दिनों दिन आधुनिकता की ओर बढ़ रहे समाज में आज भी मानसिक स्वास्थ्य पर लोग खुलकर बात करने से कतराते हैं। नतीजन लोग लंबे वक्त तक डिप्रेशन और एंग्जाइटी का शिकार बने रहते हैं। ऐसे में मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने के लिए ग्रीन स्पेस एक आसान उपाय है। हांलाकि लोग इन दिनों पर्यावरण के बचाव को लेकर सतर्क हो चुके हैं। मगर फिर भी दिनों दिन बढ़ रहा तनाव कई परेशानियों का कारण बन रहा है। जानते हैं कि कैसे ग्रीन स्पेस की मदद से मेंटल हेल्थ को बूस्ट किया जा सकता है। जानते हैं ग्रीन स्पेस क्या है और इससे मिलने वाले फायदे भी (Benefits of green spaces)।
इस बारे में मनोविकित्सक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि हरा रंग खुशहाली का प्रतीक माना जाता है, जो तनाव को कम करता है। हरा रंग मसल्स को रिलैक्स करने में मदद करता है और जब मांसपेशियों को सुकून मिलता है, तो इससे तनाव का स्तर शरीर में कम होने लगता है। पर्यावरण के नज़दीक रहने से सांसों के तेज़ चलने की समस्या से राहत मिल जाती है। इससे सांसे हल्की और गहरी होती है, जिससे स्वास्थ्य उचित बना रहता है। इसी के चलते अस्पतालों में पर्दे और अन्य कपड़ों के लिए हरे रंग का प्रयोग किया जाता है, जिससे मन रिलैक्स बना रहता है। तनाव की स्थिति में नेचर वॉक चिंता को दूर करने में मदद करती है।
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नॉलोजी इनफॉर्मेशन के अनुसार वायु प्रदूषण, शोर और रिस्टोरेटिव एनवायरमेंट के चलते तनाव की स्थिति बढ़ने लगती है। इससे व्यवहार में चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है और याददाश्त भी प्रभावित होती है। तन और मन को हेल्दी बनाए रखने के लिए पर्यावरण के संपर्क में रहना बेहद ज़रूरी है।
डेनमार्क की आरहूस युनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार ग्रीनरी से भरपूर .पार्क, जंगल और गांव में खेत खलिहान मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने में मदद करते हैं। वे लोग जो बचपन से हरियाली में पले बढ़े हैं। उन्हें मनोवैज्ञानिक विकारों का खतरा कम होता है। इन लोगों की मेंटल हेल्थ उचित बनी रहती है और शरीर में एनर्जी का लेवल भी उच्च रहता है।
कोर्टिसोल हॉर्मोन को मैनेज करने के लिए कुछ वक्त पर्यावरण के नज़दीक बिताएं। इससे शरीर में तनावपूर्ण स्थितियों से डील करने में मदद मिलती है। इससे शरीर में स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल को नियंत्रित किया जा सकता है।
शरीर में तनाव बढ़ने से मूड स्विंग होना एक आम समस्या है। इससे बचने के लिए दिनभर में कुछ वक्त पर्यावरण के नज़दीक बिताएं। नींद पूरी न होना, मनोपॉज या हार्मोनल इंबैलेंस शरीर में मूड सि्ंवग का कारण बनने लगते हैं। कुछ देर पार्क या बगीचे में बिताने से इस समस्या से बचा जा सकता है।
किसी एक चीज़ के बारे में देर तक सोचना और चिंता करना डिप्रेशन का मुख्य कारण बनने लगता है। इसके अलावा निगेटिव सेल्फ टॉक इस समस्या को बढ़ा देता है। ऐसे में खुद को डिप्रेशन से मुक्त रखने के लिए वॉक पर जाएं। इससे कुछ देर पर्यावरण के नज़दीक रहने से मन में उठने वाले विचार दूर होंगे। इसके अलावा पार्क में बैठकर योग करना भी फायदेमंद कहलाता है।
हरियाली के नज़दीक रहने से मन स्वस्थ बना रहता है, जिससे बार बार भूलने की समस्या हल होने लगती है। व्यक्ति खुद को एक्टिव महसूस करता है। इससे मस्तिष्क तनाव और डिप्रेशन से दूर रहता है। पेड़ पौधों से घिरे रहने से मन को शांति मिलती है, जिससे शरीर में हैप्पी हार्मोन रिलीज़ होते हैं। ग्रीन एरिया के नज़दीक रहने से मेमोरी इंप्रूव करने में मदद मिलती है।
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