कॉफ़ी और चाय से लेकर एनर्जी ड्रिंक तक टीन्स को कैफीन आसानी से मिल जाता है। टीनएजर अक्सर पढ़ाई या किसी प्रकार के खेल आयोजन से पहले इन पेय पदार्थों को लेना चाहते हैं। यह सच है कि कैफीन ऊर्जा बढ़ा सकता है या उन्हें ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकता है। साथ ही इसका बहुत अधिक सेवन उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकता है। कैफीन किशोरों के स्वास्थ्य पर थोड़े समय के लिए और लंबे समय के लिए, दोनों तरह से प्रभावित करता (caffeine effect on teens) है। उनके सेवन को सीमित करना जरूरी है।
कैफीन नेचुरल रिसोर्स से मिलता है। यह कॉफ़ी बीन्स, कोको, चाय की पत्तियों और अन्य चीज़ों में है। कुछ खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में मानव निर्मित रूप भी मिलाए जाते हैं। कैफीन एक प्रकार का उत्तेजक या स्टीमुलेंट है। यह सेन्ट्रल नर्वस सिस्टम को उत्तेजित करता है। इसे पीने पर व्यक्ति अधिक सतर्क हो जाता है। कैफीन अस्थायी ऊर्जा प्रदान करता है और यहां तक कि मूड को भी अच्छा कर सकता है।
हार्वर्ड हेल्थ के शोध निष्कर्ष के अनुसार, किशोरावस्था (Adolescence) मस्तिष्क के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण समय है। इन वर्षों के दौरान मस्तिष्क में सबसे अधिक न्यूरल कनेक्शन या सिनैप्स होते हैं। ये 20 साल की उम्र या उसके बाद तक अच्छी तरह से परिपक्व होते हैं। शोध से पता चलता है कि कम उम्र में कैफीन पीने से मस्तिष्क का विकास रुक सकता है। कैफीन न्यूरल कनेक्शन को कम कुशल बना सकता है और उन्हें बनने से रोक सकता है।
दूसरी ओर कैफीन मस्तिष्क प्लेजर सर्किट को ट्रिगर करता है। यह मस्तिष्क को डोपामाइन यानी हैप्पी हार्मोन का विस्फोट करता है। यह वही प्रक्रिया है, जो नशे की लत की ओर ले जाती है।
नूट्रिएंट जर्नल में पोलैंड के शोधकर्ता कामिल रोडक और इजाबेला कोकोट बताते हैं-कैफीन किशोरों की नींद पर बड़ा असर डालता है। 13 साल का किशोर यदि हर रोज 10 मिलीग्राम कैफीन का सेवन करता है, तो उसकी 8.5 घंटे की नींद की संभावना 12% कम हो जाती है। किशोरों में नींद की कमी उनकी शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
यदि कैफीन लेने की लत हो गई है, तो सिरदर्द, थकान, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होना, कार्यों को पूरा करने में कठिनाई, चिड़चिड़ापन, अवसाद, एंग्जायटी की समस्या हो सकती है। फ्लू, मतली,उल्टी, मांसपेशियों में दर्द, कॉग्निटिव बिहेवियर में दिक्क्त भी हो सकती है।
ओसोंग पब्लिक हेल्थ एंड रिसर्च पर्स्पेक्टिव जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, बच्चों में कैफीन टॉक्सिसिटी भी हो सकती है। यह घातक भी हो सकता है। बहुत ज्यादा मात्रा में कैफीन पाउडर लेने पर हार्ट अटैक भी हो सकता है। अमेरिका में एक टीन ने अनुशंसित खुराक से 16 गुना अधिक लेने पर उसका हार्ट प्रभावित हो गया।
ओसोंग पब्लिक हेल्थ एंड रिसर्च पर्स्पेक्टिव जर्नल के अनुसार,12 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रतिदिन 100 मिलीग्राम से अधिक कैफीन नहीं लेना चाहिए। यह मोटे तौर पर एक कप कॉफ़ी
के बराबर होता है।
यदि कोई किशोर नियमित रूप से आवश्यकता से अधिक कैफीन का सेवन करता है, तो उसे इसे कम करने में अवश्य मदद करनी चाहिए। सावधान रहें यदि वे अचानक कैफीन पूरी तरह से छोड़ देते हैं, तो उनमें कुछ जोखिम भरे लक्षण दिख सकते हैं। इसलिए उन्हें धीरे-धीरे कॉफी छुड़ाने का प्रयास करना चाहिए।
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