हममें से ज्यादातर लोग जीवन भर कुछ न कुछ योजना बनाते रहते हैं। उन योजनाओं को पूरा करने की उम्मीद भी करते रहते हैं। ये उम्मीद नौकरी, स्वास्थ्य, धन या सगे-संबंधियों को लेकर भी हो सकती है। संभव है कि हमारी कुछ उम्मीद पूरी नहीं होती हो। इस पर हम अपना आपा खोने लगते हैं। हम अपने दिमाग से काम लेना बंद कर देते हैं। यहां जानते हैं कि हर परिस्थिति में माइंडफुल कैसे रहा (mindful in every situation) जा सकता है।
जर्नल ऑन माइंडफुल स्ट्रेटेजी के अनुसार, माइंडफुल होने से तनाव, एंग्जाइटी, क्रोध दूर हो सकता है। हम सही तरीके से जीवन में आगे बढ़ते हैं। अपने प्रति अधिक जागरूक हो पाते हैं। माइंडफुल नहीं होने पर हम काम को टालते रहते हैं। पर्याप्त नींद और व्यायाम भी नहीं कर पाते हैं। माइंडफुल होने पर प्रत्येक क्षण में अपने व्यवहार के प्रति व्यक्ति अधिक जागरूक हो पाता है। यह व्यक्ति की उन आदतों को बदलने में मदद कर सकता है, जो उसके लक्ष्य की राह में बाधा है।
शांति से बैठने और सांसों का अनुसरण करने के लिए केवल 5 मिनट का समय लें। इस दौरान सिर्फ सांस पर ध्यान दें। इससे बाकी बचे दिन के लिए अधिक सचेत और जुड़ा हुआ महसूस करने में मदद मिल सकती है।
जर्नल ऑन माइंडफुल स्ट्रेटेजी के अनुसार, यदि आप मल्टी-टास्किंग करती हैं और आपका दिमाग स्थिर नहीं है, तो 50% अधिक एरर का सामना करना पड़ेगा। साथ ही कार्यों को पूरा करने में 50% अधिक समय लग सकता है। इसलिए जब भी संभव हो, काम के बीच में ब्रेक के साथ यूनी-टास्किंग पर विचार करना जरूरी है। एक समय में एक चीज़ पर ध्यान देने से काम बिगड़ने की संभावना कम हो जाती है।
किसी भी काम को पूरा करने के लिए अफरातफरी नहीं करें। शांति के साथ हर काम को पूरा करने की कोशिश करें। खुद को शांत करने की प्रक्रिया का आनंद लें। चाहे वह रिपोर्ट लिखना हो, एक कप चाय पीनी हो, या सफाई करनी हो, हमेशा शांत रहें। सिर्फ अपने काम पर ध्यान दें। रोजमर्रा के काम पर ध्यान देना हेल्दी फोकस को बढ़ावा देता है।
खाना खाते समय सिर्फ भोजन पर ध्यान दें। टीवी, कंप्यूटर या पेपर को देखने की कोशिश भी नहीं करें। आप जो वास्तव में खा रही हैं, उसका स्वाद ले सकती हैं। भोजन का आनंद ले सकती हैं। यह न केवल आपके शरीर के लिए, बल्कि आपकी आत्मा के लिए भी अच्छा है।
संपूर्ण मीडिया हमारी उंगलियों पर होने से, हम आसानी से सूचनाओं की अधिकता से ग्रस्त हो जाते हैं। स्क्रीन टाइम के लिए सीमाएं निर्धारित करें। सोशल नेटवर्किंग के लिए समय निश्चित करें। यहां तक कि अलार्म भी सेट करें। सोते समय मोबाइल उपकरणों को पहुंच से दूर रखने की पूरी कोशिश करें।
चाहे वह वॉकिंग हो, योगाभ्यास करना हो या अपने डेस्क पर स्ट्रेचिंग करना हो, हिलते हुए शरीर की संवेदनाओं के प्रति जागरूक रहें।
किसी पार्क, जंगल, पहाड़ की पगडंडियों या समुद्र तट के किनारे सैर करें।कुछ देर घर से बाहर रहने की कोशिश करें। घर से बाहर निकलने पर शरीर, दिमाग और मन तीनों स्वस्थ और संतुलित (mindful in every situation) होते हैं।
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