श्रेया बतातीं हैं कि आहार में पर्याप्त मात्रा में आयोडीन लेना थायराइड के ठीक से काम करने के लिए आवश्यक है। इसलिए आयोडीन युक्त नमक के नियमित सेवन की वकालत की जाती है। यह उन महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो गर्भवती हैं क्योंकि गर्भावस्था और प्रारंभिक जीवन के दौरान बच्चे के मस्तिष्क के विकास को सुनिश्चित करने के लिए इसकी आवश्यकता बहुत अधिक होती है।
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