विंटर सीजन आ चुका है। इस मौसम में तरह-तरह के साग मिलते हैं। सभी साग एक से बढ़कर एक पौष्टिक तत्वों से भरपूर (Green Leafy Vegetable nutrition) होते हैं। मेथी, राई, पालक, सरसों, गांठ गोभी के साग, मूली के साग, शलजम के साग के अलावा बथुआ के साग भी इन दिनों खूब मिलते हैं। पोषक तत्वों से भरपूर हरा पत्तेदार बथुआ को डायबिटीज के मरीज भी खा सकते हैं। यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता (Bathua for Diabetics) है।
बथुआ के पत्ते पौष्टिक गुणों से भरपूर होते हैं। यह आवश्यक मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है। यह विटामिन ए, विटामिन सी और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स का पावरहाउस है। पत्तियां अमीनो एसिड की भी अच्छा स्रोत हैं। अमीनो एसिड कोशिका कार्य और कोशिका मरम्मत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बथुआ में आयरन, पोटैशियम, फॉस्फोरस और कैल्शियम जैसे मिनरल्स भी प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। फाइबर और पानी से भरपूर बथुआ लैक्सेटिव गुणों वाला है। यह कब्ज दूर कर आंतों की गतिविधि को बढ़ाता है और पेट की कई समस्याओं को ठीक करता है। लीवर को स्वस्थ रख कर ब्लड शुगर कंट्रोल करने (Bathua to control blood sugar level) में भी मदद कर सकता है।
डायबिटीज पेशेंट बथुआ की पत्तियों का नियमित सेवन कर सकते हैं। यह ब्लड शुगर लेवल पर निगेटिव प्रभाव डालता है। बथुआ की पत्तियां ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद करती हैं। इस प्रकार मधुमेह और इससे जुड़ी अन्य जटिलताओं के खतरे को यह कम करती हैं। इसे दवा के रूप में उपयोग करने से पहले डॉक्टर की जरूर सलाह लेनी चाहिए। ब्लड शुगर के मरीज को हमेशा संतुलित आहार और दवा का पालन करना चाहिए। बथुआ ब्लड प्यूरीफायर (Blood Purifier Bathua) है। यह टोक्सिंस निकालकर शरीर को स्वस्थ करता है। यह अनहेल्दी कोलेस्ट्रॉल एलडीएल को कम करने में मदद करता है।
ज्यादातर हरी पत्तीदार सब्जियां नॉन स्टार्च वाली होती हैं। इसलिए ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम यानी 0-15 के बीच होता है। बथुआ साग का भी ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम (Low Glycaemic Index of Bathua) होता है। इसलिए इसे मधुमेह के मरीज अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) खाद्य पदार्थों में कार्बोहाइड्रेट की सापेक्ष रैंकिंग है कि वे ब्लड शुगर लेवल (Bathua for Diabetics) को कैसे प्रभावित करते हैं। कम जीआई वैल्यू (55 या उससे कम) वाले कार्बोहाइड्रेट धीरे-धीरे पचते हैं।
यह ब्लड ग्लूकोज में धीरे-धीरे वृद्धि का कारण बनते हैं। साथ ही बथुआ साग में फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है। फाइबर को टूटने और पचने में लंबा समय लगता है। यह सुनिश्चित करता है कि कार्बोहाइड्रेट रक्त प्रवाह में धीरे-धीरे जारी हो पाता है।
1 डायबिटीज के मरीज बथुआ के साग (Bathua for Diabetics) को खाने के लिए कोमल पत्तियों और ताज़ा तनों को भून कर उपयोग कर सकते हैं। इसे नाम मात्र के तेल में भूना जा सकता है।
2 साग को बारीक काटकर सलाद में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
3 पौधे की पत्तियों और कोमल बीजों का उपयोग सूप और परांठे बनाने में भी किया जा सकता है । ब्रेड को बेसन और बथुआ के पत्ते के साथ लपेटकर पैन पर पकाया जा सकता है।
4 पत्ते को दाल-दलिया में डालकर पकाकर खाया जा सकता है।
5 डायबिटीज पेशेंट बथुआ के पत्ते के 2 टी स्पून रस में हाफ टी स्पून नींबू का रस मिलाकर दिन में दो बार सेवन कर सकते हैं।
6 सूप, स्टू, करी से लेकर जूस भी तैयार कर डायबिटीज (Bathua for Diabetics) के मरीज ले सकते हैं।
बथुआ की पत्तियों का बहुत अधिक सेवन नहीं करें। इससे ब्लड शुगर लेवल लो (Low Blood Sugar) होने का खतरा (Bathua health risks) बनने लगता है।
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