फोकस और प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए जरूरी है अपने शरीर पर ध्यान देना, इन 4 चीजों से करें शुरुआत

हर शरीर की अपनी कुछ मांग होती है। यदि इस मांग पर ध्यान दिया जाए तो न केवल शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि फिटनेस भी हासिल हो पाता है। फिटनेस हासिल करने के कुछ तरीके भी हैं।
apne sharir ka dhyan rakhne se focus badhta hai.
यदि हम शारीरिक और भावनात्मक रूप से अपने शरीर की सुनते हैं, तो शरीर की बीमारी और उसके लक्षणों को जान पाते हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Published: 22 Mar 2024, 08:00 am IST
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मेडिकली रिव्यूड

इन दिनों वायरल फीवर से लोग बहुत अधिक बीमार पड़ रहे हैं। हमें जैसे ही थोड़ा-बहुत बुखार आता है या हम असहज महसूस करते हैं, हम तुरंत दवा ले लेते हैं। एंटीबायोटिक या एंटासिड ले लेते हैं। दूसरी ओर जब खाना खाने की बारी आती है, तो हाई शुगर खाद्य पदार्थ या प्रोसेस्ड कार्ब्स खा लेते हैं। हम शरीर के लक्षणों का कारण नहीं खोज पाते हैं। इसलिए वास्तविक मुद्दों का समाधान नहीं कर पाते हैं। नतीजा यह होता है कि हमें शरीर के किसी अंग में दर्द, सीने में जलन, थकान, सिरदर्द होता रहता है। इसलिए हमें अपने शरीर की मांग पर ध्यान (listen to your body) देना चाहिए।

सबसे ज्यादा जरूरी है अपने शरीर की सुनना (listen to your body is important)

यदि हम शारीरिक और भावनात्मक रूप से अपने शरीर की सुनते हैं, तो शरीर की बीमारी और उसके लक्षणों को जान पाते हैं। शरीर की बीमारी के मूल कारण को जान पाते हैं। इससे व्यक्ति को सर्वोत्तम स्वास्थ्य, जीवन शक्ति, शांति, ऊर्जा और आनंद मिल सकता है। हमें अपने शरीर की बात सुनने के लिए समय निकालना चाहिए। भले ही कुछ मिनटों के लिए ही सही इससे क्वालिटी लाइफ, बढ़िया स्वास्थ्य और खुशहाली मिल पाती है।

यहां हैं अपने शरीर को सुनने के 4 उपाय (4 tips to listen your body for wellness

1 मन और शरीर पर ध्यान दें (focus on mind and body)

मन और शरीर एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। ज्यादातर लोग शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देते हैं और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देते हैं। हमें यह सोचना चाहिए कि शरीर और मन एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। मानसिक स्वास्थ्य बढ़िया होने पर ही शारीरिक स्वास्थ्य बढ़िया हो पाता है। मानसिक स्वास्थ्य तभी बढ़िया हो पाता है जब हम मन को पहचानकर उसकी भलाई के लिए जान पाते हैं। मन का भला तभी होता है जब खुद को गहराई से जान पाते हैं और प्यार कर पाते हैं।

2 सेल्फ केयर करें (Do self care)

शरीर की बात सुनने का मतलब अक्सर भावनात्मक जांच करना होता है। यदि आप आधी रात को ऑफिस ईमेल चेक करती हैं और उसका उत्तर देती हैं, तो निश्चित तौर पर मन को बढ़िया नहीं लगता होगा। बैक-टू-बैक करने पर हमारा नर्व प्रभावित होने लगता है। इससे आपका मेन्टल हेल्थ प्रभावित होने लगता है। इसलिए सबसे पहले खुद पर ध्यान दें। सेल्फ केयर दुनिया में बने रहने के लिए जरूरी है।

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शरीर की बात सुनने का मतलब अक्सर भावनात्मक जांच करना होता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

इस तरह आप जीवन के हर दूसरे हिस्से में बेहतर कर पाएंगी। बिस्तर पर जाने से पहले चैंटिंग ऑफ करना, सोने से पहले आरामदायक योग करना, यहां तक कि कार में खुशबूदार एसेंशियल ऑयल की शीशी रखना भी सेल्फ केयर हो सकता है।

3 जरूरी एक्सरसाइज और योगासन करना (exercise and yogasana)

अपने शरीर का ध्यान रखने का इससे बेहतर तरीका क्या हो सकता है कि इसके लिए जरूरी फिजिकल एक्टिविटी की जाए। पर इसका मतलब यह नहीं है कि हम पूरे दिन जिम में अपने-आप को झोंक दें या हेडफोन बजाकर दौड़ लगा दें। इसका मतलब यह है कि दिन भर में सिर्फ 30 मिनट अपने शरीर को दिया जाये। फिजिकल एक्टिविटी की जाए। इनके अलावा सांसों पर ध्यान केंद्रित करने, सिर से लेकर छोटी उंगली तक प्रत्येक व्यक्तिगत भाग की भावनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।

4 खुद को करें स्लो डाउन (Slowdown yourself)

क्या आपको लगता है कि आप मल्टी-टास्कर हैं? एक समय में आप कई तरह के काम कर लेती हैं। शरीर का ध्यान रखने का मतलब खुद को कई सारे काम करके एग्जॉस्ट कर लेना नहीं है। सबसे पहले सेल्फ केयर जरूरी है। बहुत अधिक खुद पर बोझ देने की बजाय अपने-आपको स्लो करना है। यह देखना जरूरी है कि अपनी देखभाल किस तरह करनी है।शारीरिक चोटों का किस तरह ध्यान रखना है।

multitasking ke nuksaan
शरीर का ध्यान रखने का मतलब खुद को कई सारे काम करके एग्जॉस्ट कर लेना नहीं है। चित्र : शटरस्टॉक

उदाहरण के लिए यदि घुटनों का दर्द है, तो उसे इग्नोर करने की बजाय दर्द दूर करने के उपाय करने होंगे। रूखी त्वचा है, तो उसे मॉइस्चराइज़ करना होगा। शरीर को रीजुवेनेट करने के लिए खुद को स्लो डाउन करना होगा और अपने ऊपर ध्यान देना होगा।

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स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।...और पढ़ें

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