प्लांट बेस्ड प्रोटीन उतना अच्छा नहीं है जितना हम सोचते हैं, जानिए इनके कुछ स्वास्थ्य जोखिम

जिम और फिटनेस का ट्रेंड जबसे बढ़ा है तब से प्रोटीन के सावन पर भी बाते काफी होने लगी है। जो लोग मासाहारी है वो तो अपना प्रोटीन का सेवन आसानी से पूरा कर लेते है। लेकिन जो लोग शाकाहारी है बहस उनसे शुरू होती है कि क्या प्लांट बेस्ड प्रोटीन वाकई अच्छा है।
plant based protein ke side effect
प्लांट और एनिमल प्रोटीन के बीच सबसे बड़ा अंतर उनकी ल्यूसीन सामग्री में आता है। चित्र : शटर स्टॉक
संध्या सिंह Published: 28 Jan 2024, 12:30 pm IST
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हम मसल्स हो बनाने के लिए प्रोटीन पाउडर पर ही निर्भर है, जिसमें वेह, हैंप, सोयाबीन और पी प्रोटीन सभी आसानी से बाजार में उपलब्ध हैं। सभी प्रोटीन पाउडर एक जैसे दिखते हैं और स्वाद भी लगभग एक जैसा ही होता है, इसलिए यह सोचना आसान हो सकता है कि उनके लाभ भी एक ही समान होंगे। लेकिन ये गलत है पशु प्रोटीन पाउडर (जैसे वेह) और पौधों के पाउडर (जैसे सोया और मटर) हमेशा लीन मांसपेशियों पर समान प्रभाव नहीं डालते हैं।

प्लांट प्रोटीन एनिमल प्रोटीन से कैसे अलग हैं

प्लांट और एनिमल प्रोटीन के बीच सबसे बड़ा अंतर उनकी ल्यूसीन सामग्री में आता है। ल्यूसीन प्रोटीन में मौजूद अमीनो एसिड है जो मांसपेशियों को बढ़ाने में सीधे तौर पर शामिल होता है। मांसपेशी को तेजी से बढ़ाने के लिए आपको एक समय में लगभग 2.5 से 3 ग्राम ल्यूसीन का उपभोग करने की आवश्यकता है।

एनिमल प्रोटीन में ल्यूसीन स्वाभाविक रूप से अधिक होता है, इसलिए केवल एक सर्विंग में 2.5 ग्राम प्रोटीन शरीर को मिल जाता है। प्लांट प्रोटीन के मामले में ऐसा नहीं है। जबकि वेह प्रोटीन पाउडर में आमतौर पर लगभग 8 से 10% ल्यूसीन होता है, सोया में 7.8%, जबकि हैंप में 5.1% होता है। इसका मतलब यह है कि मांसपेशियों की वृद्धि को गति देने के लिए 25 ग्राम वेह प्रोटीन लगेगा लेकिन 50 ग्राम तक हैंप प्रोटीन लेना होगा।

प्लांट प्रोटीन में अक्सर एक या अधिक आवश्यक अमीनो एसिड की कमी होती है। चित्र : शटरस्टॉक

इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने बात की डॉ. राजेश्वरी पांडा नें, डॉ. राजेश्वरी पांडा मेडिकवर अस्पताल, नवी मुंबई में पोषण और आहार विज्ञान विभाग की एचओडी है।

वो बताती है कि प्लांट प्रोटीन स्वस्थ आहार का एक हिस्सा हो सकता है, वे कुछ पहलुओं में एनिमल प्रोटीन जितने फायदेमंद नहीं हैं। पौधों के प्रोटीन की पोषण गुणवत्ता व्यक्तिगत आवश्यकताओं और डाइट के विकल्पों के आधार पर अलग हो सकती है।

क्यों प्लांट बेस्ड प्रोटीन के ज्यादा अच्छा नहीं माना जाता

अमीनो एसिड अधूरे होते हैं

प्लांट प्रोटीन में अक्सर एक या अधिक आवश्यक अमीनो एसिड की कमी होती है, जो प्रोटीन के बिल्डिंग बॉल्क होते हैं जिन्हें शरीर स्वयं उत्पन्न नहीं कर सकता है। जबकि संपूर्ण अमीनो एसिड प्रोफाइल सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्लांट प्रोटीन स्रोतों का सेवन करके इसे पूरा किया जा सकता है, डॉ. राजेश्वरी पांडा बताती है कि एनिमल प्रोटीन आम तौर पर अधिक आसानी से पचने वाले आवश्यक अमीनो एसिड प्रदान करते हैं।

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त्वचा, बाल और नाखून प्रोटीन से बने होते हैं, जो अमीनो एसिड से बने होते हैं। चित्र- अडोबी स्टॉक चित्र : शटरस्टॉक

कम प्रोटीन डेंसिटी

प्लांट बेस्ड खाद्य पदार्थों में पशु-आधारित स्रोतों की तुलना में प्रोटीन की मात्रा कम हो सकती है। इसका मतलब यह है कि पूरी तरह से पौधे-आधारित स्रोतों पर निर्भर रहने वाले व्यक्तियों को अपनी प्रोटीन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में भोजन का सेवन करने की जरूर हो सकती है।

एंटी-पोषक तत्व

कुछ पौधों में एंटी-पोषक तत्व के रूप में जाने जाने वाले यौगिक होते हैं, जैसे फाइटेट्स और लेक्टिन, जो कुछ पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा डाल सकते हैं। हालांकि ये पदार्थ अक्सर खाना पकाने या प्रोसेस्ड के माध्यम से कम हो जाते हैं, फिर भी ये कुछ व्यक्तियों के लिए चिंता का कारण बन सकते है।

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लेखक के बारे में

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं। ...और पढ़ें

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