मौसम बदलने के साथ खानपान में आने वाला बदलाव गट हेलथ को प्रभावित करता है। इसके चलते अपच, पेट दर्द, और पाचनतंत्र में गड़बड़ी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा आंत के स्वास्थ्य में बढ़ने वाली गड़बड़ी का असर इम्यून सिस्टम और वेट मैनेजमेंट पर भी दिखने लगता है। हांलाकि मौसम के अलावा हार्मोनल संतुलन और टॉक्सिक खाद्य पदार्थों का सेवन भी गट हेल्थ के नुकसान का कारण बनने लगता है। इसके चलते हानिकारक बैक्टीरिया आंत में मौजूद गुड बैक्टीरिया की मात्रा को कम करने लगते हैं। जानते हैं गट हेल्थ (gut health in summer) किसे कहते हैं और इसे बूस्ट करने के लिए की टिप्स।
आंत यानि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम की मदद से भोजन को पचाने और इन खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद मिलती है। हेल्दी गट माइक्रोबायोम ( gut health in summer) के चलते पाचन संबधी समस्याएं हल हो जाती हैं। लार्ज आंत में 200 से अधिक विभिन्न बैक्टीरिया, वायरस और कवक रहते हैं। इन जीवों को आंत माइक्रोबायोम के रूप में जाना जाता है, जो पोषक तत्वों को ब्रेकडाउन करके शरीर को हेल्दी बनाए रखने में मदद करते हैं।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार पेट में मौजूद विभिन्न बैक्टीरिया मधुमेह, सूजनए आईबीडी और सोरायसिस व गठिया जैसी स्थितियों के जोखिम को कम करने में मददगार साबित होते हैं। इससे बॉडी फंक्शनिंग में मदद मिलती है।
आहार में फाइबर की मात्रा को जोड़ने से पाचन प्रक्रिया उचित बनी रहती है और पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद मिलती है। जर्नल माइक्रोऑर्गेनिज्म की रिपोर्ट के अनुसार फाइबर से गट हेल्थ बूस्ट होती है और आईबीडी के खतरे से बचा जा सकता है। इसके लिए आहार में बीन्स, नट्स, बीज, जामुन, दलिया, ब्राउन राइस, चोकर अनाज और साबुत गेहूं शामिल करें।
पानी से शरीर हाइड्रेट रहता है। साथ ही पाचन में भी मदद मिलती है। जर्नल ऑफ़ न्यूट्रिशन की रिपोर्ट के अनुसार जो लोग ज़्यादा पानी पीते हैं उनमें कम बैक्टीरिया होते हैं जो आईबीडी को ट्रिगर कर सकते हैं। समस्याओं से बचने और आंत के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए हर दिन कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पीना चाहिए।
नींद आपके स्वास्थ्य को कई तरह से प्रभावित कर सकती है। पर्याप्त नींद न लेना या नींद की खराब गुणवत्ता कई नींद संबंधी समस्याओं का कारण बन सकती है। प्लोस वन की रिपोर्ट के अनुसार नींद की कमी से पेट की सेहत से जुड़ी समस्याएं बढ़ने लगती हैं। पेट की समस्याओं से बचने के लिए हर रात कम से कम 7.8 घंटे की नींद लेना ज़रूरी है।
धीरे धीरे खाना खाने से पाचन संबधी समस्याएं हल होने लगती है और पेट की सेहत को बेहतर बनाता है। इसके लिए खाने को ठीक से चबाएँ और धीमी गति से खाएँ। इससे न केवल आपके पेट के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करेगा, बल्कि मोटापे और मधुमेह की संभावनाओं को कम करने में भी मदद करता है।
आहार में प्रोबायोटिक्स को शामिल करें, जो पेट के लिए गुड बैक्टीरिया के रूप में जाने जाते हैं। जर्नल मॉलिक्यूल्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार प्रोबायोटिक्स पेट के माइक्रोबायोम को नियंत्रित करते हैं और आंतों के स्वास्थ्य को मजबूत करते हैं। ये पाचन से जुड़ी समस्याओं को दूर रखने में मदद करते हैं। प्रोबायोटिक्स आमतौर पर किण्वित खाद्य पदार्थों जैसे दही, पनीर, किमची, कोम्बुचा, केफिर, टेम्पेह और साउरक्राउट में पाए जाते हैं।
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