अक्सर बच्चों को घर में सिखाया जाता है कि वॉटर बॉटल (Water bottle) कैरी करें और उसी से पानी पीएं। इसके अलावा छोटे बच्चों को अक्सर हम लोग एक सिपर से दिनभर में पानी पिलाते रहते हैं। जहां तक बड़े सदस्यों की बात आती है, वे अपना गिलास सेपरेट रखते हैं, चाहे घर हो या आफिस। अगर आप भी इस आदत के शिकार हैं और बार बार एक ही गिलास से पानी पी रही हैं, तो ज़रा सतर्क हो जाएं (Effects of unsafe drinking water)।
बहुत बार लोग कांच के गिलास का इस्तेमाल करते हैं, ताकि कोई बैक्टीरिया उस पर अपनी जगह न बना सके। विशेषज्ञों की मानें, तो गिलास का मैटीरियल चाहे कोई भी हो बार बार किसी भी चीज को बिना धोएं इस्तेमाल करने से वो संक्रमण का करण बन सकती है। इससे डायरिया और टाइफाइड होने का खतरा बना रहता है। इसके अलावा पेट में ऐंठन, बदन दर्द, बुखार और उल्टी आने का खतरा रहता है।
देर तक रखे पानी में बढ़ने लगते हैं माइक्रोब्स
इस बारे में न्यू हैम्पशायर युनिवर्सिटी के एक रिसर्च के मुताबिक माइक्रोआर्गेनिज़म्स यानि सूक्ष्मजीवों को पनपने के लिए नम वातावरण की आवश्यकता होती है। किसी गिलास या बोतल से अगर हम दिन में 3 से 5 बार भरा हुआ पानी पीते हैं, तो ध्यान रखें कि वे आपके लिए परेशानी का कारण बन सकता है। दरअसल, बैक्टीरिया और माइक्रोब्स जब देर तक रखे हुए पानी में बढ़ने लगते हैं, तो ऐसे में पानी के साथ साथ उन्हें भी निगलने का खतरा रहता है, जो कई बार गंभीर बीमारी का कारण साबित हो सकता है।
अगर आप बीमार हैं और गीले गिलास में दोबारा पानी पी रहे हैं, तो इससे गिलास में बग्स एकत्रित होने लगते हैं। अगर आप फिर से उसी गिलास में पानी पी रहे हैं, तो उसका धुला हुआ और सूखा हुआ होना बहुत ज़रूरी है।
चाहे कंटेनर हो यां बॉटल पानी खत्म होने के बाद ही अक्सर दोबारा रीफिल किया जाता हैं। अगर वो पानी अगले दिन तक खत्म नहीं हुआ, तो उसे पीने से बचें। इससे न केवल उसके पीएच लेवल में कमी आएगी बल्कि इंफेक्शन का खतरा भी बना रहता है।
इससे शरीर में टायफाइड, डायरिया, उल्टी, पेट दर्द और बैक्टीरियल इंफेक्शन का कारण बन सकता है। इसके अलावा फूड प्वाइजिंग का भी शिकार होना पड़ सकता है। दरअसल, गिलास में नमी के कारण नोरोवायरस जैसे वायरस पनपने लगते है। जो इंफेक्शन का कारण साबित हो सकता है।
बिना धुले गिलास में पानी बार बार पीने से उसमें नोरोवायरस पनपने का खतरा रहता है। ये वायरल आमतौर पर गंदे गिलासों में ही जन्म लेता है। एक एक कर जब बहुत से बैक्टिरिया जमा हो जाते हैं, तो उसे बायोफिल्म कहा जाता है। इस बारे में वीयूई के चीफ मेडिकल ऑफिसर पीटर मिशेल का कहना है कि गिलास को धोकर ही इस्तेमाल करे। उनके मुताबिक इन ग्लासों को धोने और स्क्रब किए बिना इस्तेमाल करने से बैक्टीरिया बायो फिल्म निर्माण करते हैं। वे उस बायोफिल्म के अंदर रहने लगते हैं। इससे उनकी संख्या में इज़ाफा होने लगता है। दरअसल, इससे उनकी संख्या ढ़ने में मदद मिलती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक पानी से भरा हुआ जो घेटों से बिना ढ़के रखा हुआ है, वो कई प्रकार के बैक्टिरिया के संपर्क में आ जाता है। दरअसल, हवा में मौजूद कण गिलास या ओपन बॉटल में अपनी जगह बनाने लगते है। ऐसे में पीने वाली पानी से भरे हुए किसी भी बर्तन को ओपन न छोड़ें।
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