क्या आपने कभी गूगल पर खुशी का मतलब तलाशने की कोशिश की है? चलिए हम आपको बतातें है कि इस बारे में ऑक्सफोर्ड का क्या कहना है। जब हम खुशी की परिभाषा की बात करते हैं, तो ऑक्सफोर्ड के अनुसार यह मन का आनंददायक संतोष है। इसलिए अगर आप संतुष्ट हैं तो आप खुश हैं। संतुष्टि प्राप्त करने के लिए आपको एक लक्ष्य और दृढ़ता की आवश्यकता होगी।
हर साल न्यू ईयर से पहले हम में से ज्यादातर लोग कुछ लक्ष्य निर्धारित करते हैं। लेकिन जैसे-जैसे वर्ष आगे बढ़ता है, उनमें से ज्यादातर लक्ष्य हवा के साथ कहीं खो से जाते हैं। लेकिन ऐसा क्यों हुआ? ऐसा इसलिए है क्योंकि हम ज्यादातर समय अपने मन में नाकारात्मक चीजों के बारे में सोचते हैं।
हम उन सभी चीजों पर विचार करते हैं, जो भौतिकवाद के साथ अधिक जुड़ी हैं। साथ ही आंतरिक खुशी और संतोष की तरफ कम।
मुंबई के वॉकहार्ट अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. राहुल खेमानी के अनुसार, हमें यह समझने की आवश्यकता है कि हमारे लक्ष्य और खुशी आपस में जुड़े हुए हैं।
ये वे लक्ष्य हैं, जो हमारे अपने मनोविज्ञान से जुड़े हैं। यह हमारे लिए वह हैं जिन्हें पूरा करने के लिए हमें सब कुछ करना है, जिसमें कोई बाहरी ताकत हमारी मदद नहीं कर सकती है। आंतरिक लक्ष्य स्वयं से जुड़े होते हैं। जैसे कि आपकी व्यक्तिगत वृद्धि, स्वास्थ्य और अपने और दूसरों के साथ संबंध।
डा. खेमानी के अनुसार, आत्म-स्वीकृति आंतरिक लक्ष्यों को प्राप्त करने की कुंजी है। आपको आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है। जब आपकी उपलब्धि की बात आती है, तो आप उसे लेकर क्या सोचते हैं, महसूस करते हैं या उस दौरान आपका व्यवहार कैसा होता है।
ये लक्ष्य बाहरी प्रभाव से संबंधित हैं। पैसा, प्रसिद्धि, स्थिति या कुछ और ऐसी चीजें जिनके लिए दूसरों से सत्यापन की आवश्यकता होती है, इसमें शामिल हैं।
डा. खेमानी कहते हैं कि दुर्भाग्य से, मुझे नहीं लगता कि कोई भी बाहरी लक्ष्य हमें खुशी देता है। वे खुशी के साधन हो सकते हैं। लेकिन, साधन के साथ समस्या यह है कि वे कभी समाप्त नहीं होते। इसलिए उनसे खुशी निकालना लगभग बेकार है।
1. मेरा मूल्य (values) क्या हैं?
2. मैं क्या हासिल करना चाहती हूं?
3. मैं कौन हूँ? मेरा उद्देश्य क्या है?
4. मेरा रास्ता क्या है?
मूल रूप से, ये सभी प्रश्न प्रकृति में आंतरिक हैं। हमारी आदतें हमें खुशी देती हैं और उन्हें जटिल नहीं होना पड़ता। यहां तक कि एक साधारण चीज जैसे कि आपके घर की सफाई, खाना बनाना, बागवानी करना आदि आपको खुश कर सकते हैं, और ये संतोष की भावना महसूस करने के लिए दैनिक लक्ष्यों के रूप में भी निर्धारित किए जा सकते हैं।
डा. राहुल कहते हैं कि हम वैसे ही पैदा होते हैं जैसे हम हैं, लेकिन हम यह तय कर सकते हैं कि हम किसके रूप में मरना चाहते हैं।
लक्ष्य जो आप माप नहीं सकते हैं, वे लक्ष्य नहीं हैं बल्कि इच्छा के कुछ रूप हैं। उन्हें हासिल कर पाना मुश्किल है, क्योकि आपने उनके लिए कोई योजना नहीं बनाई है। आपको उन्हें अल्पकालिक रखना चाहिए, ताकि आप इसके माध्यम से प्रेरित रह सकें।
डा. राहुल कहते हैं कि मैं अपने क्लाइंट्स को एक वर्ष, पाँच वर्ष और 20 वर्ष में अपने लक्ष्य को विभाजित करने के लिए कहता हूं और उनके लक्ष्य के अनुसार चार्ट तैयार करता हूं। बल्कि हर किसी को दैनिक लक्ष्य बनाना चाहिए जिससे कि आप उन्हें बनाए रख सकें।
यदि आप अपना लक्ष्य निर्धारित करती हैं, ठीक उसी तरह जैसे एक और कार्य जिसे आप शुरू करना चाहती हैं और खत्म करना चाहती हैं, तो इसमें कोई मज़ा नहीं है। इसके अलावा, उच्च संभावना है कि आप इसे बीच में ही छोड़ देंगी।
डॉ. राहुल कहते हैं कि आपके पास हमेशा अपने लिए समय होता है। इससे आपको खुशी मिलेगी। यह हमेशा बेहतर होता है अगर आप किसी चीज से बचने के बजाय उसके लिए काम करते हैं।
डा. खेमानी सुझाव देते हैं कि आप क्या करना चाहती हैं, इसके लिए योजना बनाएं, एक रोडमैप तैयार करें। ताकि आप जान सकें कि आप कहां जा रही हैं। साथ ही यह भी ट्रैक करें कि आप सही कर रहीं हैं या गलत।
आपको खुद को रिवॉर्ड देने की आवश्यकता है, जो कि अपने लक्ष्यों की पूर्ति की यात्रा का आनंद लेने का एकमात्र तरीका है। लेकिन खुद को कुछ भौतिकवादी रिवॉर्ड देने की बजाए, अपने आप को एक अनुभव दें, क्योंकि वह लंबे समय तर हमारे साथ रहता है। यह हमेशा के लिए आपकी स्मृति का एक हिस्सा बन जाएगा और आपको अधिक प्रयास करने में मदद करेगा।
अधिक हासिल करने के लिए लगातार प्रयास करना खुशी नहीं है। इसके बजाय, दैनिक आधार पर चीजों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करें। तो, आप हर रात संतोष और खुशी की भावना के साथ एक अच्छी नींद ले पाएंगी।
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