दिनों दिन बढ़ रहे स्मोकिंग के चलन के अलावा अल्कोहल इनटेक और अनियमित खानपान फैटी लीवर की समस्या बढ़ने के सामान्य कारण है। लीवर की कोशिकाओं में जमा होने वाले फैट्स के चलते फैटी लीवर की समस्या का सामना करना पड़ता है। इससे लीवर में सूजन, दर्द व शरीर में थकान बनी रहती है। दरअसल, व्यायाम की कमी मोटापे का कारण बनने लगती है, जिससे फैटी लीवर का जोखिम भी बढ़ जाता है। लीवर डिस्ऑर्डर को गंभीरता से न लेने के चलते ये समस्या दिनों दिन बढ़ती चली जाती है। जानते हैं किन फूड्स की मदद से फैटी लीवर की समस्या से राहत मिल सकती है (Food to reverse fatty liver)।
नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ डायबिटीज़ एंड डायजेस्टिव किडनी डिजीज के अनुसार लीवर शरीर में पाए जाने वाले टॉक्सिक पदार्थों को दूर करने में मदद करता है। इसकी मदद से शरीर में हरे और पीले रंग का एक तरल पदार्थ उत्पन्न होता है, जिसे बाइल कहते हैं। इसकी मदद से जो फैट्स को ब्रेक करने डाइजेशन में मदद करते हैं। फैटी लीवर की बीमारी लीवर को नुकसान पहुंचाती है और उसके कार्य को प्रभावित करती है। जीवनशैली में वर्कआउट और हेल्दी डाइट की मदद से फैटी लीवर की समस्या से बचा जा सकता है।
लीवर में बढ़ने वाली वसा की मात्रा के चलते फैटी लीवर की समस्या बढ़ने लगती है। फैटी लीवर दो प्रकार का होता है अल्कोहलिक और नॉन अल्कोहलिक। इस बारे में बातचीत करते हुए डॉ अदिति शर्मा के अनुसार फाइबर, प्लांट बेस्ड प्रोटीन और हेल्दी फैट्स से भरपूर डाइट का सेवन करने से फैटी लीवर की समस्या से बचा जा सकता है। इसकी मदद से लीवर को स्वस्थ बनाए रखने के अलावा वेटलॉस में भी मदद मिलती है। वॉटर इनटेक बढ़ाने से शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ दूर हो जाते हैं। वहीं अनहेल्दी फैट्स के सेवन से बचें। लीवर की प्रक्रिया को नियमित बनाए रखने के लिए फलों और सब्जियों को मील में एड करें। इससे वेटलॉस में मदद मिलती है और लीवर हेल्थ बूस्ट होने लगती है। साथ ही फैटी लीवर की समस्या को रिवर्स किया जा सकता है।
एनआईएच क अनुसार हल्दी में करक्यूमिन तत्व पाया जाता है, जो फैटी लीवर को हल करने में मदद करता है। दरअसल, फैटी लीवर से ग्रस्त व्यक्ति के शरीर में सीरम एलानिन एमिनोट्रांसफरेज़ और एस्पार्टेट एमिनोट्रांसफरेज़ एंजाइंम्स पाए जाते हैं। इनकी मात्रा को कम करने के लिए कच्ची हल्दी का सेवन फायेदंमद है। इसे दूध में डालकर या पानी में उबालकर पी सकते हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार दिनभर में एक कप कॉफी का सेवन करने से फैटी लीवर की समस्या से बचा जा सकता है। दरअसल, रेगुलर कॉफी इनटेक से लीवर फाइब्रोइसिस का जोखिम कम हो जाता है। इसकी मदद से लीवर में बनने वाले एबनॉर्मल लीवर एंजाइंम्स को बढ़ने से रोका जा सकता है।
फाइबर की प्रचुर मात्रा मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करती है। ऐसे में ओट्स, बाजरा, कॉर्न, राइज़ और वीट का सेवन करने से फैटी लीवर की समस्या से मुक्ति मिल जाती है। डाइट में नियमित तौर पर होल व्हीट ग्रेन को एड करने से ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने में मदद मिलती है।
एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर मौसमी फल शरीर को न केवल संक्रामक रोगों के प्रभाव से दूर रखते हैं, बल्कि इससे शरीर में विटामिन और मिनरल की कमी को भी पूरा किया जा सकता हैं। सर्दियों में मिलने वाले संतरा, किन्नू, अंगूर और सेब का सेवन करने से शरीर फैटी लीवर के प्रभाव से मुक्त रहता है। नियमित डाइट में शामिल करने से लीवर पर होने वाली सूजन की समस्या का हल किया जा सकता है।
सर्दियों में खासतौर से मेथी, पालक चौलाई और बथुआ समेत सभी हरी पत्तेदार सब्जियां का सेवन बढ़ने लगता है। लोग इसे व्यंजनों के तैयार करने के अलावा सलाद और सूप में भी इस्तेमाल करते हैं। दरअसल, हरी पत्तेदार सब्जियों में नाइट्रेट की उच्च मात्रा पाई जाती है, जिससे फैटी लीवर की समस्या को हल किया जा सकता है।
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