हमारा शरीर नियमित रूप से हजारों फंक्शंस को परफॉर्म करता है। ज्यादातर गतिविधियां शरीर के अंदर हो रही होती हैं, जो हमें नजर भी नहीं आती। इन फंक्शंस को सही से परफॉर्म करने के लिए शरीर को तमाम प्रकार के पोषक तत्वों की आवशयकता होती है। हमारा शरीर कुछ पोषक तत्वों को खुद बनाता है, तो कुछ पोषक तत्वों को खाद्य स्रोत के माध्यम से प्राप्त करता है। सभी पोषक तत्व शरीर में अलग-अलग रूप से कार्य करते हैं। वहीं कुछ पोषक तत्व ऐसे हैं, जो सेहत के लिए बेहद जरूरी होते हैं, परंतु लोगों को इसके बारे में सही जानकारी नहीं होती।
ऐसा ही एक पोषक तत्व है “विटामिन D3”, यह पोषक तत्व सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है, परंतु शायद कोई ऐसा होगा जिसे इसके बारे में सही जानकारी हो। तो चिंता न करें आज हेल्थ शॉट्स लेकर आया है विटामिन D3 से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी। चलिए जानते हैं “विटामिन D3” (vitamin d3) के फायदे साथ ही जानेंगे इसकी कमी से होने वाले शारीरिक प्रभाव, तथा इसके खाद्य स्रोत से जुड़ी जरूरी जानकारी।
“विटामिन D3” एक प्रकार का हार्मोन है, जिसे शरीर प्राकृतिक रूप से खुद बनाता है। साथ ही आप इसे खाद्य स्रोत के माध्यम से भी प्राप्त कर सकती हैं। शरीर को उचित रूप से कार्य करने के लिए विटामिन डी की आवश्यकता होती है। जैसे कि विटामिन डी शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ावा देते हैं, जिससे हड्डियों की सेहत लंबे समय तक बनी रहती है। इसके अलावा विटामिन डी मांसपेशियों को स्वस्थ रखता है और नर्व की सेहत के लिए भी जरूरी है, साथ ही साथ यह इम्यूनिटी को भी मजबूत बनाता है।
विटामिन D3 शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ा देती है, जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं और बच्चों में हड्डियों के हेल्दी ग्रोथ में मदद मिलता है। इसके अलावा यह इम्यूनिटी को बूस्ट करता है, और मसल्स के कांट्रेक्शन को रेगुलेट करता है। इतना ही नहीं यह ब्लड ग्लूकोस को ऊर्जा में तब्दील करने में भी मदद करता है। शरीर में विटामिन डी की कमी से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
आमतौर पर विटामिन D3 की आवश्यकता विटामिन D डिफिशिएंसी होने पर होती है। विटामिन डी की कमी होने पर विटामिन D3 सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दी जाती है, इसके अलावा यह हाइपरटेंशन और ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति में अधिक जरूरी हो जाता है।
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हाइपरटेंशन हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति को कहते हैं, यह एक कार्डियोवैस्कुलर समस्या है जो आमतौर पर विटामिन डी की कमी होने पर देखने को मिलती है। स्टडी के माने तो विटामिन D3 ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने में मदद करती है। हाइपरटेंशन और विटामिन डी डिफिशिएंसी से ग्रसित लोगों को इसकी अधिक आवश्यकता होती है।
रिसर्च की माने तो विटामिन डी की कमी होने से ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में विटामिन डी सप्लीमेंट्स खासकर विटामिन D3 की आवश्यकता पड़ती है। रिसर्च की माने तो विटामिन D3 बोन मास डेंसिटी को बढ़ावा देती है, और बढ़ती उम्र के साथ हिप फ्रैक्चर के इंसिडेंट को काफी हद तक कम कर देती है।
बटर, चीज, एग योल्क, सालमन, मिल्क, डेयरी प्रोडक्ट्स, टूना, आदि विटामिन D3 के अच्छे स्रोत हैं।
सूरज की किरणों के माध्यम से भी विटामिन D3 को प्राप्त किया जा सकता है। जब स्किन uvb लाइट से एक्सपोज्ड होती है, तो इससे एक प्रकार का ऑर्गेनिक कंपाउंड निकलता है जो विटामिन D3 के प्रोडक्शन को एक्टिवेट कर देता है। हालांकि, यह उम्र और स्किन टोन पर निर्भर करता है। वहीं त्वचा पर सनस्क्रीन अप्लाई करने से युवी रेज ब्लॉक हो जाते हैं, और विटामिन D3 का प्रोडक्शन भी कम हो जाता है। परंतु बिना सनस्क्रीन के सनलाइट एक्स्पोज़र में न आए, क्योंकि इससे स्किन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
सप्लीमेंट्स किसी भी विटामिन के प्राइमरी स्रोत नहीं होते। आपको सप्लीमेंट्स तभी लेने चाहिए जब आप अपनी डाइटरी सोर्सेज के माध्यम से उनकी आवश्यकता को पूरा न कर पाए। वहीं सप्लीमेंट्स लेने से पहले डॉक्टर की अनुमति बहुत जरूरी होती है। विटामिन D3 सप्लीमेंट्स के तौर पर उपलब्ध है, इसके कैप्सूल, सॉफ्ट जेल, गमीज, लिक्विड ड्रॉप भी आते हैं। ऐसे में यदि आपको इसकी आवश्यकता है, तो डॉक्टर से संपर्क कर इसे सप्लीमेंट के तौर पर ले सकती हैं।
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