Heart Transplant Day : दिल देना है तो ऐसे दीजिए कि किसी को जीवन मिल सके, एक्सपर्ट बता रहे हैं अंगदान की अहमियत

40 वर्ष तक के बहुत सारे युवाओं को हमने हार्ट फेलियर के कारण खो दिया है। उनकी जिंदगी को बचाया जा सकता था, अगर समय रहते उन्हें हृदय दान कर दिया जाता है।
Heart health ke liye khtrnaak hai
ह्रदय स्वास्थ्य का ध्यान रखें। चित्र : एडॉबीस्टॉक
अंजलि कुमारी Published: 3 Aug 2023, 14:55 pm IST
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ह्रदय संबंधी समस्याओं के बढ़ते आंकड़े महत्वपूर्ण युवा मानव संसाधन की कमी का संकट बढ़ा रहे हैं। पहले जहां हार्ट स्ट्रोक और हार्ट फेलियर को बढ़ती उम्र और खराब फिटनेस से जोड़ कर देखा जाता था, वहीं अबके मामलों ने पिछले सारे अनुमानों को धराशायी कर दिया है। 40 वर्ष तक के बहुत सारे युवाओं को हमने हार्ट फेलियर के कारण खो दिया है। उनकी जिंदगी को बचाया जा सकता था, अगर समय रहते उन्हें हृदय दान कर दिया जाता है। मेडिकल साइंस ने आज इतनी तरक्की कर ली है हार्ट ट्रांसप्लांट कर किसी का मूल्यवान जीवन बचाया जा सकता है। हार्ट ट्रांसप्लांट डे के अवसर पर एक्सपर्ट बता रहे हैं अंगदान की अहमियत।

अब भी बहुत से लाेगों में हार्ट ट्रांसप्लांटेशन के प्रति जागरूकता की कमी है। जानकारी की कमी और धार्मिक आस्था के कारण लोग अंगदान करने के लिए आगे नहीं आते हैं। हालांकि, लोगों को इसके प्रति जागरूक होकर अपनी सोच को बदलने की आवश्यकता है। एक व्यक्ति मृत्यु के बाद हृदय, लिवर, पैंक्रियाज, लंग्स, कॉर्निया जैसे अंगों का दान कर कई और मरीजों को एक नई जिंदगी दे सकता है।

हेल्थ शॉट्स ने हार्ट ट्रांसप्लांट डे (Heart Transplant Day) के मौके पर डीपीयू प्राइवेट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पिंपरी पुणे के सीनियर कंसल्टेंट, एचपीवी और लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ मनोज डोंगर से बात की। उन्होंने बताया कि किस तरह कोई व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद 6 से 8 व्यक्तियों को एक नया जीवन प्रदान कर सकता है। तो चलिए जानते हैं आखिर यह किस तरह मुमकिन है।

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सभी को है स्वस्थ रहने का हक़. चित्र : एडॉबीस्टॉक

जीते जी भी कर सकते हैं अंगदान

एक किडनी
एक लिवर
लंग्स का एक हिस्सा
पैंक्रियाज का एक हिस्सा और इंटेस्टाइन का एक हिस्सा

मृत्यु के बाद किया जा सकता है इन अंगों का दान

हार्ट (हृदय)
दोनों किडनी
दोनों लिवर
दोनों लंग्स
पेनक्रियाज
इंटेस्टाइन

1. हार्ट (Heart)

हार्ट फैलियर और स्ट्रोक के बाद कई ऐसे व्यक्ति होते हैं जिन्हे हार्ट ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है। किसी व्यक्ति के मृत्यु के बाद पहले 4 घंटे के दौरान हार्ट डोनेशन हो जाना चाहिए। अन्यथा बाद में इसे कंसीडर नहीं किया जाता है। हर साल लगभग 3500 हार्ट ट्रांसप्लांट किए जाते हैं, इनमें से आधे ट्रांसप्लांट यूएस में होते हैं। आजकल मेडिकल साइंस काफी आगे बढ़ चुकी है। यही वजह है कि हार्ट ट्रांसप्लांट के ज्यादातर मामले सक्सेसफुल हो रहे हैं। ट्रांसप्लांट के बाद व्यक्ति के जीने की एवरेज अवधि 15 साल तक होती है।

Alav k dhuan bhi lungs ke liye ghtak hai
अलाव का धुआं भी फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। चित्र :शटरस्टॉक

2. लंग्स (Lungs)

आजकल लंग्स फैलियर के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। हृदय के संयोजन में लंग्स का डोनेशन करने पर दोनों फेफड़े डोनेशन के लिए मान्य होते हैं। लंग्स मृत्यु के 4 से 6 घंटे तक एक्टिव रहते हैं। हालांकि, लंग्स ट्रांसप्लांट पेचीदा हो सकता है, परंतु यह किसी भी व्यक्ति की उम्र को 10 वर्ष तक बढ़ा देता है।

3. किडनी (Kidney)

मृत्यु के बाद व्यक्ति की किडनी को 72 घंटे के अंदर ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। किडनी भी जोड़े में आती है, ऐसे में यह सिंगल और डबल ट्रांसप्लांटेशन दोनों के लिए मान्य होती है। आमतौर पर मरीज किडनी ट्रांसप्लांटेशन के बाद 10 से 15 वर्ष जीते हैं, वहीं युवाओं को और अधिक समय मिलता है।

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4. लिवर (Liver)

किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद लीवर को 24 घंटे के अंदर-अंदर ट्रांसप्लांट कर सकते हैं। मृत्यु के बाद लिवर को विभात कर दो व्यक्तियों को डोनेट किया जा सकता है, जिससे कि संभावित रूप से दो जाने बचाई जा सकती हैं। लिवर ट्रांसप्लांट होने के बाद 100 में से 98 प्रतिशत व्यक्तियों की औसत उम्र 15 साल तक बढ़ जाती है।

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समय समय पर सूक्ष्म पोषक तत्वों के जरिये लिवर को डिटॉक्स किया जा सकता है। चित्र : एडोबी स्टॉक

5. पेनक्रियाज (Pancreas)

किसी व्यक्ति की मृत्यु के अगले 24 घंटों के अंदर पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट हो जाने चाहिए। पैंक्रियाज ट्रांसप्लांटेशन का सक्सेस रेट अन्य ट्रांसप्लांटेशन के मुताबिक अधिक होता है। इसमें लगभग 80 से 95% व्यक्ति एक साधारण जीवन जीते हैं। परंतु एक स्वस्थ जीवन के लिए लिए ट्रांसप्लांटेशन के बाद व्यक्ति को इम्यूनोसपरेशन ट्रीटमेंट को फॉलो करना होता है।

याद रखें

यदि मृत्यु से पहले किसी व्यक्ति को कैंसर या एचआईवी है या उनके ब्लड स्ट्रीम और बॉडी टिशु में किसी प्रकार की बीमारी फैलाने वाले बैक्टीरिया मौजूद हैं, तो वे बॉडी ऑर्गन डोनेट नहीं कर सकते। व्यक्ति की मृत्यु से पहले यदि इनमें से कोई भी समस्या होती है तो उनके ऑर्गन डोनेशन को खारिज कर दिया जाता है।

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इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

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