ज्यादातर लोग प्यार पाने पर बहुत अधिक खुशी महसूस करते हैं। पर सभी को उनका चाहा हुआ प्यार मिले, यह जरूरी नहीं। प्यार, किसी का साथ या चाही हुई चीज़ न मिलने पर दुख होता है और व्यक्ति अपने आप को टूटा हुआ महसूस करने लगता है। यह एक तरह का भावनात्मक संकट है। आप उदासी, चिंता, क्रोध जैसी भावनाओं से घिरने लगते हैं। ऐसी स्थिति में खुद को संभालना बहुत जरूरी होता है। स्वयं के दिमाग पर नियंत्रण पाना होता है, ताकि आहत भावनाओं पर मरहम लगाया जा सके। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसमें दो चीजें सबसे अधिक मदद करती हैं, पहली दवाएं और दूसरी संवाद अथवा टॉक थेरेपी। थेरेपी और दवा की मदद लेने से पहले भावनाओं को संभालने के लिए कुछ विचारों पर ध्यान (heal yourself mentally) देना जरूरी है।
एंग्जाइटी के कारण तनाव हो जाता है। यह हमारे संतुलन को बिगाड़ देता है। हमारे मूड को खराब कर देती है। जीवन के कठिन कार्यों को और भी कठिन बना देती है। कई तकनीक जैसे कि सांस लेने की तकनीक, संज्ञानात्मक तकनीक, विश्राम तकनीक आदि के माध्यम से तनाव को नियंत्रित करने की कोशिश करनी चाहिए। ये सभी भावनात्मक रूप से हील करने में मदद करेंगे।
मेंटल हीलिंग में सबसे अधिक सेल्फ केयर मदद करते हैं। आप खुद जो हैं, उसे स्वीकार करें। इसका मतलब है कि आप जो चाहती हैं, वह करें। सीमाएं तय करना, अपनी खुद की मान्यताएं और राय रखना, अपने मूल्यों के लिए खड़ा होना मेंटल रूप से हील करने में मदद करते हैं। जो कपड़े आप पहनना चाहती हैं उन्हें पहनना, जो खाना आप खाना चाहती हैं वह खाना, जो चीजें आप कहना चाहती हैं वह कहना जैसी कई चीज़ें हैं, जिन्हें करने पर आप खुद ब खुद हील होने लगती हैं।
हर व्यक्ति अपने गुणों, क्षमताओं और प्रवृत्तियों के साथ होता है। प्रोफेशनल प्रोग्रेस के लिए स्वयं में बदलाव लाना ठीक है। लेकिन हर छोटी बातों और विचारों के लिए समझौता करना सही नहीं है। आप खुद के गुणों को पहचानें। आप जैसी हैं, वैसी रहकर अपने भावनात्मक संकट को कम कर सकती हैं। खुद को संकटों से उबार सकती हैं।
यह किसी के भी साथ हो सकता है कि आप जिसे चाहें वह आपको न मिले। पर केवल यहीं प्यार का या खुशियों का अंत नहीं है। प्यार पाने के लिए दूसरों को प्यार करना पड़ता है और उनके विचारों के प्रति सहमति भी जतानी पड़ती है। यदि दूसरों के प्रति हम प्यार जताते हैं, तो अधिक खुश और बेहतर महसूस करते हैं। हम लंबे समय तक जीवित भी रह सकते हैं। जीवन को अधिक सार्थक अनुभव करते हैं। हम दूसरों की वास्तविकता को स्वीकार करें। अपनी योजनाओं में दूसरों को शामिल करें। न केवल बोलें बल्कि सुनें। अपनी गलतियों को मानकर उन्हें ठीक करें।
हम जो विचार सोचते हैं, उससे अधिक भावनात्मक कष्ट कोई और नहीं देता। हमें उन विचारों की पहचान करनी चाहिए, जो हमारे लिए उपयोगी नहीं हैं। उन पर विवाद करने और उन्हें दूसरों से मनवाने की बजाय उन्हें त्याग दें। ऐसे विचार भावनात्मक कष्ट पहुंचाते हैं। केवल आप ही अपने मन पर नियंत्रण पा सकती हैं। दिमाग पर नियन्त्रण रखकर मेंटली हील किया जा सकता है।
हम अपने अतीत को भूलने की कोशिश करें। अतीत की दुखती रग वापस लौटने से रोक सकती है। इसे बुरे सपने की तरह भूलने की कोशिश करें। हम अपनी मानवीय प्रवृत्ति के साथ खिलवाड़ न करके अतीत से छुटकारा पाने की कोशिश कर सकते हैं।
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