छोटी छोटी बातों को लेकर परेशान हो जाना व्यक्ति के अंदर चिड़चिड़ापन, तनाव और चिंता को बढ़ा देता है। इसका असर दिनभर की गतिविधियों से लेकर रात की नींद पर भी नज़र आने लगता है। दिन ब दिन बढ़ने वाली ये चिंता मार्निंग एंग्जाइटी का कारण बनने लगती है। सुबह उठते ही किसी बात को लेकर एकदम चिंतित हो जाना और घबरा जाना मार्निंग एंग्जाइटी को दर्शाता है। जानते हैं मार्निंग एंग्जाइटी के कारण और उससे बचने के उपाय भी।
अक्सर लोगों को सुबह उठकर तनाव महसूस होने लगता है। शरीर में स्ट्रेस हार्मोन कार्टिसोल के बढ़ने से ये समस्या पनपने लगती है। नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ हेल्थ के अनुसार एड्रीनल ग्लैंड शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन को प्रोडयूस करते हैं। इसे ग्लूकोकार्टोइकोड्स भी कहा जाता है। कोर्टिसोल शरीर में तनाव, ब्लड प्रेशर, मेटाबॉलिज्म, शुगर और सूजन को नियंत्रित करने में मदद करता है। उठने के एक घण्टे के भीतर व्यक्ति को तनाव की समस्या का सामना करना पड़ता है। इससे व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो जाता है।
नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ हेल्थ के अनुसार कैफीन और शुगर की अधिक मात्रा एंग्ज़ाइटी की समस्या को बढ़ा देती है। मूड डिसऑर्डर के शिकार लोगों कैफील की मात्रा बढ़ने से तनाव की समस्या बढ़ने लगती है, जो मार्निंग एंग्जाइटी की समस्या को बढ़ा देता है। कॉफी या चाय का अधिक सेवन सिरदर्द, हाई ब्लड प्रेशर और डिप्रेशनप को बढ़ा सकता है।
अनिद्रा और नींद की खराब क्वालिटी मार्निंग एंग्जाइटी की समस्या को बढ़ा सकते हैं। एनआईएच की रिसर्च के अनुसार रात की कम नींद को सुबह बढ़ने वाली चिंता के स्तर में वृद्धि का मुख्य कारण माना जाता है। वे लोग जो रात में गहरी नींद लेते है, उससे दिनों दिमाग को शांति की प्राप्ति होती है। इससे शरीर में हैप्पी हार्मोन रिलीज होने लगती है।
सुबह बढ़ने वाली चिंता एंग्जाइटी डिसऑर्डर के कारण बढ़ने लगती है। इसे जनरलाइज्ड एंग्जाइटी डिसऑर्डर कहा जाता है। इससे ग्रस्त व्यक्ति में 6 महीने तक अत्यधिक चिंता और भय का का जोखिम बढ़ जाता हैं। ऐसे में व्यक्ति को पुरानी थकान, ध्यान केंद्रित करने में समस्या और बेचैनी का सामना करना पड़ता हैं।
जर्नल ऑफ सायकेटरी के अनुसार लो ब्लड शुगर और हाई ब्लड शुगर दोनों को ही एंग्जाइटी से जोड़कर देखा जाता है। शरीर में शुगर के लेवल को नियंत्रित रखने के लिए उचित आहार आवश्यक है। इससे शरीर एक्टिव और मज़बूत बनता है, जिससे कार्यक्षमता में सुधार होने लगता है और चिंता से मुक्ति मिल जाती है।
तनाव के स्तर को कम करने के लिए दिनभर में कुछ देर वॉक और व्यायाम ज़रूरी है। इसके अलावा कुछ वक्त स्वीमिंग, डासिंग, बाइकिंग और अन्य एक्टीविटीज़ के लिए निकालना जरूरी है। इससे शरीर का स्टेमिना बूस्ट होने लगता है और शरीर में हैप्पर हार्मोन भी रिलीज़ होते हैं।
किसी व्यक्ति या स्थिति से प्रभावित होकर नकारात्मक विचारधारा को अपने लाइफस्टाइल का हिस्सा न बनाएं। इससे नींद न आने की समस्या का सामना करना पउ़ता है, जो तनाव को बढ़ाता है। इससे बचने के लिए सेल्फ केयर आवश्यक है। स्वंय का खुश रखने से व्यक्ति सकारात्मकता की ओर बढ़ता है।
मार्निंग एंग्जाइटी से बचने के लिए सोने और उठने का समय निर्धारित कर लें। इससे तनाव और चिंता से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही नींद की गुणवत्ता भी बढ़ने लगती है। इसके चलते व्यक्ति मार्निंग एंग्जाइटी से बचा रहता है।
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