कई महिलाओं में पीसीओएस के दुष्प्रभाव स्किन पर दिखने लगते हैं। इसके कारण न सिर्फ स्किन ड्राई हो जाती है, बल्कि फाइन लाइंस और झुर्रियां भी दिखने लगती हैं। पीसीओएस, यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic ovary Syndrome) के कारण हॉर्मोन में असंतुलन पैदा हो जाता है। त्वचा सहित पूरे शरीर पर इसका असर पड़ता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इस असंतुलन से त्वचा की अनेक समस्या हो सकती हैं। इसके कारण एजिंग प्रक्रिया भी तेज हो सकती है। ऐसी स्थिति में पीसीओएस से पीड़ित होने पर स्किन हेल्थ पर बहुत अधिक ध्यान देना ज़रूरी हो जाता है। आइये जानते हैं पीसीओएस के कारण क्यों होने लगती है स्किन एजिंग (PCOS Causes Skin Aging)? क्या इसके कुछ उपचार भी हैं?
ओज़िवा में डाइटिशियन और न्यूट्रीशनिस्ट शिखा द्विवेदी बताती हैं, ‘पीसीओएस होने पर त्वचा की देखभाल के लिए रूटीन को फ़ॉलो करना जरूरी हो जाता है। सुबह की तरह शाम में भी त्वचा की सफाई और उसे संपूर्ण पोषण देना जरूरी हो जाता है।पीसीओएस के कारण पीरियड संबंधी अनियमितताएं, पॉलीसिस्टिक ओवरी (जब अंडाशय कई छोटे फोलिक्ल विकसित करते हैं और नियमित रूप से एग जारी नहीं करते हैं), मोटापा और इंसुलिन रेसिस्टेंस (जब कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति अच्छी तरह से प्रतिक्रिया नहीं करती हैं) जैसी समस्याएं होती हैं। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में हाई एण्ड्रोजन लेवल रहने लगता है। इस तरह से हॉर्मोनल असंतुलन से त्वचा पर असमय हाइपरपिगमेंटेशन, फाइन लाइंस और झुर्रियों की भी समस्या (skin aging caused by PCOS) हो जाती है।
शिखा द्विवेदी बताती हैं, ‘पीसीओएस के स्किन पर बुरे प्रभाव को रोकने के लिए सबसे अधिक जरूरी होता है स्किन को पोषण देना। भरपूर साबुत अनाज (Whole Grain), पर्याप्त फल, पत्तेदार हरी और क्रुसिफेरस सब्जियां (फूलगोभी, पत्तागोभी, ब्रोकली, सरसों, मूली, गाजर आदि), प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थ आहार में शामिल करना चाहिए। ब्रसेल्स स्प्राउट्स, बीन्स, मसूर, बादाम, बेरीज, शकरकंद, लौकी आदि में भरपूर फाइबर पाया जा सकता है।ये सभी खाद्य पदार्थ पीसीओएस के लक्षणों से लड़ने में मदद करते हैं।
प्लांट बेस्ड फ़ूड से प्राप्त भोजन एंटीऑक्सीडेंट से भरे होते हैं। ये त्वचा के नुकसान और समय से पहले स्किन पर आये बुढ़ापे को रोकने में मदद करते हैं। हेल्दी फैट और ओमेगा-3 के स्रोत (अखरोट, बादाम और अलसी) को भोजन में शामिल करने से ब्लड शुगर लेवल स्थिर करने, मुंहासों और झुर्रियों को कम करने में मदद मिलती है। ये खाद्य पदार्थ स्किन के लिए जरूरी विटामिन ई और सी की भी पूर्ति करते हैं।’
पोषण सम्बन्धी जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ ख़ास प्रकार के सप्लीमेंट्स (Supplements) पीसीओएस के लक्षणों का मुकाबला करने और हॉर्मोन को संतुलित रखने में मदद कर सकते हैं। वनस्पति-आधारित सप्लीमेंट्स, जैसे कि चेस्टबेरी, एलो वेरा, अशोकारिष्ट या अशोक के कैपसूल हॉर्मोन और मेन्स्ट्रुअल साइकिल को नियमित करने में मदद करते हैं। ये त्वचा की सफाई भी करते हैं। कोलेजन सप्लीमेंट झुर्रियां खत्म करते हैं।
आयुर्वेदिक हर्ब शतावरी (Shatavari for PCOS) प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं। इसके पाचक रस (Digestive Enzymes) पेट फूलने में आराम देते हैं और पाचन में सुधार करते हैं। हर तरह की ऑयली, प्रोसेस्ड फ़ूड, स्वीट ड्रिंक और फैटी डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन कम करें। पानी खूब पियें।
शिखा द्विवेदी के अनुसार, त्वचा में मुंहासे और सूजन जैसी समस्या है, तो सुबह हल्के क्लींजर का प्रयोग करें। इसके बाद टोनर, नॉन-कॉमेडोजेनिक मॉइश्चराइजर (ये त्वचा के छिद्र पर नहीं जमते और रोमकूपों को बंद नहीं करते हैं) और एसपीएफ 30 या इससे अधिक के ज्यादा फैलने वाले सनस्क्रीन का प्रति दिन प्रयोग करें। इससे यूवीए/यूवीबी किरणों के हानिकारक प्रभाव से त्वचा की रक्षा होती है।
सुबह की तरह ही शाम को भी रूटीन अपनायें। शाम में सनस्क्रीन लगाने की ज़रुरत नहीं है। सप्ताह में एक या दो बार मुलायम स्क्रब से त्वचा को साफ़ करें, जिससे कि त्वचा की मृत कोशिकाएं हट जाएं। गहराई तक पोषण के लिए फेस मास्क लगा लें।
ड्राई स्किन है, तो हेल्युरोनिक एसिड का प्रयोग करें। यह सूखी त्वचा को मॉइस्ट रखता है। विटामिन ई स्किन बैरियर को बचाता है और त्वचा को हाइड्रेटेड रखता है। विटमिन ई वाले बादाम, सूरजमुखी, और फर्मेंटेड फोलिक एसिड वाले उत्पाद ड्राई स्किन के लिए कारगर हैं।
ऑयली स्किन के लिए सैलिसिलिक एसिड का प्रयोग करें। यह त्वचा पर सीबम के अत्यधिक उत्पादन को नियंत्रित करता है। टी ट्री आयल मुंहासों और धब्बों को दूर कर स्किन को साफ़ करता है। फाइटो-नियासिनामाइड, एलोवेरा और नीम भी ऑयल के प्रति संवेदनशील त्वचा के लिए गुणकारी होते हैं।
मिली-जुली त्वचा पर हेल्युरोनिक एसिड और विटामिन सी बढ़िया काम करते हैं। ये त्वचा को नम रखते हैं। इसे ऑयली नहीं बनाते और काले धब्बों को कम करते हैं।
एजिंग के निशान दूर करने के लिए फाइटो-रेटिनॉल का प्रयोग करें। सैलिसिलिक एसिड और नियासिनामाइड तथा विटामिन सी फाइन लाइंस दूर कर त्वचा की रंगत में निखार लाते हैं। ये त्वचा काली पड़ने को रोकने और काले धब्बों को ठीक करने के लिए भी प्रभावकारी होते हैं।
स्किनकेयर प्रोडक्ट्स का चुनाव करते समय प्राकृतिक सामग्रियों से भरपूर और हार्ड केमिकल्स, जैसे कि सल्फेट्स, पैराबेन्स और थैलेट्स रहित सामग्रियों को चुनें। इसके अलावा, ऐसे उत्पादों की तलाश करें, जिनसे त्वचा पर जलन और सूजन नहीं हो। ऐसे उत्पादों से बचें, जिनमें कोको बटर, नारियल का तेल, आइसोप्रोपाइल माइरिस्टेट, ओलिक एसिड लैनोलिन, और ब्यूटाइल स्टेअरेट मिले होते हैं। ये बहुत ज्यादा कॉमेडोजेनिक होते हैं।
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