शरीर को पोषण प्रदान करने के लिए मोटे अनाज बेहद कारगर साबित होते हैं। इन दिनों इनका इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा है। रागी यानि फिंगर मिलेट के आटे को लोग खास तौर से अपने आहार में सम्मिलित कर रहे हैं। इनमें पाए जाने वाले न्यूट्रिएंट जहां शरीर में खून की कमी को पूरा करते हैं, तो वहीं तेज़ी से बढ़ रहे वेटगेन से भी राहत दिलाते हैं। आमतौर पर रोटी बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रागी के आटे से तैयार कुरकुरे पापड़ स्वाद और सेहत दोनों में ही इज़ाफा करते हैं। जानते हैं रागी के फायदे और इससे तैयार होने वाली पापड़ (Ragi Papad Recipe) की रेसिपी भी।
इस बारे में बातचीत करते हुए डायटीशियन मनीषा गोयल का कहना है कि रागी यानि फिंगर मिलेट्स फाइबर, विटामिन बी9 और बी12 का मुख्य स्त्रोत है। इसे अपने आहार में शामिल करने से शरीर में जमा होने वाली अतिरिक्त कैलोरीज़ से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा शरीर में आयरन की कमी को दूर किया जा सकता है।
रागी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंटस की मात्रा रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है। इसके नियमित सेवन से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को दूर किया जा सकता है। रागी में पाई जाने वारले पॉलीफेनोल्स की मात्रा शरीर में बढ़ने वाली शुगर के स्तर को रेगुलेट करने में मदद करती है।
नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ हेल्थ के अनुसार कैल्शियम और पोटेशियम से भरपूर रागी का सेवन करने से शरीर की हड्डियों को मज़बूती मिलती है। इसके नियमित सेवन से शरीर में ओस्टियोपिरोसिस का जोखिम कम होने लगता है। इसमें मौजूद फाइटिक एसिड शरीर में मिनरल्स के एब्जॉर्बशन को बढ़ाने में मदद करता है।
महिलाओं में पाई जाने वाली आयरन की कमी को पूरा करने के लिए रागी का सेवन बेहद कारगर है। रागी को डाईट में शामिल करने से शरीर में रेड ब्लड सेल्स का काउंट बढ़ने लगता है। इसमें पाए जाने वाले पॉलीफेनोलस और माइक्रोन्यूट्रिएंटस की मदद से शरीर में खून की उचित मात्रा बनी रहती है और आयरन के अवशोषण में मददगार साबित होते हैं।
इसमें पाया जाने वाली डाइटरी फाइबर बार बार होने वाली क्रेविंग की समस्या को हल कर देता है। रोज़ाना रागी को आहार में शामिल करने से शरीर में जमा होने वाली अतिरिक्त कैलोरीज़ को रोका जा सकता है। वेटलॉस के लिए आहार में रागी को सम्मिलित करना बेहद ज़रूरी है।
फाइबर, मिनरल और अमीनो एसिड से भरपूर रागी शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है। नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ हेल्थ के अनुसार 6 सप्ताह के लिए डाइट में 20 फीसदी रागी को शामिल करने से यूरिन में एल्ब्यूमिन और क्रिएटिनिन का एर्क्जशन कम होने लगता है। रिसर्च के मुताबिक डाइटरी फाइबर की मदद से ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने और डायबिटीज़ के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में 422 मीलियन लोग डायबिटीज़ का शिकार है। इसके चलते किडनी की समस्या, हृदय रोग और अंधेपन की समसया बढ़ने लगती है। जहां कार्ब्स रिच डाइट शुगर लेवल को स्पाइक करती हैं। तो वहीं रागी ब्लड शुगर लेवल को रेगुलेट करने में मदद करती है।
रागी का आटा 2 कप
वेजिटेबल ऑयल 4 बड़े चम्मच
जीरा 1 चम्मच
पानी 1 कप
नमक स्वादानुसार
कढ़ाही में 1 कप पानी डालें। अब उसमें स्वादानुसार नमक और 1 चम्मच जीरा मिलाएं। इस पानी को कुछ देर उबलने दें।
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कस्टमाइज़ करेंइस पानी में अपने स्वादानुसार कोई भी मसाला एड कर सकते हैं, जिससे पापड़ के स्वाद को बढ़ाया जा सकता है।
अब फ्लेम बंद करें और 2 कप रागी का आटा मिलाएं। इस मिश्रण को पूरी तरह से मिक्स कर लें और डो तैयार करें।
15 मिनट के लिए इस आटे को ढककर रख दें। तैयार आटे को एक बड़े बर्तन में निकालकर कुछ देर तक गूंथें।
गूंथने के बाद आटे से छोटी-छोटी लोई तैयार कर लें।
पहले बटर पेपर बिछा लें और उस पर लोई को रखकर एक-एक कर बेलें और गोलाकार दें। जहां तक संभव हो आटे को मोटा बेलने से बचें और उसे पतला ही बेलें।
बेले हुए आटे को सूखने के लिए धूप या पंखे के नीचे दिन भर के लिए रख दें।
अब कढ़ाही में तेल गर्म करके पापड़ तैयार तल लें। ध्यान रहे कि पापड़ को मध्यम आंच पर तलें और उसे पूरी तरह से पकने दें।
इसे सुबह या फिर शाम के नाश्ते और लंच व डिनर के साथ सर्व करें।
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