गर्मी के मौसम में बॉडी की एक्टिविटीज़ बढ़ जाती हैं। इससे शरीर में हाइपोग्लाइसीमिया यानि लो ब्लड शुगर लेवल का खतरा बना रहता है। मौसम बदलने के साथ गर्मी और हयूमीडिटी बढ़ने लगती है। इससे डिहाइड्रेशन का जोखिम बढ़ने लगता है। वे लोग जो डायबिटीज़ के मरीज हैं, उनमें निर्जलीकरण का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। इससे शरीर में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। अगर आप भी डायबिटिक है और गर्मी के मौसम में कहीं बाहर निकल रही हैं, तो इन बातों का रखें ख्याल (Diabetes in hot weather) ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World health organization के मुताबिक साल 1980 में डायबिटीज के मरीजों की संख्या 108 मीलियन थी। जो साल 2014 में बढ़कर 422 मीलियन हो गई। वहीं वर्ष 2000 से 2019 के बीच आंकड़ों में 3 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। साल 2019 में 2 मीलियन लोगों की मधुमेह और इसके चलते होने वाले किडनी के रोग से ग्रस्त होने से मौत हुई। दरअसल, डायबिटीज़ एक साइंलेंट किलर है। कई तरह की क्रानिक कंडीशंस, विजन लॉस और किडनी डैमेज का कई बार लंबे वक्त तक पता नहीं चल पाता है। इसके कारण गांव व शहरों में लोगों की मौत के मामले सामने आते रहते हैं। डायबिटीज के लक्षणों को समय पर पहचानकर और जांच के ज़रिए इस कंडीशन को रिवर्स किया जा सकता है।
अत्यधिक गर्मी निर्जलीकरण का कारण साबित होती है। आम इंसान के अलावा वे लोग जो डायबिटीज़ के मरीज़ है। उन पर गर्मी का प्रभाव अलग प्रकार से दिखने लगता है। जर्नल ऑफ पी एल ओ एस मेडिसिन के मुताबिक अगर आप पानी नहीं पी रहे हैं, तो इससे ब्लड शुगर में हाई कांटरेक्शंस होने लगती है।
इसके चलते किडनी से रक्त प्रवाह उचित तरीके से नही हो पाता है। ब्लड फ्लो उचित न होने से किडनी शरीर से यूरिन के माध्यम से आपके ब्लड से अतिरिक्त शुगर नहीं निकाल पाती हैं। ऐसे में किडनी के रोगियों को खुद को हाइड्रेट रखना बहुत ज़रूरी है।
अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के रिसर्च के मुताबिक डायबिटीज़ के रोगियों के लिए हर सप्ताह 150 मिनट की शारीरिक गतिविधि बेहद ज़रूरी है। एक्सरसाइज़ करने के लिए दिन के बजाय शाम या फिर अर्ली मार्निंग का समय चुनें। उस वक्त गर्मी आपके शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाएंगी। मौसम के हिसाब से ही व्यायाम के लिए बाहर निकलें, ताकि शरीर गर्मी से झुलसने से बच सके।
सेंटर फॉर डिज़ीज़ एंड प्रिवेंशन के मुताबिक अगर आप मधुमेहके रोगी हैं, तो अपने पैरों का पूरा ख्याल रखें। दरअसल, शुगर के मरीजों को पैरों में हर वक्त नम्गनैस रहती है। इससे पैरों में सूजन बनी रहती है। इसके अलावा नर्व डैमेज होने से पैरों में दर्द, गर्मी और ठण्ड को पूरे तरीके से फील नहीं कर पाते हैं। वहीं पैर के छिलने या कट लगने से भी दर्द का एहसास पूरी तरह से नहीं हो पाता है। ऐसे में सीडीसी के मुताबिक पैरों में जुराबें और जूते पहनकर रखें, ताकि पैर किसी प्रकार की इंजरी से बचे रहें।
सीडीसी के मुताबिक गर्मी के मौसम में डायबिटीज़ के मरीजों को हेल्दी रहने के लिए समय समय पर ब्लड शुगर टेस्ट करवाना बेहद ज़रूरी है। इसके अलावा खुद को स्वस्थ रखने के लिए हेल्दी डाइट से लेकर, दवाएं लेना और रेगुलर चेकअप भी बहुत आवश्यक है। इससे शरीर में आने वाले बदलाव को समय से जांचा जा सकता है।
डायबिटीज़ के वे मरीज़ जो इंसयूलिन लेते हैं, उन्हें मौसम में आए बदलाव का ध्यान में रखना चाहिए। डायबिटीज़ केयर कम्यूनिटी के मुताबिक तापमान के बढ़ने और घटने के हिसाब से डॉक्टरी सलाह से इंसयूलिन लेवल को चेंज कर लेना चाहिए। इसमें चेंजिज लाकर शरीर को हेल्दी और फिट रखा जा सकता है। दरअसल, गर्मी में बार बार पसीना आने से शरीर में थकान और कमज़ोरी महसूस होने लगती है। ऐसे में डॉक्टरी चेकअप के बार इंसयूलिन के लेवल को बढ़ाया या घटाया जा सकता है।
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