scorecardresearch

थकान और आलस ही नहीं, मेंटल हेल्थ डिजीज का जोखिम भी बढ़ा देती है नींद की कमी, अच्छी नींद के लिए फॉलो करें ये टिप्स

रात की नींद पूरी न होने से अधिकतर लोग दिनभर आलस्य, कमज़ोरी, तनाव और चिंता से घिरे रहते है, जिसके चलते वे इमोश्नली अनहेल्दी कहलाते हैं। जानते हैं नींद और मेंटल हेल्थ में क्या है संबध।
Published On: 21 Mar 2024, 08:30 pm IST
  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
सभी चित्र देखे unhealthy sleep ke nuksaan
पीरियड्स में अधिक दर्द का अनुभव होता है और पीरियड्स असुविधाजनक लगता है। चित्र-: अडोबी स्टॉक

दिन की हेल्दी शुरूआत के लिए रात को बेहतर नींद लेना बेहद ज़रूरी है। स्क्रीन टाइम बढ़ना, लेट लाइट पार्टी, हैवी मील्स और मचिंग समेत कई कारणों से नींद बाधित होने लगती है। रात की नींद पूरी न होने से अधिकतर लोग दिनभर आलस्य, कमज़ोरी, तनाव और चिंता से घिरे रहते है, जिसके चलते वे इमोश्नली अनहेल्दी कहलाते हैं। नींद पूरी न होने का प्रभाव स्वास्थ्य पर कई प्रकार से नज़र आने लगता है। जानते हैं नींद और मेंटल हेल्थ में क्या है संबध (Sleep effects on mental health)।

नींद की कमी मेंटल हेल्थ को कैसे प्रभावित करती है

इस बारे में आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम में न्यूरोइंटरवेंशनल सर्जन डॉ विपुल गुप्ता का कहना है कि नींद की कमी होने से डायबिटीज़, हृदय रोगों और तनाव का खतरा बना रहता है। मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने के लिए 7 से 9 घंटे की नींद बेहद आवश्यक है। इससे आलस्य से मुक्ति मिलती है और शरीर की कार्यक्षमता में सुधार आने लगता है। पूरी नींद न लेने से एंग्ज़ाइटी, फोक्स करने में दिक्कत और डिसीज़न मेकिंग मुश्किल हो जाती है। दरअसल, नींद की गुणवत्ता बढ़ाने से सोने के बाद शरीर में हार्मोन रिलीज़ होते हैं, जिससे शरीर रिलैक्स होने लगता है।

जामा नेटवर्क की एक रिपार्ट के अनुसार दुनियाभर में 322 मीलियन लोग यानि पूरी आबादी का 4.4 फीसदी हिस्सा मूड डिसऑर्डर का शिकार है। इसमें से 75 फीसदी लोगों में इनसोमनिया स्लीप डिसऑर्डर के लक्षण पाए गए। नींद पूरी न होने से डिप्रेशन की समस्या का सामना करना पड़ता है। नींद की कमी के चलते कई मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर का जोखिम बढ़ जाता है।

Neend puri na hone ke nuksaan
नींद की कमी होने से डायबिटीज़, हृदय रोगों और तनाव का खतरा बना रहता है। चित्र- अडोबी स्टॉक

नींद पूरी न होने से इन मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर का सामना करना पड़ता है

1. एंग्ज़ाइटी

नींद पूरी न होने के कारण एंग्ज़ाइटी का सामना करना पड़ता है। इसके चलते मन में हर पल चिंता, तनाव और घबराहट बनी रहती है। छोटी छोटी बातों पर नर्वस हो जाना और हर गलती के लिए खुद को कोसना इस समस्या को बढ़ा देता है। मानसिक तौर पर सुकून न मिलने से तनाव का सामना करना पड़ता है।

2. बाइपोलर डिसऑर्डर

नींद बाधित होने से बार बार मूड स्विंग की समस्या का सामना करना पड़ता है, जो बाइपोलर डिसऑर्डर का लक्षण है। इसके चलते व्यक्ति कभी रोने लगता है, कभी उदास हो जाता है, तो कभी खुश रहने लगता है। इसके चलते व्यक्ति के अंदर उदासी और थकान की भावना रहती है। लंबे वक्त तक सोना और अनिद्रा दोनों ही इस परेशानी का कारण बनने लगते हैं।

3. सिज़ोफ्रेनिया

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार सिज़ोफ्रेनिया एक मानसिक बीमारी है और विश्वभर में 2 करोड़ जनसंख्या इस बीमारी का शिकार है। ये महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों में ज्यादा पाई जाती है। इससे ग्रस्त लोग भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते हैं। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेकनॉलोजी इनफॉर्मेशन के अनुसार नींद की कमी के चलते लोगों में सिज़ोफ्रेनिया के लक्षण नज़र आने लगते हैं। इसके लिए स्लीप पैटर्न में बदलाव लाना आवश्यक है।

jaanein kaise yeh aapko nuksaan pahunchaati hai
अपनी मेंटल हेल्थ का ख्याल न रखने के कारण ये समस्या किसी भी व्यक्ति को अपना शिकार बनी सकती है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

जानते हैं इससे बचने के लिए किन टिप्स को फॉलो करें

सोने से 1 घंटा पहले स्क्रीन को अवॉइड करें। दरअसल, इससे निकलने वाली रोशनी मेंटल हेल्थ को प्रभावित करती है।

Pollपोल
स्ट्रेस से उबरने का आपका अपना क्विक फॉर्मूला क्या है?

कमरे में सोने से पहले अंधेरा कर लें। इससे नींद की गुणवत्ता बढ़ने लगती है।

सोने और उठने का नियमित समय अपनाएं। इससे भरपूर नींद की प्रापित होती है।

रात में कैफीन और अल्कोहल इनटेक से बचें। इससे हार्मोन एकि्अव हो जाते है और शरीर रिलैक्स नहीं हो पाता है।

बेड टाइम से पहले कुछ समय लाइट एक्सरसाइज़ और योगासनों के अभ्यास के लिए निकालें। इससे नींद आने में मदद मिलती है।

डिनर हल्का लें। इससे पाचन संबधी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है और नींद भी भरपूर आती है।

ये भी पढ़ें- पर्सनल हो या प्रोफेशनल, ये 5 साधारण सी चीजें आपका सम्मान बढ़ा सकती हैं

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
लेखक के बारे में
ज्योति सोही
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

अगला लेख