हम सभी खुद को फिट रखने के लिए वर्कआउट करते हैं। हम चाहते हैं कि अपने वर्कआउट के स्तर को और बेहतर करते जाएं। पर कुछ बेसिक चीज़ें हैं, जो आपके वर्कआउट के रिजल्ट सेट कर सकती हैं। अगर इन पर ध्यान न दिया जाए तो आपकी सारी मेहनत पर पानी फिर सकता है। ऐसी ही एक बेसिक जरूरत है, पाचन को दुरूस्त रखना। एक्सपर्ट और स्टडीज में सामने आया है कि अगर आपको एसिडिटी या अन्य पाचन संबंधी समस्याएं हैं,तो आपके लिए वेट लॉस करना और मुश्किल हो सकता है। आइए जानते हैं क्या है इन दोनों के बीच (connection between acidity and exercise) का संबंध।
फिटनेस एक्सपर्ट डॉ. अमित देशपांडे बताते हैं, ‘कभी कभार हमें एसिडिटी हो जाती है। एसिडिटी की समस्या के साथ एक्सरसाइज करना स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं हो सकता है। इसलिए एसिडिटी की समस्या को दूर करना और इसके लिए उपाय आजमाना जरूरी है। यदि आपको एसिड रिफ्लक्स की समस्या है, तो एसिड रिफ्लक्स-अनुकूल आहार का पालन करना दिनचर्या में शामिल होना चाहिए।
स्वस्थ आहार इसके लक्षणों से राहत दिला सकते हैं। यह जीईआरडी से संबंधित जटिलताओं की संभावना को कम कर सकता है। यह समग्र स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है और जीवन की गुणवत्ता को भी बढ़ा सकता है।
फिटनेस के लिए जरूरी है एसिडिटी का नहीं होना। एक्सरसाइज सहित कुछ गतिविधियां एसिड रिफ्लक्स को खराब कर सकती हैं। यह अलग-अलग व्यक्ति पर भी निर्भर करता है। कुछ लोगों के लिए एक्सरसाइज उनके एसिड रिफ्लक्स के लक्षणों को बढ़ा सकती है। कुछ लोगों में यह कम करने में मदद करती है। मध्यम व्यायाम (Moderate exercise) की तुलना में तीव्र व्यायाम (Vigorous Exercise) एसिड रिफ्लक्स के लक्षणों को अधिक ट्रिगर कर सकता है।
फिटनेस एक्सपर्ट डॉ. अमित देशपांडे बताते हैं, ‘ऐसी एक्सरसाइज जो इंटेंस या तीव्र है या फिर जिसमें झटकेदार स्टेप्स (jarring movements) शामिल हों, पेट के एसिड को अन्नप्रणाली (esophagus) में धकेल सकती है। इससे एसिडिटी और हार्टबर्न हो सकता है। भोजन को पचने के लिए पर्याप्त समय देने से सीने में जलन या एसिडिटी को काफी हद तक कम किया जा सकता है। क्रॉस-ट्रेनर्स टाई करने से पहले खाने के बाद कम से कम एक से दो घंटे प्रतीक्षा करने का प्रयास करें।‘
सबसे पहले गुड लाइफस्टाइल को फॉलो करना शुरू करें। इसके लिए अपने बढे वजन को कंट्रोल करें। अतिरिक्त वजन एसिड रिफ्लक्स और हार्ट बर्न में योगदान कर सकता है। नियमित व्यायाम और संतुलित आहार स्वस्थ वजन हासिल करने और बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
कुछ खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ एसिडिटी के लक्षणों को खराब कर सकते हैं। ट्रिगर करने वाले फ़ूड में मसालेदार, वसायुक्त और तले हुए खाद्य पदार्थ, खट्टे फल, टमाटर, चॉकलेट, कॉफी और कार्बोनेटेड पेय शामिल हैं। इसके लिए अपने व्यक्तिगत ट्रिगर खाद्य पदार्थों की पहचान करें और उनसे बचने का प्रयास करें।
छोटे पोर्शन में भोजन करने से एसिड रिफ्लक्स की संभावना कम हो सकती है। एक बार बहुत अधिक खाने या अधिक अंतराल पर खाने से भी यह समस्या होती है। खाने के तुरंत बाद लेटने से बचें। लेटने या बिस्तर पर जाने से पहले कम से कम दो से तीन घंटे प्रतीक्षा करें।
धूम्रपान निचले एसोफेजियल स्फिंक्टर को कमजोर कर सकता है, जिससे एसिड रिफ्लक्स हो सकता है। यदि आप स्मोकिंग करती हैं, तो इसे छोड़ने का प्रयास करें।
तनाव और एंग्जायटी एसिडिटी के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। तनाव को मैनेज करने के लिए स्वस्थ तरीके खोजें। जैसे नियमित व्यायाम, ध्यान, या उन गतिविधियों में शामिल होना जिनका आप आनंद लेती हैं। पानी की कमी से भी तनाव होता है। इसलिए पूरे दिन पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं और हाइड्रेटेड रहें।पानी से पेट के एसिड को पतला करने और अत्यधिक एसिडिटी को रोकने में मदद मिल सकती है।
केले, खरबूजे, ओट्स और बादाम जैसे कुछ खाद्य पदार्थों में अल्कलाइन गुण (connection between acidity and exercise) होते हैं। ये पेट के एसिड को बेअसर करने में मदद कर सकते हैं। साथ ही फाइबर का सेवन बढ़ा लें। फलों, सब्जियों और साबुत अनाज जैसे फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन पाचन को नियंत्रित करने और एसिड रीफ्लक्स के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।
एंटासिड : ये दवाएं पेट के एसिड को निष्क्रिय करके अस्थायी राहत प्रदान कर सकती हैं। ये मेडिकल काउंटर पर उपलब्ध होती हैं। पैकेजिंग पर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए आवश्यकतानुसार इन्हें लिया जा सकता है। बेहतर परिणाम के लिए आप डिटॉक्स ईवीटी और डिटॉक्स टैबलेट भी ले सकती हैं।
एच2 ब्लॉकर्स : हिस्टामाइन-2 रिसेप्टर ब्लॉकर्स पेट में एसिड के उत्पादन को कम (connection between acidity and exercise) कर सकते हैं। ये लंबे समय तक राहत प्रदान कर सकते हैं। ये दवाएं काउंटर पर और प्रिस्क्रिप्शन दोनों पर उपलब्ध होती हैं।
किसी भी बीमारी का इलाज खुद शुरू नहीं कर देना चाहिए। अगर आपको एसिडिटी या पाचन संबंधी कोई भी समस्या है, तो सबसे पहले विशेषज्ञ से परामर्श करें। उसके बाद ही कोई उपचार करें।
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