आजकल सभी में ओरल हेल्थ की समस्या देखने को मिल रही है। कम उम्र में ही लोग दांत, मसूड़े तथा मुंह से जुडी अन्य समस्यायों के शिकार हो रहे हैं। डेंटल प्रोब्लेम्स का बढ़ना बिल्कुल भी उचित नहीं है, परन्तु आजकल का खानपान, स्मोकिंग और तंबाकू सेवन की आदत लोगों को इसका शिकार बना रही है। वहीं डेंटल केयर प्रोडक्ट्स जैसे की तमाम टूथपेस्ट में कई आर्टिफीसियल फ्लेवर्स और केमिकल्स मिले होते हैं, जो ओरल हेल्थ को बुरी तरह से प्रभावित कर सकते हैं।
आप चाहें तो प्राकृतिक हर्ब्स के इस्तेमाल से ओरल हेल्थ को बनाये रखा जा सकता है। सालों से दादी और फिर मेरी मां कुछ ख़ास हर्ब्स को ओरल हाइजीन मेंटेन करने के लिए इस्तेमाल करती चली आ रही हैं। वहीं आज भी इनके दांत मजबूत और मसूड़े बिल्कुल स्वस्थ हैं। तो चलिए आप सभी को बताती हूं इन हर्ब्स के नाम साथ ही जानेंगे ये किस तरह काम करते हैं (herbs for dental health)।
नीम आयुर्वेद और होम्योपैथी चिकित्सा में पाई जाने वाली एक आम जड़ी बूटी है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन के अनुसार नीम अपने प्राकृतिक एंटी बैक्टीरियल, एस्ट्रिंजेंट और एंटीसेप्टिक गुणों के लिए जाना जाता है। आपने जरूर देखा या सुना होगा कि लोग नीम की टहनियों को ब्रश की जगह दातुन के रूप में इस्तेमाल करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि नीम मुंह में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करता है।
वहीं नीम की पत्तियों को चबाने से सांसें तरोताजा हो जाती हैं और दांतों में सड़न भी नहीं होती। अन्य गुणों के साथ-साथ, नीम में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं और इसका उपयोग मसूड़ों की सूजन को रोकने के लिए किया जाता है। नीम का उपयोग पेरियोडोंटाइटिस जैसी मसूड़ों की बीमारियों को रोकने के लिए किया जाता है। अधिकांश टूथपेस्ट नीम को अपने प्रमुख घटक के रूप में उजागर करते हैं।
क्या आपको कभी आपकी दादी ने दांत दर्द या मसूड़े से जुडी समस्या में लौंग चबाने को दिया है? लौंग एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक है जिसमें यूजेनॉल कंपाउंड होता है जो दर्द और सूजन को कम करता है। आपने अपच जैसी बीमारियों के इलाज के लिए लौंग के तेल के इस्तेमाल के बारे में जरूर सुना होगा। लौंग के तेल में प्राकृतिक रूप से एंटी बैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं, जो इसे आपके मुंह से हानिकारक बैक्टीरिया का सफाया कर दांत में होने वाले असहनीय दर्द को कम करने के लिए एक प्रभावी तत्व बनाते हैं।
यदि आप दांत दर्द से पीड़ित हैं, तो दर्द से तुरंत राहत के लिए एक लौंग चबाने का प्रयास करें या प्राथमिक उपचार के रूप में लौंग के तेल का उपयोग करें।
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तुलसी आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक लोकप्रिय घटक रही है क्योंकि यह स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देती है। यह थाई व्यंजनों का भी एक आम घटक है। तुलसी प्राकृतिक रूप से एंटी बैक्टीरियल होती है और इसकी एस्ट्रिंजेंट प्रॉपर्टी बैक्टीरिया से लड़ने और संक्रमण को रोकने में मदद करते हैं। मुंह से प्लाक और कैविटी पैदा करने वाले हानिकारक बैक्टीरिया को हटाने के लिए इन पत्तियों को चबाएं।
तुलसी का उपयोग मुंह के घावों के इलाज, सांसों की दुर्गंध को दूर करके सांसों को तरोताजा करने और मौखिक संक्रमण के इलाज के रूप में किया जाता है। हालांकि ध्यान रहे की इसे चवणे के बाद आप कुल्ला जरूर करें।
इसे दांतों में लगा हुआ न छोड़ें।
लहसुन न सिर्फ आपके खाने का स्वाद और सुगंध बढ़ाता है बल्कि आपकी सेहत को भी बढ़ावा देता है। पब मेड सेंट्रल के अनुसार लहसुन की एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करती है और मसूड़ों की सूजन को भी रोकती है।
लहसुन में एलिसिन होता है जिसमें एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो मुंह से खराब बैक्टीरिया को हटाते हैं, जिससे मौखिक संक्रमण से बचा जा सकता है। लहसुन भी विटामिन सी से भरपूर होता है और इसका उपयोग विटामिन सी की कमी से होने वाली बीमारी स्कर्वी के इलाज के लिए नहीं किया जा सकता था।
पुदीना में कई महत्वपूर्ण प्रॉपर्टीज पाई की एंटी बैक्टीरियल, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी फंगल जो इसे ओरल हेल्थ के लिए बेहद खास बना देती हैं। इसके साथ ही इसका सुगंध बेहद कमाल का होता है, जिसे सांसों की बदबू को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पुदीना आपकी सांसों को तरोताजा कर देती है। पुदीने की पत्तियों को चबाने से लार का उत्पादन बढ़ता है और दांत सफेद हो जाते हैं। साथ ही आप इसके चाय का भी सेवन कर सकती हैं, जिससे बैक्टीरियल ग्रोथ सिमित रहेगा।
हल्दी का उपयोग लंबे समय से इसके औषधीय गुणों के लिए किया जा रहा है। इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज पाए जाते हैं, जो इसे ओरल हेल्थ के लिए खास बनाते हैं। हल्दी के पेस्ट को मसूड़ों पर लगाने से मसूड़ों को आराम मिलती है और सूजन कम होता है। हल्दी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बढ़ावा देती है जो अधिकतम संक्रमणों को रोकती है।
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