लोगों के जीवन में दिनों दिन तनाव और चिंता बढ़ती ही जा रही है। जहां वर्कप्रैशर इसका एक मुख्य कारण है, जो पोषक तत्वों की कमी भी कहीं शरीर में एंग्जाइटी की वजह साबित होती है। हाल ही में आई एक रिसर्च के अनुसार मैग्नीशियम (magnesium) की कमी से शरीर में तनाव की समस्या बनी रहती है, जिसका असर हमारी जीवनचर्या से लेकर वर्क प्रोडक्टिविटी पर भी दिखने लगता है। दरअसल, मैग्नीशियम एक ऐसा आवश्यक पोषक तत्व है, जिसकी कमी से मांसपेशियों में तनाव की समस्या बनी रहती है। जानते हैं कि कैसे मैग्नीशियम की उचित खुराक आपको तनाव (magnesium and mental health) और चिंता से कर पाती है मुक्त।
हेल्थ डायरेक्ट के अनुसार मैग्नीशियम शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्यों और प्रक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व के रूप में मददगार साबित होता है। इससे शरीर को नर्वस सिस्टम उचित तरीके से कार्य करता है। साथ ही ब्लड शुगर लेवल और ब्लड प्रेशर (Blood pressure) नियंत्रित बना रहता है।
बहुत से फूड्स की मदद से हमारे शरीर में मैग्नीशियम की कमी पूरी हो जाती है। इसके लिए हमें अपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां, बीन्स, बादाम काजू और सीड्स को शामिल करना फायदेमंद साबित होता है। यदि आपके शरीर में पर्याप्त मात्रा में मैग्नीशियम नहीं है, तो इसके चलते शरीर को सिरदर्द, भूख न लगना, उल्टी, बेचैनी थकान और कमजोरी जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ता हैं।
तनाव से मुक्ति के लिए यूं तो थैरेपी की आवश्यकता होती है। मगर मैग्नीशियम की नियमित मात्रा को बनाए रखने से मांसपेशियां रिलैक्स रहती है और नर्वस सिस्टम सुचारू स्प से अपना कार्य करता है। मैग्नीशियम के पांच प्रकार होते हैं।
मैग्नीशियम साइट्रेट
मैग्नीशियम ग्लाइकिनेट
मैग्नीशियम मैलेट
मैग्नीशियम टैरेट
मैग्नीशियम थ्रेओनेट
अत्यधिक कैफीन और अल्कोहल का सेवन शरीर में मैग्नीशियम के स्तर को प्रभावित करता है। ऐसे में आहार में मैग्नीशियम से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करके शरीर को हेल्दी बनाया जा सकता है। इसके लिए डाइट में साबुत अनाज, हरी सब्जियां, एवोकाडो, सीड्स, नट्स, डार्क चॉकलेट, तिल, मछली, सोयाबीन और मैग्नीशियम सप्लीमेंटस को शामिल कर सकते हैं।
शरीर में मैग्नीशियम की नियमित मात्रा से न्यूरोट्रांसमीटर को रेगुलेट करने में मदद मिलती है। इससे नींद की गुणवत्ता बेहतर हो जाती है जो एंग्ज़ाइटी (anxiety) को कम करने में मदद करता है। मैग्नीशियम इनटेक (magnesium intake) को बढ़ाकर मसक्यूलर टेंशन कम कर नर्वस सिस्टम (nervous system) को रेगुलेट करने से नींद की गुणवत्ता में सुधार आने लगता है।
ये शरीर में पाए जाने वाले मिनरल्स में से एक है। रिसर्च के अनुसार 48 फीसदी वयस्कों को मैग्नीशियम की भरपूर मात्रा नहीं मिल पाती है। इससे शरीर में ऊर्जा स्तर में गिरावट देखने को मिलती है। दरअसल, मैग्नीशियम की कमी से शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ने लगता है, जो तनाव का कारण साबित होता है। ऐसे में शरीर में इसके स्तर को कम करने से चिंता से राहत मिलने लगती है।
एनआई एन के बनुसार 18 से 30 वर्ष की आयु के वयस्कों के आहार में पुरुषों के लिए 400 मिलीग्राम और महिलाओं के लिए 310 मिलीग्राम मैग्नीशियम की आवश्यकता होती है। वहीं 31 वर्ष से अधिक आयु के वयस्कों में पुरुषों के लिए 420 मिलीग्राम और महिलाओं के लिए 320 मिलीग्राम मैग्नीशियम को ज़रूरी माना जाता है।
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