किशोरावस्था एक ऐसी उम्र होती है जहां बड़े हो रहे बच्चे कई तरह के उतार-चढ़ाव से होकर गुजर रहे होते हैं। वे चीजों को अलग तरह से देखने की कोशिश करते हैं। पर अनुभव की कमी उन्हें उसके इम्पैक्ट के प्रति लापरवाह रखती है। यही वजह है कि इस उम्र में जनरेशन गैप सबसे ज्यादा महसूस होने लगता है। इस उम्र के ज्यादातर बच्चे अपने परिवार और पेरेंट्स की बजाए बाहर और दोस्तों से अधिक प्रभावित होते हैं। ऐसी स्थिति में उनका एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होना या प्रेम में पड़ जाना असामान्य नहीं है। मगर आपके लिए यह स्थिति चिंताजनक हो सकती है। जानिए ऐसी स्थिति में आपको क्या करना चाहिए।
माता-पिता होने के नाते यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप बच्चों की सभी तरह की भावनाओं को समझें। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं उनमें कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते है। उनके शरीर, बरताव, पसंद मे भी बदलाव आता है। अगर वे इस उम्र में दूसरे जेंडर के प्रति आकर्षक महसूस कर भी रहें है तो इसमें कोई गलत चीज नहीं है आपको इसके लिए उन्हें डराने या गुस्सा करने की बजाए बात करने की जरूरत है।
ये उम्र शायद एक ऐसी उम्र होती है कि बच्चे को अपने माता-पिता की सारी बातें बुरी लगे। ऐसे में बच्चे किसी ऐसे का साथ ढुंढने लगते है जो उनसे उनकी तरह की ही बाते करे। प्यार करना या अपने लिए किसी को पसंद करने में कोई गलत चीज नहीं है लेकिन माता पिता कि चिंता ये होती है कि वे किसी गलत इंसान या किसी गलत रास्ते पर न चला जाए।
रिलेशनशिप के लिए एक सही उम्र होती है। तब जब आप सही-गलत चीजों और इंसानों के अंतर को समझ सकें।
क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव कहते हैं, “बच्चों पर बिना कठोर हुए भी उनसे जरूरी मुद्दों पर बात की जा सकती है। पर इसके लिए आपको सबसे पहले चीजों को समझना होगा।
आप अपने बच्चों को से जब भी बात करें, तो उन्हें ध्यान से सुनें और आलोचना करने या कड़ी प्रतिक्रिया दिखाने से बचें, भले ही आप हैरान या चिंतित हों। यदि आपका किशोर ऐसे प्रश्न पूछता है जो आपको असहज करते हैं या आप उनके उत्तर नहीं जानते हैं, तो उस पर जानकारी हासिल करें।
सामान्य तौर पर, किशोरों को डेटिंग सलाह देते समय, वे क्या कर सकते हैं और क्या नहीं, इसके बारे में कोई रूल बनाने के बजाय सुझाव और प्रोत्साहन दें।
कई बार किशोर कुछ चीजों को समझ नहीं पाते हैं और वे टॉक्सिक लोगों के प्रति भी आकर्षित होने लगते हैं। उन्हें वह शायद प्यार लग सकता है। वो उस बरताव से शायद दुखी भी हो सकते हैं, लेकिन उन्हें उस बारे में कुछ समझ ही नहीं आ रहा हो ऐसा भी हो सकता है।
आपको इस चीज का ध्यान रखना चाहिए कि आपका बच्चा अपने किसी दोस्त या साथी के टॉक्सिक व्यवहार को नॉर्मल न मान रहा हो।
किशोरों के मन में रोमांस और प्यार के बारे में अवास्तविक विचार हो सकते हैं जो उन्होंने फिल्मों और टीवी से सीखे हो सकते हैं। उन्हें याद दिलाएं कि सच्चा प्यार हमेशा परफेक्ट और ग्लैमरस नहीं होता। सच्चे प्यार का अर्थ है अपनी सभी खामियों और खूबियों के साथ स्वतंत्र महसूस करना और दूसरे व्यक्ति को भी वैसे ही स्वीकार करना जैसे वह है।
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कस्टमाइज़ करेंकिशोरावस्था में शायद बच्चे अपनी प्राथमिकताओं को समझ नहीं पाते है उन्हें अपने मित्रों के साथ समय बिताना, सोशल मीडिया अच्छा लग सकता है। लेकिन आपको बच्चों को आराम से ये समझाना चाहिए कि पढ़ाई, करियर, अनुशासन इस समय आपकी प्राथमिकता होना चाहिए।
यदि आपका कोई दोस्त है जिसको आप डेट करना चाहते है उनके लिए कुछ बाउंड्री बनाएं ताकि वो आपके पढ़ाई, सपनों और आपके करियर को बाधित न करें। ये चीजें शायद उनको एक अच्छा फैसला लेने में मदद कर सकती है।
उन्हें कुछ सीमाओं के बारे में बताएं जो उन्हें रिलेशनशिप में पता होनी चाहिए। उन्हें ये बताने की जरूरत है कि किसी को अपनी स्वतंत्रता खत्म न करनें दें, किसी को अपने मानसिक शांति को ठेस न पहुंचाने दें। अगर कोई ऐसा करता है तो उसे वहीं रोकें।
उन्हें सेक्स के बारे में जानकारी दें कि ये कब करना सही है, कैसे पार्टनर के साथ करना सही है या गुड सेक्स और बैड सेक्स क्या होता है, सेफ सेक्स के बारे में बताएं। आप उनसे जितना इसके बारे में बात करेंगे उतनी ही कम संभावना होगी कि वे किसी गलत इंसान के साथ इसे करें।
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