मकर संक्राति (Makar Sankranti) का त्योहार देश भर में मनाया जाता है। सूर्य की अराधना के इस पर्व के मौके पर लोग सूर्यदेव की उपासना करते हैं और उनका आर्शीवाद पाने के लिए सुबह-सवेरे उठकर उन्हें जल अर्पित कर पूजा करते हैं। सदियों से मनाए जाने वाले इस त्योहार को देश भर में अलग अलग नामों से जाना जाता है। आस्था का ये महापर्व स्वास्थ्य को भी कई प्रकार के फायदे प्रदान करता है। तो चलिए सूर्य नमस्कार से करें मकर संक्राति (Makar Sankranti) का स्वागत। जानते हैं सूर्य नमस्कार के फायदे और इन्हें करने के लिए किन स्टेप्स को करें फॉलो (Benefits of Surya namaskar)।
इस बारे में योग गुरू आचार्य प्रतिष्ठा का कहना है कि सूर्य की रोशनी में सूर्य नमस्कार के स्टेप्स करने से शरीर को भरपूर मात्रा में विटामिन डी की प्राप्ति होती है। इससे शरीर कई प्रकार की समस्याओं से बचा रहता है। सूर्य की अराधना के उत्सव मकर संक्राति (Makar Sankranti) का एक खास महत्व है। मकर संक्राति के पर्व पर पंतगबाज़ी के बहाने भी लोग दिन भर सूर्य के प्रकाश के संपर्क में रहते हैं। इससे शरीर एक्टिव और हेल्दी बना रहता है। साथ ही इस मौके पर बनाए जाने वाले तिल के लड्डू से शरीर को कैल्शियम की प्राप्ति होती है।
सूर्य को नमन करने के लिए 12 मुद्राओं से मिलकर बने सूर्य नमस्कार का विशेष महत्व है। तन और मन को हेल्दी बनाए रखने वाले सूर्य नमस्कार एक क्रम के अनुरूप किया जाता है, जिसमें 7 योगासनों को सम्मिलित किया गया है। इससे शरीर को कई प्रकार के फायदे मिलते हैं। सूर्य नमस्कार के अंर्तगत आने वाली सभी मुद्राओं का अपना महत्व है। जानते हैं शरीर को ऊर्जा से भरपूर बनाए रखने वाले सूर्य नमस्कार के फायदे।
सूर्य नमस्कार (Surya namaskar) को सूरज की रोशनी में करने को विटामिन डी की प्राप्ति होती है। इसे नियमित तौर पर करने से शरीर में ऊर्जा का स्तर बना रहता है। इससे काम करने की क्षमता में भी बढ़ोतरी होती है, जिससे आप वर्क प्लेस पर ज्यादा प्रोडक्टिव बन सकते हैं।
इस योगासन की मदद से पेट की मांसपेशियों में खिंचाव आता है, जिससे ब्लोटिंग, कब्ज, अपच और पेट दर्द की समस्या से राहत मिलती है। इससे डाइजेशन इंप्रूव होता है और मेटाबॉलिज्म बढ़ने लगता है। साथ ही पेट पर जमा चर्बी भी बर्न होने लगती है।
दिन की शुरूआत सूर्य नमस्कार (Surya namaskar) से करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन उचित मात्रा में होने लगता है, जिससे शरीर हृदय संबधी समस्याओं और डायबिटीज़ से मुक्त रहता है। इससे तन और मन दोनों हेलदी बने रहते हैं।
रोज़ाना सूर्य नमस्कार के स्टेप्स को करने से नींद न आने की समस्या हल होने लगती है। इससे मस्तिष्क तनाव मुक्त रहता है, जिससे शरीर रिलैक्स हो जाता है। मेंटल हेल्थ बूस्ट होने से नींद न आने की परेशानी से मुक्ति मिल जाती है।
सुबह उठकर सूर्य की रोशनी में किए जाने वाले इस योगासन को करने से शरीर में विटामिन डी की कमी पूरी हो जाती है। इससे हड्डियां मज़बूत बनती है और बार बार चोटिल होने का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा शरीर में होने वाली ऐंठन और दर्द की समस्या दूर हो जाती है।
प्रणामासन यानि प्रार्थना मुद्रा ,जिसमें दोनों पैरों को जोड़कर सीधे खड़े हो जाएं। अब गहरी सांस लें व छोड़ें और दोनों हाथों को आपस में जोड़ लें।
इसमें अब दोनों हाथों को नमस्कार की मुद्रा में बनाए रखें, उपर की ओार उठाएं और शरीर व दोनों हाथों को पीछे की ओर लेकर जाएं।
वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए
बीएमआई चेक करेंअब दोनों हाथों को आगे की ओर लेकर आएं और सीधा खड़े हो जाएं। फिर दोनों हाथों से जमीन को छूएं और घुटनों को सीधा रखें। दोनों घुटनों से सिर को छूएं।
दांए घुटने को मोड़ते हुए पावं पीछे की ओर लेकर जाएं। कुछ देर के लिए गर्दन को उपर की ओर उठाएं और फिर कुछ देर के लिए इसी मुद्रा में बने रहें।
अब दाएं पैर के साथ बाएं पैर को पीछे की ओर लेकर जाएं। इसमें दोनों पैरों की एड़ियों को जोड़कर शरीर को पुशअप की मुद्रा में ले आएं। गर्दन को अंदर की ओर लेकर आएं और चिन को नेक से टच करने का प्रयास करें
अब पेट के बल ज़मीन पर लेट जाएं। दंडवत प्रणाम की मुद्रा में लेकर छाती से लेकर घुटनों तक सभर अंगों को ज़मीन से छूएं। इस मुद्रा में धीरे धीरे सांस लें और फिर छोड़ें।
दोनों हथेलियों को जमीन से चिपका लें और अब गर्दन को उपर की ओर उठाएं। सिर को पीछे की ओर जितना सींव हो उतना लेकर जाएं। अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें।
अब शरीर को उपर की ओर उठाएं। हाथों और पैरों को जमीन से लगाकर रखें और कमर से शरीर को उपर उठाएं। इससे शरीर का लचीलापन बढ़ता है और ब्लड सर्कुलेशन नियमित बना रहता है।
इस योग मुद्रा को करते हुए बाएं घुटने को मोड़ लें और दाएं घुटने को पीछे की ओर लेकर जाएं। इस योगासन को करते वक्त सिर उपर की ओर रखें।
सीधे खड़े हो जाएं। पीठ को सीधा रखें और दोनों हाथों से पैरों को छूने का प्रयास करें। इस दौरान र्गदन को घुटनों से टच करें।
अब अपने दोनों हाथों को जोड़ लें, सीधे खड़े हों। दोनों पैरों के मध्य दूरी न रखें, उन्हें एक दूसरे के साथ जोड़ लें। आंखों को बंद रखें और गहरी सांस लें व छोड़ें।
अब सीधे खड़े हो जाएं और दोनों बाजूओं को नीचे ले आएं। गहरी सांस लें और छोड़ें। शरीर को ढ़ीला छोड़ दें।
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