पूरी तरह से जांच परख कर हम किसी थैरेपिस्ट को चुनते हैं। अपने साथ घटित होने वाली समस्या के बारे में उन्हें जानकारी देते हैं। अगर आप पूरी तरह से अपनी समस्या अपने थैरेपिस्ट से शेयर नहीं करेंगे, तो आप समय रहते उस परेशानी से राहत नहीं पा सकते हैं। अधिकतर लोग जब सैशन के लिए किसी थैरेपिस्ट से मिलते हैं, तो उन्हें अपनी पूरी समस्या बताने से कतराते है, जो उनके इलाज में देरी का भी कारण बनने लगता है। जानते हैं वो कौन सी ऐसी बातें है, जो थैरेपिस्ट से छुपाना सेहत के लिए परेशानी का कारण बन सकता है (5 lies about mental health)।
राजकीय मेडिकल कालेज हल्द्वानी में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि आप अपने थैरेपिस्ट को आधी अधूरी जानकारी देने से बचें। इससे उन्हें उपचार में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा आप अपने व्यक्तित्व के नकारात्मक पहलू को पूरी तरह से थैरेपिस्ट के सामने व्यक्त करें। इससे वे आसानी से आपकी समस्या को समझ पाएगे। थैरेपिस्ट को अगर आप किसी भी समस्या को उचित जानकारी के साथ समझाएंगे, तो आप जल्द उस परेशानी से निजात पा सकते हैं। साथ ही अगर आपने अपने लिए किसी थैरेपिस्ट को चुना है, तो उस पर अपना विश्वास बनाए रखें और सभी सेशंस को अवश्य अटैंण्ड करें।
बहुत बार ऐसा होता है कि थैरेपी के दौरान अभी हम दर्द का अनुभव कर रहे होते हैं। मगर उस थैरेपी को आगे बढ़ाने से बचने के लिए झूठ बोल देते हैं। रोज़ाना थैरेपी के लिए आना कुछ लोगों को सिरदर्द लगने लगता है। थैरेपिस्ट को अपनी समस्या से रूबरू करवाने की बजाय बेहतर होने की बात कहकर वहां से जल्दी फ्री होने का प्रयास करते हैं।
अगर हम किसी भी बीमारी से जूझ रहे हैं, तो शारीरिक परेशानी के साथ साथ मानसिक तौर पर भी बेहद अनहेल्दी महसूस करने लगते हैं। मगर थैरेपिस्ट से मुलाकात के दौरान हम बहुत सी चीजों को छुपाने का प्रयत्न करते हैं। थैरेपिस्ट से अपनी बीमारी पर ओपन डिस्कशन करने की बजाय इधर उधर की सभी बातें करके वापिस लौट आते हैं। उन्हें शारीरिक समस्या की जानकारी देने के अलावा मेंटल हेल्थ के बारे में नहीं बताते हैं। इससे पूर्ण उपचार नहीं मिल पाता है।
बहुत सी समस्याएं हमारे जीवन में आने वाले उतार चढ़ावों के चलते हमें झेलनी पड़ती है। ऐसे में केवल बीमारी के बारे में ही बातचीत करने के अलावा हम अपने पास्ट एक्सपीरिएंस को थैरेपिस्ट से शेयर करने से डरते हैं। कई बार फैमिली थैरेपिस्ट के साथ भी हम कंफर्टेबल महसूस नहीं कर पाते हैं। हमें हर वक्त उसके साथ डर की भावना बनी रहती है कि कहीं वो हमारे विषय में अन्य लोगोंसे कोई बात डिस्कस न करे। जब तक आप अपनी पास्ट की फीलिग्ंस को शेयर नहीं करते है। तब तक आपको उसका उचित इलाज नहीं मिल पाता है।
जब हम किसी भी थैरेपी के लिए जाते हैं। तो हमें बहुत सी बातों का ख्याल रखना चाहिए। इसमें आपको ये समझना आवश्यक है कि सबसे पहले आपको खुद को ख्याल रखना होगा। कुछ घंटों की थैरेपी के अलावा आपको अपने लिए मी टाइम निकालना बेहद ज़रूरी है। ये सभी बातें थैरेपिस्ट की ओर से समझाई जाती है। मगर बावजूद इसके हम अपने लिए वक्त नहीं निकालते हैं और थैरेपिस्ट से होमवर्क कंपलीट होने की बात कह देते हैं।
लोग अक्सर अपने मन मुताबिक चीजों को थैरेपिस्ट से डिस्कस करने लगते हैं। वे इस बात को भूल जाते हैं कि आधी अधूरी जानकारी उनकी समस्या को घटाने की बजाए बढ़ा सकती है। ऐसे में जब भी आप अपने थैरेपिस्ट के पास जाएं, तो उन्हें पूरी स्थिति को अच्छी तरह से समझाएं। अपने हिसाब से चीजों को बीच में जोड़ने से बचना चाहिए। अगर आप सिचुएशन को बेहतर तरीके से किसी के समक्ष रखेंगी, तो आप जल्दी ही तनाव रहित होकर अपनी जिंदगी को आसानी से जी पाएंगी।
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