काम का बोझ इस कदर मनुष्य के जीवन को मसरूफ कर चुका है कि वो हर दम काम के स्ट्रेस में रहता है। दिनभर किसी न किसी काम में उलझे रहने के चलते खुद के लिए वक्त निकाल पाना आसान नहीं हो पाता है, जो असल में जीवन में बढ़ रहे तनाव का कारण बन जाता है। हर दम परेशानी में रहने से हमारी इमोशनल हेल्थ प्रभावित होने लगती है। इसका प्रभाव हमारी निजी जिंदगी और वर्क प्रोडक्टिविटी पर भी दिखने लगता है। योग, ध्यान और थैरेपी के ज़रिए हम अपनी हेल्थ को बेहतर और जीवन को खुशहाल बना सकते हैं। जानते हैं खुद को हेल्दी बनाए रखने और स्ट्रेस फ्री रहने में किस प्रकार से टैपिंग थेरेपी (Tapping therapy) हो सकती है मददगार।
फोर्ब्स के मुताबिक ईएफटी टैपिंग (EFT Tapping) यानि इमोशनल फ्रीडम टेकनीक टैपिंग की शुरूआत थॉट फील्ड थेरेपी से संबधित है। इसकी उत्पत्ति सन् 1980 के दशक में मनोवैज्ञानिक, पीएचडी रोजर कैलहन ने की थी। टीएफटी भी ईएफटी के समान एक तकनीक है जिसमें ये दोनों ही किसी एक समस्या पर ध्यान केंद्रित करते हुए शरीर में मौजूद अलग अलग बिंदुओं पर टैप करते हैं।
इस बारे में राजकीय मेडिकल कालेज हल्द्वानी में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत बता रहे हैं कि टैपिंग थेरेपी एक प्रकार की रिलैक्सेशन एक्सरसाइज है। इसमें आप बॉडी पोर्टस को पीटते है, जिससे शरीर में एक स्थान पर स्ट्रेस बढ़ता है। उसके बाद बॉडी रिलैक्स हो जाती है। अगर आप मुट्ठी को बंद करने हैं, तो उससे स्ट्रेस बढ़ने लगता है।
वहीं मुट्ठी को खोलते ही रिलैक्स महसूस करने लगते हैं। ये आपके शरीर को रेस्टलेस्नेस और एंग्जाइटी से बाहर निकले में मदद करती है। इससे बॉडी में गुड हार्मोंन भी रिलीज होते है।
इसे प्रोग्रेसिव मस्कूलर थेरेपी भी कहते है। जो पैर से शुरू होकर सिर तक जाती है।
इस थैरेपी की मदद से आपको शरीर में स्ट्रेस और रिलैक्सेशन के मध्य संतुलन बनाना आ जाता है। अपने बॉडी पार्टस पर अगर आप रोज़ाना टैपिंग करते हैं। शरीर को टैप करने में बॉडी में स्ट्रेस और एंग्ज़ाइटी बढ़ती हैं। फिर बॉडी को रिलैक्स छोड़ दें। इससे आपकी बॉडी रिलैक्सेशन महसूस करने लगती है।
इसे करने से आपके अंदर स्थिरता पैदा होती है। इससे मांइड और ओवर ऑल बॉडी अपना संतुलन बनाए रखती है। शरीर में हैप्पी हार्मोंस रिलीज़ होते हैं। इसका असर आपकी प्रोडक्टिविटी पर दिखने लगता है। आपकी मेंटल और फिज़िकल परफार्मेंस बेहतर होने लगती है। आपका शरीर आपके नियंत्रण में रहने लगता है।
एक्यूप्रेशर के समान टैपिंग थेरेपी में भी बॉडी के प्वाइंटस को प्रैस या टैप किया जाता है। ऐसा करने से आपकी बॉडी के प्वाइंटस में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने लगता है। ब्लड फ्लो बढ़ने से शरीर में होने वाली दर्द दूर होती है। इसके अलावा शरीर में लचीलापन बढ़ने लगता है।
कई बार तनाव के चलते हम दिनभर कुछ न कुछ सोचने लगते हैं। इसका प्रभाव हमारी नींद नी भी नज़र आता है। पूरी नींद न लेने से दिनभर थकान का अनुभव करने लगते है। टैपिंग थेरेपी को करने से शरीर से तनाव अपने आप रिलीज़ होने लगता है। हम खुद को हेल्दी फील करते हैं और नींद भी पूरी आने लगती है।
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