क्या आप अक्सर यह सोचने में अपना वक्त जाया करती हैं कि लोग क्या कहेंगे। इससे सिर्फ आप प्रभावित होती हैं, दूसरे नहीं। लोगों की कही गई बातों पर बहुत अधिक सोच-विचार न करें। व्यक्तित्व के सही विकास के लिए दूसरों के विचार महत्वपूर्ण नहीं होते हैं। दूसरों की राय के जाल में फंसना आसान है, लेकिन आपको यह जानना होगा कि दूसरों के बारे में चिंता करना कैसे बंद करें (How to overcome social fear aka log kya kahenge syndrome)।
क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. कामना छिब्बर हेल्थ शॉट्स को बताती हैं “दूसरों की राय के बारे में सोचना स्वाभाविक है। एक स्वतंत्र और व्यक्तिगत विचार प्रक्रिया विकसित करना हमेशा आसान नहीं होता। यदि आप अपने सपनों और इच्छाओं पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय अपने जीवन को दूसरों की बातों और विचारों के अनुसार चलाना जारी रखती हैं, तो एक दिन आप खुद को ठगा हुआ महसूस करेंगी। आपको हासिल कुछ नहीं हो पाएगा।
ऐसे कई तरीके हैं, जिनकी मदद से अपनी सोच और विचार को दृढ़ बनाया जा सकता है बिना यह सोचे कि दूसरे लोग क्या कहेंगे। डॉ. छिब्बर लोगों की नकारात्मक टिप्पणियों से निपटने के लिए कई तरीके सुझाती हैं।
जो आपके लिए मायने रखता है उस पर अपना ध्यान बनाए रखने की दिशा में काम करती रहें। यह जान लें कि लोगों की हमेशा अलग-अलग प्राथमिकताएं होती हैं। यह आपकी अपनी स्वतंत्र विचार प्रक्रिया के महत्व या प्रासंगिकता को बढ़ाता या कम नहीं करता है। इसलिए दूसरों की प्रायोरिटी पर अधिक सोच-विचार करने की बजाय अपनी प्रायोरिटी पर ध्यान दें।
आप लोगों को यह सोचने से नहीं रोक सकतीं कि वे क्या चाहते हैं। आप अपना ध्यान निश्चित रूप से इस ओर लगा सकती हैं कि आपको क्या करना है। अपने कार्यों और गतिविधियों की ओर अपना ध्यान लगाने में सक्षम होने पर दूसरों के विचार और सोच के बारे में सोचने के लिए समय ही नहीं मिलता है।
स्वयं में इस दृष्टिकोण का विकास करें कि आपके लिए जो मायने रखता है, उस कार्य को करना है न कि दूसरे लोग आपके कार्य और आपकी पसंद के बारे में कैसी सोच रखते हैं, उसके आधार पर कार्य करना है। इससे आप उस चिंता से मुक्त हो सकेंगी कि दूसरे आपके बारे में क्या राय रखते हैं।
अपने इरादे और तर्क को देखने और जानने के लिए आपके पास सबसे अच्छा लेंस है। वास्तव में दूसरा व्यक्ति कभी भी यह नहीं समझ सकता कि आपकी सोच कैसी है या क्यों है। अपने लिए निर्धारित करें कि आपके लिए सबसे अच्छा काम क्या हो सकता है। इसे सुधारने की दिशा में काम करें, ताकि यह आपको अपने लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद करे।
आप क्या कर रही हैं और क्यों कर रही हैं, इसके बारे में आपके पास जो समझ है, उसके लिए खुद जागरूक और जिम्मेदार बनें। अधिक आत्म-जागरूकता और समझ दूसरों की धारणाओं के बारे में चिंता और चिंता से दूर होने में सक्षम बना सकती है।
पूर्णता के लिए प्रयास न करें। बेहतर करते रहने का लक्ष्य रखें और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम करती रहें। याद रखें कि आप भी गलतियां कर सकती हैं और उस प्रक्रिया से गुजरना भी सही होता है। गलतियां करने से ही व्यक्ति सीखता है।
आपने जो हासिल किया है, उसे स्वीकार करना चाहिए। आंतरिक स्तर पर अपनी प्रशंसा भी करनी चाहिए।अपने आप को सकारात्मक रूप से सुदृढ़ करें। हमेशा अच्छे की तलाश करें और विसंगतियों से दूर रहें।
अंत में याद रखें कि आप जो कुछ भी अनुभव कर रही हैं वह हमेशा सही नहीं हो सकता है। दूसरा आपके प्रति क्या महसूस कर सकता है और जिस तरीके से आप सोचती हैं, वह हमेशा सही नहीं हो सकता है। इसलिए लोगों की राय पर ध्यान देने की बजाय आप क्या करती हैं और क्यों कर रही हैं, इस पर अपना विश्वास बनाए रखें।
इनका अभ्यास करने से आप दूसरों की बातों के बारे में चिंता करना बंद कर देंगी और खुद पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगी।
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