अक्सर सर्दियों में कभी कमर दर्द, तो कभी टांगों में ऐंठन का सामना करना पड़ता है। अक्सर लोग इस समस्या केलिए दवाओं की मदद लेते है। मगर मां की रसोई में मौजूद कुछ हेल्दी खाद्य पदार्थ इसमें आपकी मदद कर सकते है। अक्सर माँ और दादी की रसोईमें हर दर्द की दवा मिल जाया करती है। वहीं कमरदर्द के लिए वो हमेशा कमरकस का सेवसन करने सलाह देती थीं। माँ का कहना है कि कमरकस में पीठ के दर्द को दूर करने के कुछ जादुई गुण पाए जाते है! आइए जानते हैं कमरकस क्यों है खास।
सर्दियों में अक्सर माँ रसोई में लड्डू बनाया करती थीं। अक्सर बेसन और गोंद के लड्डू ही बनाए जाते थे। मगर एक दिन मां ने मुझसे कमरकस के लड्डू बनाने की भी रेसिपी शेयर की। पहले पहल मैं इन लड्डूओं के फायदों को सुनकर हैरान रह गई और फिर इसकी आसान रेसिपी ने काफी प्रभावित किया। दरअसल, गोंद के ही समान सूखे मेवों में मिलाकर कमरकस से लड्डू तैयार किए जाते हैं, जो पीठ दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं।
कमरकस की गिनती एक भारतीय मसालों में की जाती है। इसकी प्राप्ति पलाश यानि फ्लेम.ऑफ़.द.फ़ॉरेस्ट या बास्टर्ड टीक नामक एक एशियाई पेड़ के गोंद या रेजिन से होती है। इस पेड़ के गोंद को बंगाल कीनो, चुनिया गोंद और ब्यूटिया गोंद के नाम से जाना जाता है। ये अपने औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है। इसे कमरकस के नाम से जानते हैं।
डायटीशियन अवनी कौल ने बताया कि कमरकस में एंटीऑक्सीडेंट की उच्च मात्रा पाई जाती है। कमरकस पाउडर का इस्तेमाल रेसिपी में स्वाद जोड़ने के लिए किया जाता है। इसके औषधीय गुणों के कारण इसे अनिद्रा, पेट दर्द और कमर दर्द जैसी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने के लिए हर्बल उपचार के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। कौल कहती हैं, कमरकस रक्त और लिम्फ ड्रेनेज को बढ़ावा देने में सहायता करता है। इससे शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को दूर किया जा सकता है।
महिलाओं में डिलीवरी के बाद बढ़ने वाली मसल्स पेन की समस्या को दूर करने के लिए कमरकस का सेवन फायदेमंद साबित होता है। इससे दूध की मात्रा बढ़ने लगती है और मां के शरीर में बढ़ने वाली कमज़ोरी भी कम होती है। साथ ही नवजात शिशु का स्वास्थ्य उचित बना रहता है।
कमरकस को पलाश गोंद भी कहा जाता है। इसमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों के चलते पीरियड के दौरान बढ़ने वाली ऐंठन कम होने लगती है। दरअसल, इसके सवेन से मांसपेशियों को आराम मिलता है, जिससे पेट के निचले हिस्से में बढ़ने वाले दर्द से बचा जा सकता है।
इसमें मौजूद एंटी इंफ्लामेटरी और एंटी माइक्रोबियल प्रॉपर्टीज़ से त्वचा पर बढ़ने वाली झाइयों और रैशेज से राहत मिलती है। इसके सेवन से त्वचा में कोलेजन की मात्रा बढ़ती है, जिससे त्वचा का लवीलापन बढ़ने लगता है और स्किन सेल्सू बूस्ट होते है। साथ ही स्किन के टैक्सचर में भी सुधार आने लगता है।
रजोनिवृत्ति के समय हार्मोनल परिवर्तन के चलते हॉट फ्लैश, नींद न आना, चक्कर आना, सिरदर्द और घबराहट का सामना करना पड़ता हैं। एस्ट्रोजन का असंतुलन शारीरिक बदलाव को बढ़ा देते हैं। ऐसे में एंटीऑक्सीडेंटस से भरपूर कमरकस शरीर पर बढ़ने वाली ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने लगते हैं।
कमरकस के लड्डू बनाना बहुत आसान है और इसकी मदद से स्वादिष्ट और हेल्दी लड्डू तैयार किए जाते हैं। इस रेसिपी के ज़रिए इस पौष्टिक तत्व को आसान से आहार में शामिल किया जा सकता है।
इसे बनाने के लिए हमें चाहिए
कमरकस लाल गोंद 1/4 कप
गेहूं का आटा 2 कप
गुड़ 1 कप
कटे हुए काजू 1/2 कप
तिल का तेल 1/2 लीटर
शरीर को पोषण प्रदान करने के लिए आटा, मूंग की दाल और चने के आटे से बनने वाली पंजीरी में कमरकस को मिलाकर खाने से मसल्स पेन को कम किया जा सकता है।
सर्दियों के मौसम में पाचन का उचित बनाए रखने और कमर में बढ़ने वाली दर्द को कम करने के लिए इसे पाउडर की फॉर्म में दूध में मिलाएं। इससे बच्चों की मेंटल हेल्थ बूस्ट होती है।
सूप के पोषण को बढ़ाने और शरीर को दिनभर एक्टिव और फिट रखने के लिए चुटकी भर पाउडर को एक बाउल सूप में एड कर दें। इसे मिलाकर गर्म सूप का सेवन करने से शरीर में एनर्जी का स्तर बढ़ने लगता है।
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