जानिए क्या है साइको सोमेटिक डिसऑर्डर, जिसमें व्यक्ति खुद को लगातार बीमार महसूस करता है

कई बार हेल्थ प्रॉबल्मस का कारण मनोवैज्ञानिक होता है। जीवन में बढ़ने वाले तनाव और चिंताओं के अलावा कई कारण इस समस्या को जन्म देते हैं। जानते हैं साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर के कारण और उपाय।
Psychosomatic disorder se kaise deal karein
जानते हैं साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर (Psychosomatic disorder) के कारण और इससे बचने के उपाय भी। चित्र : अडोबी स्टॉक
ज्योति सोही Published: 26 Jan 2024, 17:00 pm IST
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अक्सर लोगों को कहते हुए सुना होगा कि मुझे हर पल एसिडिटी रहती है, मेरी टांगों का दर्द बढ़ रहा है या मुझे थकान महसूस हो रही है। सुनने में ऐसा लगता है कि मानो व्यक्ति किसी शारीरिक समस्या से ग्रस्त है या किसी बीमारी के शुरूआती लक्षण हैं। मगर वास्तव में ये शारीरिक नहीं बल्कि खराब मानसिक स्वास्थ्य का एक संकेत हैं, जो साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर को दर्शाता है। इससे व्यक्ति की पर्सनल लाइफ के साथ प्रोफेशनल लाइॅफ भी प्रभावित होने लगती है। जीवन में बढ़ने वाले तनाव और चिंताओं के अलावा कई कारण इस समस्या को जन्म देते हैं। जानते हैं साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर (Psychosomatic disorder) के कारण और इससे बचने के उपाय भी।

साइको सोमेटिक डिसऑर्डर किसे कहते हैं (What is Psychosomatic disorder)

इस बारे में बातचीत करते हुए मनोचिकित्सक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि साइको से अभिप्राय मानसिक और सोमेटिक का मतलब शरीर होता है। कुछ लोगों को ऐसा लगने लगता है कि उन्हें एसिडिटी, सिरदर्द, मांसपेशियों में ऐंठन, थकान व सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। मगर वास्तविकता में वे किसी शारीरिक रोग से ग्रस्त नहीं होते हैं। ऐसी स्थिती को साइको सोमेटिक डिसऑर्डर कहा जाता है।

इसके अर्तंगत शरीर में दिखने वाली समस्याओं का कारण मनोवैज्ञानिक होता है। इस समस्या की जानकारी मिलने पर काउंसलिंग और दवाओं के ज़रिए उपचार किया जाता है। इसके अलावा लाइफस्टाइल में किए गए सामान्य बदलाव भी इस समस्या को दूर करने में कारगर साबित होते हैं।

stress banta hai health problems ka reason
इसके अर्तंगत शरीर में दिखने वाली समस्याओं का कारण मनोवैज्ञानिक होता है। चित्र शटरस्टॉक।

साइको सोमेटिक डिसऑर्डर के संकेत (Signs of Psychosomatic disorder)

1. सोशल सर्कल का कम होना

वे लोग जो हर पल अपने दर्द को उजागर करते रहते हैं। उनका सोशल सर्कल धीरे धीरे कम होने लगता हैं। ऐसे लोग किसी न किसी चिंता के कारण लोगों से मिलना जुलना बंद कर देते हैं। वे खुद को मन ही मन अकेला मान लेते हैं, जो उनकी शारीरिक समस्याएं बढ़ने का कारण बन जाते हैं।

2. हर वक्त गुस्से में रहना

अपने आप को किसी गंभीर बीमारी का शिकार मानकर ऐसे लोग खुद को चार दीवारी में कैद कर लेते हैं, जिससे इनके व्यवहार में चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है। दूसरों के अंदर गलतियां खोजना इनके व्यवहार का हिस्सा बन जाता है। वे हर दम अपनी ही चिंता में खोए रहते हैं।

3. बीमारी के बारे में चर्चा करना

साइको सोमेटिक डिसऑर्डर के शिकार लोग खुद को बीमार मानने लगते हैं। हर मिलने जुलने वाले व्यक्ति से केवल अपनी बीमारी के बारे में ही बात करते हैं। इनके जीवन का कोई स्पष्ट उद्देश्य नहीं रहता है। जीवन में उत्साह की कमी इन्हें हर पल परेशानी से ग्रस्त रखती है।

4. बार बार डॉक्टर से मिलना

ऐसे लोग मन ही मन खुद को बीमार समझ बैठते हैं, जो उनके शरीर में कई प्रकार के दर्द व हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को बढ़ा देता है। मानसिक तौर पर स्वस्थ न होने के चलते वे अपनी समस्या से राहत पाने के लिए डॉक्टर क्लीनिक पर बार बार विज़िट करते हैं।

Patient ko dein antibiotic ki jaankaari
एंटीबायोटिक प्रबंधन कार्यक्रमों की सफलता रोगी जागरूकता और सहयोग पर निर्भर करती है। चित्र: शटरस्टॉक

जानें इस समस्या से डील करने के टिप्स (Tips to deal with Psychosomatic disorder)

1. क्वालिटी स्लीप है ज़रूरी

नींद पूरी न हो पाना तनाव बढ़ने का मुख्य कारण साबित होता है। ऐसे में व्यक्ति दिनभर आलस्य और थकान से चूर रहता है। शरीर में ताज़गी को बनाए रखने के लिए भरपूर नींद लें। इससे शरीर में हैप्पी हार्मोन रिलीज़ होते हैं, जिसके चलते शरीर एक्टिव रहता है। साथ ही शरीर में बढ़ने वाले तनाव का स्तर भी घटने लगता है।

2. पॉजिटिव थिकिंग को बनाए जीवन का आधार

हर पल जीवन में कमियों को तलाशना और दूसरों से अपनी तुलना करना नकारात्मकता को बढ़ा देता है। इससे व्यक्ति मानसिक तनाव से ग्रस्त रहने लगता है, जिसका असर उसकी विचारधारा पर भी दिखने लगता है। ऐसे लोगों का अक्सर कोई सोशल सर्कल नहीं रहता है और निगेटीविटी के शिकार होने लगते है। ऐसे लोगों को अपने विचारों को सकारात्मक बनाना बेहद आवश्यक है।

3. शारीरिक क्रिया को न करें अवॉइड

दिनों दिन बढ़ रहे तनाव, दर्द और एसिडिटी की समस्या से बचने के लिए योग व एक्सरसाइज़ को रूटीन में शामिल करें। इससे शरीर में होने वाली प्रॉबलम्स रिवर्स होने लगती हैं। सर्दी के दिनों में आउटडोर एक्सरसाइज और रनिंग की जगह योग क्रियाओं और मेडिटेशन को अपने रूटीन का हिस्सा बनाएं।

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जानते हैं किस प्रकार से एक्सरसाइज़ मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने में होती है मददगार साबित । चित्र : एडॉबीस्टॉक

4. हेल्दी डाइट को आहार में करें सम्मिलित

तला भुना और फ्राइड खाना शरीर में कई समस्याओं का कारण बनता है। ज्यादा मात्रा में सोडियम इनटेक मूड स्विंग का कारण साबित होता है, जिससे बेचैनी की समस्या बढ़ने लगती है। ऐसे में आहार में विटामिन, मिनरल और कैल्शियम समेत ज़रूरी पोषक तत्वों को शामिल करें। इससे शरीर बीमारियों की चपेट में आने से बच सकता है।

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लेखक के बारे में

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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