अनियमित दिनचर्या वेटगेन का मुख्य कारण साबित होती है, जिससे पाचन संबधी समस्याएं भी दिनों दिन बढ़ने लगती हैं। ऐसे में वेटलॉस के लिए कई प्रकार की डाइट और एक्सरसाइज़ को रूटीन में शामिल किया जाता है, जिससे डाइजेस्टिव एंजाइम का कार्य सुचारू होने लगता है। इससे वज़न कम करने में मदद मिलती है। साथ ही मेटाबॉलिज्म भी बूस्ट होता है यानि पाचनतंत्र में सुधार आने लगता है। जानते हैं डाइजेस्टिव एंजाइम क्या है और किस प्रकार वेटलॉस में होते हैं मददगार साबित (Digestive enzymes affect weight loss)।
इस बारे में बातचीत करते हुए नूट्रिशनिस्ट एंव डायटीशियन मनीषा गोयल का कहना है कि वे लोग जो ओवरवेट होते हैं। उनके डाइजेस्टिव जूसिस और एंजाइम पूरी तरह से काम नही कर पाते हैं। इससे डाइजेशन फॉल्टी हो जाता है। इसके लिए वेटलॉस बेहतरीन विकल्प है। वेटलॉस से आपके शरीर में मौजूद एंजाइम खाद्य पदार्थों को आसानी से ब्रेक करके पचाने में सहायक होते हैं, मगर मोटापे के कारण एंजाइम का कार्य धीमा होने लगता है।
वेब एमडी के अनुसार पाचन एंजाइम कंपाउड होते हैं, जो खाए गए भोजन को छोटे टुकड़ों में ब्रेक करते हैं। ताकि आपका शरीर खाने को जल्दी एब्जॉर्ब कर सके। दरअसल, एंजाइम पोषक तत्वों को ऐसे पदार्थों में बदल देते हैं जिन्हें आपका शरीर आसानी से डाइजेस्ट कर सकता है। पाचन एंजाइम स्लाइवा में मौजूद होते हैं। इसके अलावा पेनक्रियाज़, लीवर, गॉलब्लैडर जैसे ऑर्गन्स भी एंजाइम को रिलीज करते हैं।
प्रोटीज (Protease): प्रोटीन को अमीनो एसिड में ब्रेक करने का काम करता है
लाइपेस (lipase): ग्लिसरॉल और फैटी एसिड में लिपिड को ब्रेक करता है
एमाइलेज (amylase): जटिल कार्ब्स और स्टार्च को सरल शर्करा में तोड़ता है
डाइजेस्टिव एंजाइमस पाचनतंत्र को मज़बूत बनाते हैं और पोषक तत्वों के एब्जॉर्बशन में मददगार साबित होते हैं। एनआईएच के एक रिसर्च के अनुसार लैक्टोज इंटॉलरेंस और इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम यानि आईबीएस जैसी स्थितियों में भी डाइजेस्टिव एंजाइमस से पाचन में मदद मिलती है। इसके अलावा पाचन एंजाइम वेटलॉस में भी सहायक साबित होते हैं।
नियमित तौर पर एक्सरसाइज़ करने से शरीर की मांसेपशियों में खिंचाव बढ़ने लगता है और शरीर में जमा चर्बी बर्न होने लगती है। ऐसे में डाइजेस्टिव एंजाइम एक्टिव होने लगते हैं और अपना कार्य सुचारू रूप से करते हैं। इससे शरीर में फैट्स जमा नहीं होते हैं और शरीर एक्टिव बना रहता है। साथ ही बार बार होने वाली थकान और अनिद्रा की समस्या से भी बचा जा सकता है।
ओवरइटिंग खराब डाइजेशन का कारण साबित होती है और वज़न भी तेज़ी से बढ़ने लगता है। ऐसे में वज़न कम होने से गट हेल्थ मज़बूत बनती है और खाने को आसानी से पचाया जा सकता है। पाचनतंत्र को मज़बूती मिलने से शरीर कई समस्याओं से बचा रहता है। अपना वज़न तालिका से मिलाकर चलें। ज्यादा खाने से एब्जार्बशन पावर कम होने लगती है।
शरीर में पाचन एंजाइम जब उचित प्रकार से कार्य करते हैं, तो उससे हाई कोलेस्ट्रॉल का खतरा कम होने लगता है। इसके अलावा डायबिटीज़ भी रिवर्स होने लगती है। शरीर का वज़न नियंत्रित रहने से पाचनतंत्र को मज़बूती मिलती है। ऐसे में दिनभर में कुछ वक्त व्यायाम के लिए निकालें और हेल्दी फूड मील में शामिल करें।
फूड को ब्रेकडाउन करने में मददगार डाइजेस्टिव एंजाइम पोषक तत्वों को एब्जॉर्ब करने में मदद करते हैं। इससे शरीर में अपच और ब्लोटिंग की समस्या धीरे धीरे कम होने लगती है। साथ ही डाइजेस्टिव सिस्टम हेल्दी बना रहता है।
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