हममें से ज्यादातर लोग सप्ताह के पांच दिन बहुत अधिक काम करते हैं। फिर वीकएंड का उपयोग आराम करने के लिए किया जाता है। हालांकि अकसर वीकएंड का उपयोग घर के पेंडिंग कार्य को निपटाने में कर लिया जाता है। सोशल साइट पर बहुत अधिक एक्टिव रहने और मोबाइल पर उपलब्ध तरह-तरह के ज्ञान को खंगालते हुए हम बर्नआउट हो जाते हैं। इसके कारण दूसरे दिन काम पर जाने पर थका हुआ महसूस करते हैं। हमें मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को मजबूती देने के लिए समय-समय पर माइक्रो ब्रेक (micro break) लेना चाहिए।
जर्नल ऑन वर्क लाइफ बैलेंस में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्ष अनुसार, माइक्रो ब्रेक छोटे ब्रेक होते हैं, जो कुछ सेकंड से लेकर कई मिनट तक चल सकते हैं। लंबे समय तक लगातार बैठ कर काम करने के दौरान मोनोटोनी तोड़ने के लिए छोटे-छोटे ब्रेक लिए जाते हैं। इसे ही माइक्रो ब्रेक कहा जाता है। शोध से पता चलता है कि 10 मिनट या उससे कम समय के छोटे ब्रेक स्ट्रेस लेवल को प्रबंधित करने में उतने ही महत्वपूर्ण हो सकते हैं जितने लंबे ब्रेक। ये माइक्रो ब्रेक किसी भी तत्काल शारीरिक, मानसिक या इमोशनल हेल्थ को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं।
जर्नल ऑन वर्क लाइफ बैलेंस के अनुसार, माइक्रो ब्रेक प्रोफेशनल वर्क के प्रदर्शन, प्रेरणा और एकाग्रता में सुधार करने में मददगार साबित हुए हैं। इससे ओवरऑल वेल बीइंग में सुधार होता है। माइक्रो ब्रेक तनाव को भी कम कर सकते हैं। यहां तक कि काम करने के तरीके में भी सुधार ला सकते हैं। माइक्रो ब्रेक कम समय में आपको रिजुवेनेट कर सकते हैं। इससे काम के दौरान चुनौतियां आने पर आप अधिक लचीला महसूस कर सकती हैं। इस तरह यह लॉन्ग पीरियड में किसी भी व्यक्ति को बर्नआउट से बचा सकते हैं।
जब हम पर्याप्त ब्रेक के बिना लंबे समय तक लगातार काम करते हैं, तो थकान बढ़ सकती है। यह संभावित रूप से हमारी नींद की गुणवत्ता और ओवरऑल हेल्थ को प्रभावित करने लगती है। इससे प्रोफेशनल लाइफ की प्रभावशीलता और व्यक्तिगत जीवन भी प्रभावित हो सकता है। लगातार काम करना, आपको लंबी थकान और उदासीनता दे सकता है। इसलिए विशेषज्ञ काम के बीच ब्रेक लेने की सिफारिश करते हैं।
मगर माइ्क्रो ब्रेक लेने का अर्थ काम छोड़कर सो जाना नहीं है। आप इसे इस तरह ले सकते हैं, जिससे आपका मस्तिष्क फिर से सक्रिय होकर बेहतर तरीके से काम कर सके। यहां हम ऐसे ही कुछ तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं।
जर्नल ऑन प्रोफेशनल डेवलपमेंट के अनुसार, शरीर को किसी भी तरह से हिलाना हमेशा माइक्रो ब्रेक का एक अच्छा उपयोग होता है। चाहे आप पूरे दिन डेस्क पर बैठी हों या लगातार खड़े होकर काम करना हो, कुछ माइंडफुल मूवमेंट में शामिल होने से किसी भी प्रकार के तनाव से राहत पाने में मदद मिल सकती है। बैठ कर काम करने के हर एक घंटे बाद पांच मिनट तक खड़े रहना और मूव करना स्वास्थ्य और वेलनेस में सुधार कर सकता है। वॉकिंग से रचनात्मकता बढ़ सकती है।
हर 30 मिनट बाद खड़ी हो जाएं। हाथ, पैर और पीठ को फैला लें। यह सरल क्रिया मांसपेशियों के तनाव को कम कर सकती है और ब्लड सर्कुलेशन (micro break for better blood circulation) को बढ़ावा दे सकती है। स्टैंडिंग डेस्क मूव्स तनावमुक्त रहने के नए तरीके खोजने में मदद कर सकते हैं।
काम करने की जगह से उठकर ऑफिस में मौजूद हरी घास और सुंदर पेड़-पौधे से सजे लॉन की सैर कर लें। आसपास घूमने से मानसिक स्थिति बदल सकती है। यह प्रकृति के बीच मौजूद होने की शांति और सुकून दे सकती है। इससे आप दोबारा एनर्जेटिक महसूस कर सकती हैं। अपने काम के हिसाब से माइक्रो ब्रेक लें। यहां तक कि अगर आप वर्क फ्रॉम होम (Work from Home) कर रही हैं, तो कुछ देर के लिए वर्किंग प्लेस को छोड़कर दूसरे कमरे में चली जाएं। परिवेश का यह बदलाव मस्तिष्क को आराम करने और गियर बदलने में मदद कर सकता है।
थोड़ी देर टहलना, चाहे ऑफिस के आसपास हो या बाहर, आपको फिर से ऊर्जावान बना सकता है। यह दृश्यों में बदलाव लाकर आपका मूड और प्रोडक्टिविटी दोनों बढ़ा सकता है।
माइंडफुलनेस तनाव और एंग्जायटी से राहत पाने का एक शानदार तरीका है। कई धारणाओं के उलट, इसके लाभों को महसूस करने के लिए आपको इस अभ्यास में बहुत अधिक समय समर्पित होने की आवश्यकता नहीं है। अपना ध्यान केंद्रित करने और तनाव कम करने के लिए तुरंत माइंडफुलनेस एक्सरसाइज करें। यह कुछ मिनट सिर्फ गहरी सांस लेना या सांस पर ध्यान केंद्रित करना और आंख बंद कर कुछ पल बैठना भी हो सकता है।
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कस्टमाइज़ करेंअपने लिए नया ब्रेकफास्ट बनाना या किसी मित्र से फ़ोन पर बातचीत करना या अपनी पसंद की पेंटिंग बनाना भी माइक्रो ब्रेक (micro break) हो सकता है। आप जो भी चुनें, मन को रुचि के काम या गतिविधि में व्यस्त रखने का आनंद लें।
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