महिलाओं पर काम के दायित्व, परिवार और सामाजिक अपेक्षाओं का बोझ अधिक रहता है। इसलिए रोजमर्रा की जिंदगी में उनका स्वास्थ्य मुश्किलों से भरा रहता है। अनियमित पीरियड, अनपेक्षित रूप से वजन बढ़ना, डायबिटीज और मोटापा के रूप में यह सामने आता है। इन सभी समस्याओं का प्रभाव उनके हॉर्मोन पर पड़ता है। नतीजा पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर या पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) के रूप में सामने आता है। भारत में 3.7% से 22.5% महिलाएं इस समस्या से ग्रसित हैं। पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर के कारण इंसुलिन रेसिस्टेंस (PCOS causes Insulin Resistance) भी होता है।
पीसीओएस से टाइप 2 मधुमेह (Type 2 Diabetes) का खतरा बढ़ जाता है। मधुमेह के कारण रोगग्रस्त महिलाएं इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध (resistance to insulin) प्रदर्शित करने लगती हैं। इंसुलिन प्रतिरोध तब होता है जब मांसपेशियों, फैट और लिवर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति सही प्रतिक्रिया नहीं देती हैं। इससे ब्लड से ग्लूकोज आसानी से नहीं लिया जा सकता है। इसके कारण अग्न्याशय या पैनक्रियाज ग्लूकोज को कोशिकाओं में प्रवेश करने में मदद करने के लिए अधिक इंसुलिन बनाने लगता है।
इंसुलिन रेसिस्टेंस को मैनेज करने के लिए महिला को कई चीजों पर ध्यान देना पड़ता है। आप क्या खाती हैं, किस तरह की एक्सरसाइज करती हैं, कैसे अपने तनाव को नियंत्रित करती हैं और सोती हैं, जैसी बातों से लेकर बदलावों तक, सभी पर ध्यान देना पड़ता है। इससे हॉर्मोनल संतुलन हो पाता है। पीसीओएस की वजह से होने वाली समस्या इंसुलिन रेसिस्टेंस मैनेज हो पाता है।
ओज़िवा में एमएसी क्लीनिकल न्यूट्रिशन एंड डाइटिक्स न्यूट्रिनिस्ट शिखा द्विवेदी बताती हैं, ‘ भोजन पर ध्यान देना बेहद जरूरी होता है। खासकर कार्बोहाइड्रेट और फैट्स के चुनाव के मामले में। इंसुलिन प्रतिरोधकता (Insulin Resistance) अत्यधिक शुगर और सामान्य कार्बोहाइड्रेट से और भी बिगड़ सकता है। इनकी जगह ओट्स, किनुआ, ब्राउन राइस और ज्वार और बाजरा जैसे कॉम्प्लैक्स कार्बोहाइड्रेट को अपने भोजन में शामिल करें।
साबुत अनाज और ओमेगा-3 के स्रोत जैसे अखरोट, बादाम और अलसी को आहार में शामिल करें। इससे ब्लड शुगर के स्तर को स्थिर बनाए रखने और इंसुलिन लेवल अचानक बढ़ने के खतरे को कम करने में मदद मिलती है।
शिखा द्विवेदी के अनुसार, विटामिन ई और विटामिन सी नियमित रूप से लें। ऑलिव ऑयल, नट्स, एवोकाडो और राइस ब्रान ऑयल में पाए जाने वाले हेल्दी फैट्स अपनाएं। इसमें पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड (पूफा) होते हैं, जो सूजन कम करते हैं। ये प्रजनन को बेहतर बनाते हैं। टेस्टोस्टेरोन के एक्स्ट्रा लेवल को कम करते हैं।
फल, हरी सब्जियां और क्रूसिफेरस सब्जियां, प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ-ब्रोकली, गोभी, ब्रसेल्स, स्प्राउट्स, बीन्स, दालों, बादाम, बेरीज, शकरकंद, कद्दू से भरपूर आहार लेने से इंसुलिन रेसिस्टेंस के नियंत्रण में मदद मिलती है। इसके साथ ही व्यवस्थित रूप में और उचित अंतराल पर भोजन करने से भी इसके नियंत्रण में आसानी होती है।
हर हफ्ते कम से कम 30 मिनट का मध्यम-गति वाले एरोबिक करने का लक्ष्य बनाएं। अपने पास के पार्क में ब्रिस्क वॉक (Brisk Walk) , साइकिल चलाना या पूल हो तो स्वीमिंग करें। इस तरह की गतिविधियां न केवल इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाती है, बल्कि वजन बढ़ने को भी नियंत्रित करती है। नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से पूरी सेहत बेहतर होती है। योग से लेकर स्थानीय खेल और डांस में भी भाग ले सकती हैं। जिस भी गतिविधि को करने में मजा आता है, उसे करने से एक्सरसाइज की दिनचर्या लगातार बनाए रखना आसान (PCOS causes Insulin Resistance) होगा।
योग आसन के साथ डीप ब्रीदिंग और रिलेक्सेशन तकनीक तनाव कम करने, इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाने और हॉर्मोनल संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। सूर्य नमस्कार से जहां लचीलापन बढ़ता है, बलासन से तनाव और मांसपेशियों की ऐंठन दूर होती है। भद्रकोणासान मेटाबॉलिज्म़ और हॉर्मोनल संतुलन को दुरुस्त करता है। इनके अलावा नौकासन, धनुरासन और पश्चिमोत्तासन जैसे आसन भी फायदा (PCOS causes Insulin Resistance) पहुंचाते हैं।
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