दिनभर खेलने के बाद अधिकतर बच्चे टांगों में दर्द की शिकायत करने लगते हैं। बच्चों की टांगों में होने वाला दर्द माता पिता की चिंता का कारण बनने लगता है। अधिकतर पेरेंटस इसे शारीरिक कमज़ोरी से जोड़कर देखने लगते हैं। दरअसल बच्चे दिनभर भाग दौड़ करते हैं और शाम के वक्त या सोते समय बच्चे लेग पेन की समस्या का सामना करते हैं। आमतौर पर कम उम्र में शुरू होने वाली इस पेन को ग्रोइंग पेन कहा जाता है। जानते हैं ग्रोइंग पेन क्या है और इससे निपटने के लिए किन टिप्स को करें फॉलो (leg pain in children)।
इस बारे में पीडियाट्रिशियन डॉ अभिषेक नायर बताते हैं कि बच्चों के पैरों की मांसपेशियों में होने वाले दर्द को ग्रोइंग पेन कहा जाता है। ये दर्द थाइज और पिडंलियों में होने लगता है, जो रात में बढ़ जाता है। इससे बच्चे को सोने में तकलीफ हो सकती है। ये दर्द 2 से लेकर 12 साल की उम्र के बच्चों में पाया जाता है। हालांकि इससे बच्चों को खेलने या चलने के दौरान कोई परेशानी नहीं होती। ये पूरी तरह से सामान्य है और किशोरावस्था में धीरे-धीरे खत्म हो जाता है।
पर अगर बच्चे को दर्द के साथ बुखार, वज़न कम होने और टांगों में सूजन होने लगे, तो उसके लिए तुरंत जांच करवाना जरूरी है।
युनिवर्सिटी ऑफ यूटा हेल्थ (University of Utah health) के अनुसार बच्चों को बढ़ती उम्र में टांगों में दर्द की समस्या का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार के दर्द को ग्रोइंग पेन कहा जाता है। अधिकतर शाम के वक्त या रात को सोते वक्त टांगों में दर्द महसूस होता है।
दरअसल, बच्चे दिनभर एक्टिव रहते हैं। देर शाम या रात के वक्त मसल्स के ओवरयूज के चलते लेग पेन का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर बच्चों को काफ मसल्स, थाइज़ और घुटनों के पीछे दर्द की शिकायत रहती है। ग्रोइंग पेन आमतौर पर 5 साल या उससे अधिक उम्र के बच्चों में पाया जाता है। ये पेन दोनों टांगों में कुछ समय के अंतराल में महसूस होता है।
टांगों में कुछ देर मसाज करने से बच्चों को दर्द से राहत मिलने लगती है। रात को सोने से पहले मसाज करना बच्चों के लिए फायदेमंद साबित होता है। इससे रात में दर्द के कारण बार बार उठने की समस्या हल हो जाती है और मसल्स में बढ़ने वाला तनाव भी दूर होने लगता है।
दिनभर में बच्चों को कुछ वक्त स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज अवश्य करवाएं। इससे मांसपेशियों में बढ़ने वाले दर्द को कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा मसल्स मज़बूत बनते हैं, जिससे पेन से राहत मिलने लगती है। 15 मिनट की एक्सरसाइज़ फायदेमंद साबित होती है।
बच्चों के आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां, स्किन समेत फल और साबुत अनाज को शामिल करें। इसके अलावा बढ़ती इनडोर एक्टीविटीज़ के कारण बच्चों में विटामिन डी की कमी भी बढ़ने लगती है। इससे बचने के लिए पौष्टिक आहार लें और पोषक तत्वों को आहार में सम्मिलित करें, ताकि बच्चों के मसल्स को मज़बूती मिल सके।
बच्चे को एक्टिव और हेल्दी बनाए रखने के लिए सर्वोत्तम आहार के साथ पानी की नियमित मात्रा भी आवश्यक है। दिनभर में बच्चे को छोटे अंतराल के बाद पानी पिलाएं। इससे मसल्स नेल की समस्या को दूर करने में मदद मिलती है। साथ ही बच्चे की ओवरऑल हेल्थ भी उचित रहती है।
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