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बच्चे के व्यवहार में आए ये 3 बदलाव देते हैं अवसाद के संकेत, जानिए अब आपको क्या करना है

'नन्हें-मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है, मुट्ठी में है तकदीर हमारी'...बॉलीवुड के बेहतरीन गायक रहे मन्ना डे ने 60 के दशक में ये गाना गाया था, उस समय से लेकर अभी तक ये गाना कहीं न कहीं सच तो साबित हुआ ही है, लेकिन बदलते वक़्त के साथ इसमें कई बदलाव भी लाने की जरूरत हैं।
Updated On: 18 Oct 2023, 10:15 am IST
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Ye sochna galat hai ki bachcho ko tanav nahi hota
बच्चे कई बार खुद को अन्य बच्चों की तुलना में हारा हुआ और कमज़ोर महसूस करने लगते है।। चित्र : अडोबी स्टॉक

बढ़ती तकनीक, बढ़ती भाग-दौड़ और बदलते माहौल के चलते अब छोटे-छोटे बच्चों के हाथ में उनके भविष्य के साथ-साथ डिप्रेशन भी दिखाई देने लगा है। युवाओं के साथ-साथ आजकल छोटे-छोटे बच्चों में भी डिप्रेशन (depression in kids) के मामलों को तेजी से बढ़ते हुए देखा जा सकता है। छोटे मासूम बच्चों में डिप्रेशन और एंग्जाइटी के मामले बढ़ना किसी भी परिवार व समाज के लिए बेहद चिंतनीय बात है।

बच्चों की हंसती, मुस्कुराती, नटखट और शैतानी करते हुए एक प्यारी सी छवि हम सबके मन में हमेशा रहती है क्योंकि अक्सर बच्चों का परिचय ही इन खूबियों से दिया जाता है। लेकिन अगर कोई बच्चा आपको इन खूबियों के बिना दिखता है तो साफ़-तौर पर ये एक समस्यात्मक पहलू हो सकता है।अगर आपके बच्चे के व्यवहार में अचानक बदलाव आ गया है तो कैसे आप अच्छी पेरेंटिंग करके उन्हें इस मुश्किल से निकाल सकतीं हैं, आइये जानतें हैं।

क्या कहते हैं आंकड़े?

लोगों की मेन्टल हेल्थ को समझने के लिए हुए एक सर्वे में पता चला है कि भारत में 10 फीसदी से ज्यादा लोग मानसिक अवसाद या डिप्रेशन से पीड़ित है और उससे भी ज्यादा चिंतनीय बात ये है कि इसमें बड़ी संख्या में छोटे बच्चे भी शामिल हैं।

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अच्छी पेरेंटिंग करके उन्हें इस मुश्किल से निकाल सकतीं हैं, आइये जानतें हैं। चित्र : एडॉबीस्टॉक

2022 में द कन्वर्सेशन में में छपी एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि, कोविड-19 के बाद बच्चों में डिप्रेशन की समस्या में बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया कि लॉकडाउन में कई परिवारों की आर्थिक स्थिति बुरी तरह प्रभावित हुई, जिसका बच्चों की मानसिक सेहत पर भी काफी गहरा प्रभाव पड़ा। साथ ही लॉकडाउन में घरेलू हिंसा के मामलों में भी बढ़ोतरी आई है, जिससे भी बच्चों में डिप्रेशन के केसेज़ में काफी इज़ाफ़ा हुआ है।

अगर दिखने लगें ये लक्षण, तो हो जाएं सतर्क (Signs of depression in kids)

बच्चों में तेज़ी से बढ़ते डिप्रेशन के मामले पर बात करते हुए अरुण चाइल्ड हॉस्पिटल, आगरा के संस्थापक डॉ.अरुण जैन बताते हैं कि बच्चों में होने वाला डिप्रेशन बेहद ही खतनाक भी हो सकता है क्योंकि बड़ों की तरह बच्चे उतने एक्सप्रेसिव नहीं होते और साथ ही अपने मन की बातें भी किसी से साझा नहीं करते इसीलिए बच्चों के पैरेंट्स को ही इससे डील करना होगा।

साथ ही लक्षणों की बात करते हुए डॉ.जैन बताते हैं कि अगर आपके बच्चों में इस तरह का व्यवहार दिखने लगे तो सतर्क हो जाएं।

1 उदास रहना

अगर आपका बच्चा कई सप्ताह और महीने भर तक उदास बना रहता है और उदासी के साथ-साथ अगर आपका बच्चा सबके साथ रहने के बजाय अकेले ही रहना पसंद करता है, छोटी-छोटी बातों पर गुस्साने लगता है, चिड़चिड़ाने लगता है तो आपको अपने बच्चे पर ध्यान देने की ख़ास जरूरत है।

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बच्चों के चिड़चिड़ेपन पर ध्यान दें। चित्र : शटरस्टॉक

2 खुद से बात करना

अगर आपका बच्चा खुद से बात करने लगता है, अकेले बैठ कर खुद से सवाल कर के खुद ही जवाब देने लगे और साथ ही बैठे-बैठे किसी भी चीज़ पर गुस्सा निकालने लगे, चीज़ें फेंकने लगे तो समझ जाइये कि ये डिप्रेशन के ही लक्षण है।

3 खाना-पीना-सोना तीनों में होने लगें कटौती

अगर आपका बच्चा लंबे समय तक खाए-पीये नहीं और साथ ही उसे नींद भी कम आने लगे तो समझ जाइये कि ये भी डिप्रेशन के ही लक्षण है और अब आपको अपने बच्चे की ख़ास देखभाल करने की भी काफी जरूरत है।

बच्चे में नजर आएं डिप्रेशन के लक्षण तो जानिए आपको क्या करना है (How to deal with depression in kids)

वैसे तो बच्चों का कनेक्शन अपने माता-पिता दोनों के साथ ही बहुत अच्छा होता है लेकिन बच्चों का मां के साथ रिश्ता बेहद ही ममता भरा होता है। इसलिए अगर आप चाहेंगी और अच्छी पेरेंटिंग टिप्स अपनाएंगी तो आप अपने बच्चे को जल्द से जल्द ही डिप्रेशन से निकाल पाएंगी।

बच्चे से करें बात :

बच्चे को डिप्रेशन की स्थिति से निकालने के लिए आप उससे जितनी ज्यादा हो सके बातें करे। फिर चाहे वो बच्चे के स्कूल की बात हो, उसके फेवरेट खाने-पीने की बात हो या उसकी होने वाली परेशानियों की। अपने बच्चे से हर बात करें, ऐसा करने से उसे मोटीवेटड फील होगा और वो अपनी स्थिति से उबरने की कोशिश करेगा।

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रखें मोबाइल और हिंसक गेम्स से दूर :

आज-कल बच्चों के डिप्रेशन में जाने का सबसे बड़ा कारण मोबाइल फोन भी बन गए है। आजकल जब से घर, पैरेंट्स का ऑफिस बना है तब से वे बच्चों पर उतना ध्यान नहीं दे पाते और बच्चे हर समय फ़ोन में लगे रहते है और साथ ही कई तरह के हिंसक गेम्स भी खेलते रहते है, जो उन्हें बेहद ही डिप्रेशन में डाल सकता है।

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रात में सोने से पहले कहानियां पढ़ने से व्यक्तित्व विकास होता है। चित्र: शटरस्टॉक

बच्चे में जगाएं अपनत्व का भाव :

अक्सर ऐसा भी होता है कि बच्चे पेरेंट्स के बिज़ी शेड्यूल के कारण खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं और उनमे अपनत्व का भाव खत्म हो जाता है। इसलिए बच्चों को प्रॉपर टाइम दें और जब भी उनसे बात करें तो उन्हें अपने जीवन की पुरानी बातें भी बताएं, इससे वे खुद को आपसे काफी कनेक्टेड फील करेंगे।

प्रेम प्रदर्शित करें :

बचपन एक ऐसा समय होता है जब बच्चा सबसे ज्यादा किसी चीज़ का भूखा होता है तो वो है मां का प्यार। इसीलिए जब भी अपने बच्चे से बात करें तो उसका हाथ पकड़े, प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरे और उसे ये दिखाएं कि आप उनसे बहुत प्यार करतीं हैं।

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डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
कार्तिकेय हस्तिनापुरी
कार्तिकेय हस्तिनापुरी

पिछले कई वर्षों से मीडिया में सक्रिय कार्तिकेय हेल्थ और वेलनेस पर गहन रिसर्च के साथ स्पेशल स्टोरीज करना पसंद करते हैं। इसके अलावा उन्हें घूमना, पढ़ना-लिखना और कुकिंग में नए एक्सपेरिमेंट करना पसंद है। जिंदगी में ये तीनों चीजें हैं, तो फिजिकल और मेंटल हेल्थ हमेशा बूस्ट रहती है, ऐसा उनका मानना है।

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