आयुर्वेद के ये 6 नुस्खे दिला सकते हैं आपको पाचन संबंधी समस्याओं से छुटकारा

कब्ज से लेकर अपच, ब्लोटिंग और एसिडिटी इन सभी परेशानी का लोगों के नियमित दिनचर्या पर बुरा प्रभाव पड़ता है। पाचन क्रिया के प्रति बरती गई लापरवाही केवल डाइजेस्टिव हेल्थ को ही प्रभावित नहीं करती बल्कि यह आपके समग्र सेहत पर भारी पड़ सकती है।
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पाचन स्वास्थ्य को आखिर किस तरह बनाए रखना है. चित्र: शटरस्टॉक
अंजलि कुमारी Published: 18 Sep 2023, 09:30 am IST
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आजकल की लाइफस्टाइल, गलत खानपान की आदत और शारीरिक स्थिरता की वजह से पाचन संबंधी समस्याएं लोगों की परेशानी का कारण बनती जा रही हैं। कब्ज से लेकर अपच, ब्लोटिंग और एसिडिटी इन सभी परेशानी का लोगों के नियमित दिनचर्या पर बुरा प्रभाव पड़ता है। पाचन क्रिया के प्रति बरती गई लापरवाही केवल डाइजेस्टिव हेल्थ को ही प्रभावित नहीं करती बल्कि यह आपके समग्र सेहत पर भारी पड़ सकती है। असंतुलित पाचन क्रिया त्वचा, रिप्रोडक्टिव हेल्थ के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती है। इसलिए इसके प्रति सचेत रहना बेहद महत्वपूर्ण है।

भारतीय योगा गुरु, योगा इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर और टीवी की जानी-मानी हस्ती डॉक्टर हंसाजी योगेंद्र ने पाचन स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए कुछ खास आयुर्वेदिक नुस्खे सुझाये हैं। तो चलिए जानते हैं पाचन स्वास्थ्य को आखिर किस तरह बनाए रखना है (ayurvedic remedies for gut health)।

यहां जानें पाचन क्रिया को संतुलित रखने के आयुर्वेदिक टिप्स (ayurvedic remedies for gut health)

1. त्रिफला

त्रिफला एक प्रसिद्ध हर्बल मिश्रण और एक बेहद पुराण आयुर्वेदिक नुस्खा है। इसे जीआई और पाचन तंत्र का समर्थन करने के लिए तीन फलों को जोड़ कर बनाया जाता है। इसमें आंवला, बिभीतकी और हरीतकी यह तीन खास फल जोड़े जाते हैं। हरीतकी को स्वस्थ मल त्याग और पेट के स्वास्थ्य में सहायता के लिए जाना जाता है, तो बिभीतकी, जिसका अनुवाद “बीमारी से लड़ना” है, एक सौम्य रेचक क्रिया लाता है और आंवला पोषक तत्वों से भरपूर है जो शरीर सही से कार्य करने के लिए उत्तेजित करता है।

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त्रिफला भोजन के उचित पाचन और अवशोषण को बढ़ावा दे सकता है। सीरम कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकता है। चित्र : एडोब स्टॉक

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन के अनुसार, त्रिफला में मौजूद पॉलीफेनोल्स गट के माइक्रोबायोम को नियंत्रित करते हैं। यह संतुलित फ़ॉर्मूला आंतों की सफाई और पाचन के लिए बहुत अच्छा होता है और नियमितता का समर्थन करता है। आप त्रिफला को टेबलेट के रूप में या इसे पानी और दूध के साथ भी ले सकती हैं।

2. हल्दी का पानी

हल्दी को बहुत पुराने समय से इसके चिकत्सीय गुणों के लिए जाना जा रहा है। इसमें स्वास्थ्य लाभों की एक मजबूत श्रृंखला है। इसकी एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी आंतों के सूजन को कम करने के साथ ही गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्वास्थ्य और कार्य पर इसके सकारात्मक प्रभाव के लिए जानी जाती है। हल्दी पाचन, श्वसन क्रिया, पेनक्रियाज के कार्य, संयुक्त स्वास्थ्य को संतुलित रखने में मदद करती है।

इसे नियमित डाइट का हिस्सा बनाने के लिए गर्म पानी में 2 चुटकी हल्दी मिलाएं और इसे उबाल लें और सुबह खली पेट इसका सेवन करें। यदि आप रात को सोने से पहले दूध पीती हैं तो अपनी दूध में नियमित रूप से 2 चुटकी हल्दी जरूर मिलाएं।

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3. सौंफ की चाय

सौंफ के बीज का उपयोग प्राचीन, मध्ययुगीन और आधुनिक काल में पाक और औषधीय प्रयोजनों के लिए होता चला आया है। आयुर्वेदिक और पारंपरिक ईरानी चिकित्सा में, सौंफ़ का उपयोग लंबे समय से स्वस्थ पाचन में सुधर के लिए होता आया है। इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स भोजन को पचाने और मेटाबॉलाइज करने में मदद करते हैं। इसके साथ ही इसकी एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी इसे ब्लोटिंग, एसिडिटी जैसी पाचन संबंधी समस्यायों के लिए खास बना देती हैं।

सौफ की चाय तैयार करने के लिए आपको सबसे पहले एक पैन में पानी चढ़ाना है उसमें मात्रानुसार सौंफ डालें और पानी में लगभग 10 से 15 मिनट तक उबाल आने दें। फिर इस पानी को कप में निकालें और एन्जॉय करें। उचित परिणाम के लिए इसे सुबह खली पेट पियें।

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कब्ज से ग्रस्त हैं, तो एक्सपर्ट से जानिए इसके सही उपचार की रणनीति।चित्र : एडॉबीस्टॉक

4. रोजमेरी की चाय

रोज़मेरी, इटालियन खाना पकाने में प्रसिद्ध सुगंधित जड़ी बूटी के रूप में जाना जाता है। इसकी पत्तियों में लाभकारी तेल होते हैं जो स्वस्थ सूजन प्रतिक्रिया और नियमित गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फ़ंक्शन का समर्थन करने के लिए जाने जाते हैं। इसका उपयोग पूरे भूमध्य सागर और उससे आगे पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता था। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टी इसे पाचन क्रिया के लिए अधिक खास बना देती हैं। यह आंतो के सूजन को कम कर गैस, ब्लोटिंग, एसिडिटी, आदि की समस्या में कारगर होती हैं।

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बाजार में रोजमेरी के पत्ते आसानी से उपलब्ध होते हैं। इन्हे पानी में उबालकर चाय के रूप में ले सकती हैं। वहीं इसके तेल को सूंघने और बालों में लगाकर सोने से तनाव कम होता है तनाव भी पाचन क्रिया पर नकारात्मक असर डालता है और आपको कब्ज या डायरिया का शिकार बना सकता है।

5. अदरक

पाचन सहायता के लिए अदरक एक बेहतरीन जड़ी बूटी है। अदरक का प्रयोग सर्दी खांसी के संक्रमण से लेकर तमाम स्वास्थ्य परेशानियों के निजात के रूप में होता चला आया है। खासकर यह जापानी और भारतीय चिकित्सा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यू.एस. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में परकासित एक अध्ययन के अनुसार, अदरक का प्रभाव जीआई पर सुरक्षात्मक है तो पाचन तंत्र पर उत्तेजक। इसमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी आंतों में हुए सूजन को कम कर देती हैं और आपके पाचन क्रिया को स्वस्थ व् संतुलित रहने में मदद करती हैं।

इसे डाइट में शामिल करने के लिए आप क्रश किये हुए अदरक को पानी में उबालकर चाय के तौर पर ले सकती हैं, इसके अलावा इसे क्रश कर के शहद के साथ भी ले सकती हैं।

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पुदीना में एंटीवायरल और एंटीऑक्सीडेंट तत्व मौजूद होते हैं। चित्र: शटरस्टॉक

6. पुदीना

ताजा और ठंडा पुदीना यूरोप और मध्य पूर्व का मूल निवासी है। वहीं आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल पाचन संबंधी समस्यायों को ट्रीट करने के लिए किया जाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट पाचन क्रिया को फ्री रेडिकल के प्रभाव से बचती हैं, वहीं मेंथोल पेट को पर्याप्त ठंडक प्रदान करती है। इसमें एंटी इंफ्लेमटरी प्रॉपर्टी पाई जाती है जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल फ़ंक्शन को सुचारू बनाने में मदद करते हैं।

इसे डाइट में शामिल करने के लिए आप इसकी पत्तियों से चाय तैयार कर सकती हैं, इसके अलावा सुबह खली पेट इसकी 2 से 4 पत्तियों को चावना भी फायदेमंद रहेगा। वहीं इसकी चटनी को दूसरे व्यंजनों के साथ ले सकती हैं।

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इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

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