तेज़ी से सिर में एक तरफ होने वाले दर्द को माइग्रेन कहा जाता है, जो कई कारणों से बढ़ने लगता हैं। कई घंटों से लेकर दिनों तक चलने वाला माइग्रेन का दर्द सिर को पूरी तरह से जकड़ लेता है। खानपान में बरती जाने वाली अनियमितताएं और फूड एलर्जी माइग्रेन अटैक को ट्रिगर करने लगते हैं। इससे ग्रस्त व्यक्ति को अपच, उल्टी और चक्कर आने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में व्यक्ति शरीर में कमज़ोरी का अनुभव करने लगता है। जानते हैं वो कौन से फूड्स है, जिनकी मदद से माइग्रेन अटैक को ट्रिगर होने से रोका जा सकता है (Dietary tips to deal migraine)।
इस बारे में डायटीशियन नुपूर पाटिल का कहना है कि माइग्रेन के लक्षणों को कम करने उचित आहार का चयन करना आवश्यक है। मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थ जैसे पत्तेदार साग, नट, बीज और साबुत अनाज को आहार में शामिल करें। क्योंकि मैग्नीशियम की कमी माइग्रेन से जुड़ी हुई है। इसके अलावा दिन भर में खूब पानी पीकर हाइड्रेटेड रहें। दरअसल, निर्जलीकरण माइग्रेन के लक्षणों को बढ़ा सकता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार दुनिया भर में 1.1 मिलियन लोग माइग्रेन अटैक की समस्या का सामना कर रहे हैं। ये दूसरी ऐसी समस्या है, जिससे विश्वभर में उच्च मात्रा में लोग ग्रस्त हैं। शोध के अनुसार आहार में सामान्य बदलावों को लाकर माइग्रेन की समस्या से बचा जा सकता है। शरीर में हार्मोनल असंतुलन, कैफीन इनटेक बढ़ने, एंग्जायटी और मील स्किप करने से माइग्रेन की समस्या से होकर गुज़रना पड़ता है। माइग्रेन से बचने के लिए आहार में विटामिन, मिनरल और फैटी एसिड को अवश्य शामिल करें।
अमेरिकन माइग्रेन फाउनडेशन के अनुसार माइग्रेन एक जेनेटिक डिसऑर्डर है, जो 18 फीसदी महिलाओं और 6 फीसदी पुरूषों को प्रभावित करता है। पुराना पनीर, चॉकलेट, रेड वाइन, मोनो सोडियम ग्लूटामेट और आर्टिफिशियल स्वीटनर्स से माइग्रेन का दर्द बढ़ने लगता है। खान पान की गलत आदतें इस समस्या का मुख्य कारण साबित होती हैं।
केले का सेवन करने से शरीर में मैग्नीशियम की कमी पूरी होती है। केले में 74 फीसदी पानी का मात्रा पाई जाती है। इसे खान से शरीर में र्निजलीकरण की समस्या से भी राहत मिलती है। ऐसे में केले का सेवन माइग्रेन अटैक से बचाने में मदद करता है।
शरीर में ओमेगा 3 फैटी एसिड की कमी को पूरा करने के लिए आहार में सीड्स और लेग्यूम्स को शामिल करना बेहद आवश्यक है। इससे शरीर को सूजन व दर्द से राहत मिलती है। इनमें मौजूद एंटी.इंफ्लेमेटरी गुण माइग्रेन अटैक से राहत प्रदान करने में मदद करते हैं।
सिरदर्द और माइग्रेन से बचने के लिए कैमोमाइल, पेपरमिंट, अदरक, लौंग व हल्दी की चाय का सेवन करें। इनमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंटस और एंटी.इंफ्लेमेटरी गुण शरीर को दर्द से उभरने में मदद करते हैं। दिनभर में दो बार हर्बल टी का सेवन करने से माइग्रेन के दर्द से राहत मिलने लगती है।
पालक, मेथी और एवोकाडो को आहार में शामिल करने से शरीर को मैग्नीशियम की प्रापित होती है। शरीर में मैग्नीशियम की नियमित मात्रा से सिरदर्द की समस्या को कम किया जा सकता है।
प्रोबायोटिक्स से भरपूर योगर्ट के सेवन से शरीर में गैस्ट्रोइंटैस्टाइनल लक्षण दूर होने लगते है। कब्ज, डिहाइड्रेशन और भूख न लगना समेत कई समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में योगर्ट को आहार में शामिल करने से गट हेल्थ मज़बूत बनी रहती है।
पेपरमिंट एसेंशियल ऑयल माइग्रेन के दर्द को दूर करने में मदद करता ह। एनआईएच की एक रिसर्च के अनुसार कुछ लोगों का समूह, जो माइग्रेन के दर्द का शिकार था। पेपरमिंट ऑयल की बूंद को उनकी नाक में डाला गया। उस ग्रुप में मौजूद 42 फीसदी लोगों को माइग्रेन के दर्द से राहत मिली। पेपरमिट को केवल स्मेल करने भर से भी माइग्रेन से राहत मिल जाती है।
शरीर में डिहाइड्रेशन के बढ़ने से माइग्रेन की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सादा पानी भरपूर मात्रा में पीएं। इसके अलावा डिटॉक्स वॉटर को भी अपने रूटीन में शामिल कर सकते हैं। मगर आर्टिफिशियल स्वीटनर्स से बचें। उससे माइग्रेन की समस्या का जोखिम बढ़ने लगता है।
वे फूड्स जिनमें टायरामाइन की मात्रा ज्यादा होती है। उससे ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट बढ़ने लगता है। वहीं इसके सेवन से माइग्रेन और डिप्रेशन भी बढ़ने लगता है। नेशनल हैडेक फाउनडेशन के अनुसार लो टायरामाइन डाईट लें। इसके अलावा आहार में सोडियम और फैट की कम मात्रा लें।
आर्टिफिशल फलेवरिंग, स्वीटनर्स और प्रिजर्वेटिवस माइग्रेन की समस्या को बढ़ा देते हैं। इसके अलावा सोडियम और फैट्स भी माइग्रेन की समस्या को बढ़ाकर स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं। ऐसे में प्रोसेस्ड फूड से बचें।
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